बहुमत को जनमत के दमन का औजार बनाया जा रहा है, संवैधानिक संस्थाएं पंगु बनाई जा रहीं: जीतू पटवारी

हमारे महापुरूषों ने स्वतंत्रता दिलवाने और देश का एक विधान बनाने के साथ ही विकास के लिए जो रास्ता दिखाया, उसी से हमारे देश का वास्तविक नवनिर्माण हुआ है: जीतू पटवारी

Updated: Jan 26, 2024, 11:16 AM IST

भोपाल। देश आज अपना 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस मौके पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने पीसीसी मुख्यालय पर ध्वज फहराया। पटवारी ने गणतंत्र दिवस के मौके पर प्रदेशवासियों के नाम संदेश जारी कर कहा कि देश की संप्रभुता को एक संविधान की माला में पिरोकर गणतंत्र की स्थापना के 75वें वर्ष पर आपको हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।

पटवारी ने कहा, 'इन 75 सालों में भारत ने दुनिया में अपने पुरुषार्थ का परचम फहराया है। आजादी के लिए संघर्ष करने वाले हमारे महान नेताओं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभभाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल, मोतीलाल नेहरू, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, डॉ भीमराव अंबेडकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद, बाबू जगजीवन राम, सरोजिनी नायडू, आचार्य कृपलानी जैसी अनेक शख्सियत हैं, जिन्होंने संविधान से लेकर राष्ट्र निर्माण में अपना अमिट योगदान दिया है। आज इन्हें स्मरण करने का पुण्य दिवस है।'

कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे लिखा, 'हमारे महापुरूषों ने स्वतंत्रता दिलवाने और देश का एक विधान बनाने के साथ ही विकास के लिए जो रास्ता दिखाया, उसी से हमारे देश का वास्तविक नवनिर्माण हुआ है। आपको याद होगा कि किस तरह हमारे क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी और आजादी के सपने को साकार किया। सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, राजगुरु, सुखदेव, अशफ़ाकउल्ला, रानी लक्ष्मीबाई, रानी दुर्गावती, टंट्या भील, बिरसा मुंडा, जैसे अनेक क्रांतिकारी ही देश के सच्चे नायक हैं। इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का त्याग और देश के लिए उनका अनुकरणीय बलिदान भी, कभी भुलाया नहीं जा सकता।'

पटवारी ने कहा, 'आप सभी जानते हैं कि जब देश आजाद हुआ, तब देश की परिस्थितियां क्या थीं? आजादी के ठीक पहले 30 लाख लोग बंगाल के दुर्भिक्ष में भूख से तड़प-तड़प कर मौत के आगोश में समा गए थे। बंगाल की गलियां नर कंकालों से भरी पड़ी थीं। अंग्रेजों ने देश को पूरी तरह लूट लिया था। भारत के पास न खाने के लिए गेहूं था, न ही अपने लोगों को संबल देने के लिए धन! ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी हमारे नेताओं ने देश तरक्की के रास्ते पर बढ़ाया और दृढ़ संकल्प के साथ नवनिर्माण का मार्ग प्रशस्त किया। उन्होंने भाखड़ा नांगल जैसे विशाल बांध बनाए। एनएफएल जैसी खाद की फैक्ट्रियां डालीं। बड़े-बड़े स्टील प्लांट शुरू किए।'

कांग्रेस नेता ने आगे लिखा, '1964 तक हम मैक्सिकन लाल गेहूं के भरोसे जिंदा थे, तब भारत मां के सच्चे सपूत लालबहादुर शास्त्री जी के आह्वान पर पूरा देश एक दिन उपवास रखकर आगे बढ़ा, लेकिन झुका नहीं! कांग्रेस ने हरित क्रांति के माध्यम से देश आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाया। परिणाम यह हुआ कि खाद्यान्न के मामलों में आयातक भारत, निर्यातक देश बन गया! यह हमारे नेताओं और नीतियों के महानतम योगदान का सार्थक और सकारात्मक परिणाम है। लालटेन और ढिबरी के देश में सरकारी पुरुषार्थ से इंदिरा जी ने गांव-गांव बिजली भेजी, पॉवर प्लांट लगाए, देश को ऊर्जा के क्षेत्र में सक्षम भी बनाया। दूरदर्शी नेतृत्व से दुग्ध क्रांति आई और अमूल दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड बन गया!'

