मामा का शासन: झूठी घोषणाएं, खोखले विज्ञापन और बड़बोले भाषण... बजट से पूर्व राज्य सरकार पर बरसे जयवर्धन

प्रदेश के किसानों, आदिवासी भाइयों, दलितों, पिछड़ों, महिलाओं, बच्चों सब के विकास के साथ कुठाराघात किया गया और प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार झूठी घोषणाएं करते रहे: पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह

Updated: Feb 28, 2023, 11:56 AM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार कल विधानसभा में बजट पेश करने वाली है। बजट से एक दिन पूर्व कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह ने पिछले साल के बजट के आंकड़े प्रस्तुत कर राज्य सरकार पर हमला बोला है। जयवर्धन सिंह ने कहा कि शिवराज सरकार द्वारा पेश किए गए बजट के दावे और हकीकत में जमीन आसमान का अंतर है। कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री को निशाने पर लेते हुए कहा कि मामा का शासन का अर्थ है झूठी घोषणाएं, खोखले विज्ञापन और बड़बोले भाषण।

राजधानी भोपाल स्थित कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए जयवर्धन सिंह ने कहा, "बीते वर्षों भाजपा के एक वरिष्ठतम नेता ने मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घोषणावीर की उपाधि दी थी। क्योंकि प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के वक्तव्य और व्यवहार में जमीन आसमान का अंतर रहता है। वे जहां जाते हैं अपने पुराने वायदों पर पानी फेरते जाते हैं और नई घोषणाएं करते जाते हैं। अब चूंकि कल प्रदेश का बजट घोषित किया जायेगा, नई योजनाएं और वायदों का ढिंढ़ोरा पीटा जायेगा, तब हमने बीते वर्ष 2021-22 के बजट के एप्रोपिएशन अकाउंट, जिसका मूल्यांकन कैग ने 6 दिसम्बर 2022 को किया है, का अध्ययन किया तथा केंद्र प्रायोजित योजनाएं जिससे प्रदेश का समावेशी विकास सुनिश्चित होता है का मूल्यांकन किया, तब भाजपा सरकार के तथाकथित विकास की ढोल की पोल खुल गई।"

बजट 2021-22 का मूल्यांकन

जयवर्धन ने मीडिया के समक्ष आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि, "मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य के विकास के लिए अपने बजट में (सप्लीमेंट्री सहित) 2 लाख 82 हजार 779.6 करोड़ रूपये से प्रदेश के विकास का ढिंढ़ोरा पीटा था। रास्ते चलते शिवराज जी झूठी घोषणाएं करते थे और वक्त-बे-वक्त योजनाओं के नारियल फोड़ देते थे। मगर कैग के विनियोग लेखा में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस उपरोक्त बजट में से शिवराज सरकार ने 2021-22 में 39 हजार 786.2 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये। जिसमें से रेवेन्यु अकाउंट के हिस्से में 23 हजार 2 करोड़ और केपिटल अकाउंट में 16 हजार 784 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं किये गए।"

जयवर्धन ने आगे कहा, "रेवेन्यु अकाउंट में इतनी बड़ी राशि खर्च नहीं करने का अर्थ यह हुआ कि गरीबों के विकास की योजनाओं पर सीधा आघात किया गया, साथ ही कैपिटल अकाउंट में खर्च नहीं करने का अर्थ है कि प्रदेश की अधोसंरचना विकास के साथ धोखा किया गया। किसान कल्याण पशुपालन, मछली पालन डेयरी विभागां के लगभग 831 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये गये। इसी प्रकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के 961.24 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये। इसी प्रकार पीएचई के 1233.70 करोड़ रू. खर्च नहीं किया गया। इसी प्रकार शहरी विकास और आवास मंत्रालय के 1161.56 करोड़ रू., जल संसाधन विभाग के 991.6 करोड़ रू., पीडब्ल्यूडी के 1133.23 करोड़ रू., स्कूली शिक्षा (प्रायमरी एज्युकेशन सहित) के 3784.53 करोड़ रू., ग्रामीण विकास के 1879.76 करोड़ रू., आदिवासी विकास विभाग के 2520.7 करोड़ रू., उच्च शिक्षा 900 करोड़ रू., अनुसूचित जाति विकास 312.5 करोड़ रू., आध्यात्मिक विभाग 77 करोड़ रू., महिला एवं बाल विकास विभाग 610.8 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये गये।"

