पहले पत्नी की मौत हुई फिर ईमान भी बेच डाला, ब्लैक फ़ंगस इंजेक्शन की ब्लैक मार्केटिंग करनेवाला गिरफ्तार

उज्जैन का दवा विक्रेता करता रहा जिंदगियों का सौदा, पांच गुना कीमत में दवा की कालाबाजारी करते पुलिस ने रंगे हाथ किया गिरफ्तार, ग्राहक बनकर पहुंची CSP को बेच रहा था 7500 की दवा 36000 रूपये में

Updated: May 29, 2021, 10:18 AM IST

Photo courtesy: Bhaskar
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उज्जैन।  उज्जैन पुलिस ने ब्लैक फंगस इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करते एक दवा विक्रेता को रंगे-हाथों पकड़ लिया है। जब पूरे प्रदेश में ब्लैक फंगस की दवा के लिए हाहाकार मचा है। ना अस्पताल और ना ही सरकार के पास इसकी पर्याप्त दवा उपलब्ध है, ऐसे में किल्लत का फायदा उठाकर कुछ विक्रेता औनेपौने दाम में दवा बेच रहे हैं। उज्जैन में एक मेडिकल दुकान संचालक को ग्राहक बनकर गई सीएसपी ने साढ़े सात हजार रुपए का इंजेक्शन 36 हजार रुपए में बेचते पकड़ लिया।

आरोपी जुगल किशोर की दुकान उज्जैन के मुसद्दीपुरा इलाके में मानस इंटरप्राइजेस के नाम से है, जहां वह ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन बेच रहा था। जबकि ये इंजेक्शन कलेक्टर की परमिशन के बिना नहीं बेचे जा सकते। लेकिन शिकायत मिलने पर उज्जैन पुलिस ने एक प्लान बनाया। जिसके तहत CSP पल्लवी शुक्ला ग्राहक बनकर मानस इंटरप्राइजेस में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए दवा इंजेक्शन खरीदने पहुंची थीं। वहां पर मेडिकल दुकान संचालक जुगल किशोर ने 7500 रुपए वाले इंजेक्शन की कीमत 36 हजार रुपए बताई।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार इस मेडिकल संचालक के पास कई अन्य दवाएं भी मिली है, जिन्हें बेचने की परमिशन बिना कलेक्टर के नहीं दी जाती है। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार ग्राहक बनकर गई पुलिस आफिसर ने दुकान संचालक से तीन तरह के इंजेक्शन मांगे थे जिनकी कीमत एक लाख रुपए से ज्यादा आई थी। आरोपी जुगल किशोर ने तीन इंजेक्शन्स amphotericin b , liposomal amphotericin b और caspofungin injection की कीमत चार गुना बढ़ाकर बताई। जिसकी कीमत एक लाख से ज्यादा तय की गई थी।  

पुलिस ने आरोपी मेडिकल दुकान संचालक को गिरफ्तार कर लिया है। उसकी दुकान से बड़ी मात्रा में अवैध इंजेक्शन जब्त किए गए हैं। आरोपी दवाओं की शार्टेज बताकर तीन से चार गुमा दाम बताकर बेच रहा था। पुलिस ने आरोपी पर केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ जारी है, आरोपी ने पुलिस को बताया है कि वह उत्तर प्रदेश से यह इंजेक्शन मंगवाता था।

वैसे तो इस तरह की गिरफ्तारी प्रदेश में कई जगहों पर हो रही है, लेकिन यह मामला इसलिए अलग है कि आरोपी खुद पीड़ित रहा है। हाल ही में उसने अपनी पत्नी को इस कोरोना संक्रमण में खो दिया... बावजूद इसके उसकी बेईमानी पर कोई असर नहीं पड़ा है। अपने को खोकर भी इस शख्स ने कोई सबक नहीं लिया और धड़ल्ले से दवा की कालाबाज़ारी करने में लगा रहा। 

इंदौर डिविजन के रीजनल डायरेक्टर, हेल्थ सर्विसेज ने एक मीडिया समूह से बातचीत में कहा है कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा ब्लैक फंगस के मामले इंदौर डिविजन में ही देखने को मिले हैं। प्रदेश में ब्लैक फंगस का हर दूसरा मरीज़ इसी संभाग से आ रहा है। कुल 1224 मरीज़ों में से 48 फीसदी मरीज़ इस इंदौर संभाग में ही देखने को मिल रहे हैं। यानी ब्लैक फंगस ने मध्य प्रदेश के इस इलाके को सबसे ज्यादा अपनी चपेट में लिया है। बावजूद इसके ना तो मुस्तैदी सरकारी लेवल पर ज्यादा देखने को मिल रही है और ना ही सामाजिक तौर पर ईमानदारी की कोई नेक मिसाल पेश की जा रही है। जब इंसानियत संकट के दौर से गुजर रहा है और लोग खुद अपनों को इस बीमारी से तड़पकर मरते हुए देख रहे हैं तब भी बेईमानी की इंतेहां तक लोग कालाबाज़ारी करने में लगे हैं।