पटवारी आगे लिखते हैं, 'हमें गर्व है कि कांग्रेस ने 60 साल देश की अथक सेवा की। आईआईटी, आईआईएम, इंजीनियरिंग कॉलेज और लाखों स्कूलें बनवाईं। केन्द्रीय विद्यालयों, नवोदय स्कूलों से गुणवत्ता शिक्षा को मजबूत किया। स्टील प्लांट्स, खाद, कार, ट्रक, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कारखाने, बांध, सड़क, अस्पतालों का जाल भी बिछाया।भेल, रेल, गेल, इसरो, भाभा जैसी संस्थाओं से भारत को विश्व में नई पहचान दिलाई।'

पटवारी ने कहा, 'पाकिस्तान जैसे देश के अंदर जब जनतंत्र को कुचलने के लिए करोड़ों लोगों पर गोलियां बरसाईं गईं, तो भारत ने न्याय के लिए अत्याचारों का मुकाबला किया और इंदिराजी के साहसी नेतृत्व ने बांग्लादेश का निर्माण कर भारत को एक तरफ से सुरक्षित किया। एक लाख पाकिस्तानी सैनिकों का आत्म समर्पण दुनिया के इतिहास का अकेला कारनामा है, यह हमारी सेवा की वीरता का भी एक ऐसा उदाहरण है, जिसने मां भारती के मस्तक को दुनिया में सबसे ऊंचा कर दिखाया है।'

उन्होंने लिखा, 'आज फिर से चुनौती का समय है। चुने हुए सैकड़ों सांसदों को संसद से बाहर कर बिना विमर्ष के कानून बनाए जा रहे हैं। बहुमत को जनमत के दमन का औजार बनाया जा रहा है। स्वतंत्र रूप से काम करने वाली संवैधानिक संस्थाएं पंगु बनाई जा रहीं हैं। मौलिक अधिकार चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। मंहगाई आजीविका पर हमलावर है। बेरोजगारी से करोड़ों नौजवान विवशता का जीवन जी रहे हैं। इंदिराजी ने बैंकों के राष्ट्रीयकरण से पूंजी तक गरीब की जो पहुंच बनाई थी, बैंकिंग को क्लास से मास तक पहुंचाया था, आज देश की उसी आर्थिक पंक्ति को निजीकरण के माध्यम से पूंजी के एकाधिकार की तरफ धकेला जा रहा है। किसान कर्जे में दबा है और पूंजीपतियों के लाखों करोड़ के कर्जे बट्टेखाते में डाले जा रहे हैं। आम नागरिक को गरीब बनाकर चंद हाथों में देश की पूंजी सीमित की जा रही है।'

पटवारी लिखते हैं, 'सच यह है कि सर्व धर्म समभाव हमारे संविधान का मूल संदेश है। सभी धर्मों का आदर हमारी संस्कृति है। लेकिन, अब देश में एक ऐसी विचारधारा को बढ़ाया जा रहा है, जिसमें एक धर्म, एक पंथ, एक नेता को मजबूत करने की बात की जाती है। समानता की राजनीतिक संस्कृति वाले हिंदुस्तान की कल्पना, इससे सबसे ज्यादा आहत होती है। बराबरी की इसी विरासत को बचाने के लिए ही आज श्री राहुल गांधी जी "भारत जोड़ो न्याय यात्रा" पर चल रहे हैं। देश के करोड़ों जन-मन उन्हें समर्थन दे रहे हैं। मणिपुर की लाखों  की आबादी एक त्रासदायी जीवन जीने के लिए विवश है। महिलाओं की इज्जत सड़कों पर तार-तार हुई है।'

उन्होंने लिखा, 'देश के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या उन्हें न्याय नहीं चाहिए? करोड़ों नौजवान बेरोजगार हैं, क्या उन्हें काम नहीं चाहिए? महंगाई ने 81 करोड़ लोगों को गरीबी के दलदल में धकेल दिया, क्या उन्हें आजीविका के संसाधन नहीं चाहिए? यही करोड़ों नागरिक आज जब न्याय के लिए लालायित हैं, तब राहुलजी उनकी आवाज बन गए हैं। जन-जन के मन में समाई उदारता और समान न्याय वाली मूल दृष्टि, आज इसलिए भी आहत है कि बलात्कारियों को अवैधानिक तरीके से सजा माफी मिल रही है और अपराधियों का सार्वजनिक स्वागत हो रहा है।' 

पटवारी आगे लिखते हैं, '26 जनवरी 1950 को हमने गौरवपूर्ण संविधान को आत्मार्पित कर, देश के हर नागरिक को समानतापूर्ण जीवन और न्याय की गारंटी दी। आरक्षण के माध्यम से वंचित और पिछड़े लोगों को मुख्यधारा में शामिल किया। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर जनप्रतिनिधित्व में भागीदारी दी। व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि यही भारत की असली शक्ति है। उसी भावना के प्रति अपनी और कांग्रेस पार्टी को प्रतिबद्धता को दोहराते हुए मैं फिर से आपको 75वें गणतंत्र दिवस की बधाई देता हूं। आइए, हम जनता के नागरिक अधिकारों, समानता के संवैधानिक न्याय के लिए आगे बढ़ें। पूंजी के एकाधिकारवाद, अवसरों की लूट और संगठित झूठ के खिलाफ कमर कसें। साथ मिलकर, कदम बढ़ाएं, अपने भारत को सच्चे अर्थों में विश्वगुरु बनाएं।'