सिंह ने आगे कहा, "इसका आशय साफ है कि प्रदेश के किसानों, आदिवासी भाईयां, दलितों, पिछड़ों महिलाओं, बच्चों सब के विकास के साथ कुठाराघात किया गया और प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार झूठी घोषणाएं करते रहे।"

केंद्र प्रायोजित योजनाओं का चौंकाने वाला सच 
 
कांग्रेस विधायक ने केंद्र प्रायोजित योजनाओं के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि, "केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें प्रदेश के विकास को किस प्रकार गर्त में डाल रही है, यह चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 47 हजार 458 करोड़ रू. वर्ष 2022-23 में खर्च किये जाने थे, जिसमें से केंद्र सरकार द्वारा 32 हजार 556.34 करोड़ रू. प्रदेश को मिलने थे और राज्य सरकार द्वारा 14 हजार 901.7 करोड़ रू. खर्च किये जाने थे, मगर भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार ने प्रदेश के साथ इतना बड़ा धोखा किया कि 31 जनवरी 2023 तक केंद्र सरकार द्वारा अपने हिस्से में से सिर्फ 16 हजार 792 करोड़ रू. ही जारी किये। अर्थात लगभग 50 प्रतिशत राशि वर्ष अंत होने के दो माह पहले तक भी नहीं भेजी। केंद्र की ग्रांट नहीं मिलने का आशय यह है कि राज्य सरकार भी अपने हिस्से की अनुपातिक राशि खर्च नहीं करती। अर्थात एक अनुमान के तौर पर इस राशि में से लगभग 22 से 23 हजार करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये गये।"

सिंह ने कहा, "किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग में मात्र 21.31 प्रतिशत राशि अब तक भेजी गई है, जिसमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ट्रेक्टर एवं कृषि उपकरणां पर अनुदान, कृषि वानिकी सबमिशन, परंपरागत कृषि विकास योजना जैसी कई प्रमुख योजनाओं में एक भी पैसा अब तक जारी नहीं किया गया। आश्चर्यजनक बात यह है कि इस विभाग की 25 योजनाओं में से मात्र 4 योजनाओं में ही राशि जारी की गई है। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में 55 प्रतिशत राशि ही केंद्र द्वारा जारी की गई है, पंचायत विभाग में अब तक एक पैसा भी नहीं भेजा गया। जनजातीय कार्य विभाग में 53 प्रतिशत, नर्मदा घाटी विकास विभाग में कोई राशि जारी नहीं की गई, खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग में 0.19 प्रतिशत राशि ही जारी की गई, संस्कृति विभाग में कोई राशि जारी नहीं की गई।"

जयवर्धन ने आगे बताया कि, "जल संसाधन विभाग में 12.52 प्रतिशत, पर्यटन विभाग में शून्य, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में शून्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग में 2.07, उच्च शिक्षा विभाग में 30.47, तकनीकि शिक्षा कौशल विकास एवं रोजगार विभाग 7.37 प्रतिशत राशि जब तक जारी की गई। महिला एवं बाल विकास विभाग 58.99 प्रतिशत, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग कोई राशि जारी नहीं की गई है। पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग 0.49 प्रतिशत, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग 0.04 प्रतिशत, ग्रामीण विकास विभाग 63 प्रतिशत राशि ही अब तक केंद्र द्वारा जारी की गई है।" सिंह ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि भाजपा सरकारों ने खोखले विज्ञापनों, झूठी घोषणाओं और बड़बोले भाषणों से मप्र के विकास को गर्त में डाल दिया है।