मध्य प्रदेश विधानसभा में लागू होगी भाषा की मर्यादा, अशोभनीय शब्दों पर लगेगी रोक

मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम का फैसला, वर्जित शब्दों की बनेगी सूची, शालीनता का रखना होगा विशेष ख्याल

Updated: Mar 11, 2021, 01:15 PM IST

Photo Courtesy : Financial express
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भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में अब भाषा की मर्यादा का ध्यान रखने पर खास ध्यान दिया जाएगा। विधायक अब विधानसभा के भीतर मनमाने तरीके से अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। नए विधानसभा अध्यक्ष ने फैसला किया है कि विधानसभा में अब पप्पू, फेंकू और बंटाधार जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। सभी पार्टियों ने विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का स्वागत किया है।

राजनीति में शुचिता लाने और जनप्रतिनिधियों द्वारा मर्यादा का सम्मान करने के लिहाज से यह सकारात्मक पहल है। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा, 'बजट सत्र के दौरान, हमें कार्यवाही की किताब से कई शब्दों को हटाना होगा क्योंकि विधायकों ने कई अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल किया है। भारत की संसद ने उन शब्दों की एक सूची बनाई है जिनका उपयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 105 (2) के तहत संसद सदस्यों द्वारा नहीं किया जा सकता है।'

विधानसभा अध्यक्ष ने आगे कहा, 'हम एमपी विधानसभा के लिए शब्दों की एक सूची बनाने जा रहे हैं जो आमतौर पर सदन में राजनेताओं द्वारा एक दूसरे पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं। झूठा जैसा शब्द असंवेदनशील है। विधायकों को 'असत्य' जैसे शब्दों का उपयोग करना चाहिए। हम विधायकों को उचित और सभ्य भाषा का उपयोग करने के लिए भी कहेंगे।'

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन शब्दों में पप्पू, फेंकू, बंटाधार, झूठा, गोदी, मामू, मंदबुद्धि जैसे कई अन्य शब्द शामिल हैं, जिनके इस्तेमाल पर विधानसभा अध्यक्ष ने रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि विधायकों को ऐसे शब्दों की एक सूची भी प्रदान की जाएगी, जिनका उपयोग विधानसभा में वर्जित होगा। साथ ही अनुशासन समिति अप्रैल महीने में विधायकों को प्रशिक्षित भी करेगी।

विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी विधायक ही अशोभनीय शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। कालापीपल विधायक ने कहा, 'यह भाजपा के नेता हैं, जिन्हें अश्लील शब्दों का इस्तेमाल करना और कांग्रेस नेताओं के परिवारों पर निजी हमले करना सिखाया जाता है। वे कई नेताओं का अपमान करते हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के लिए अपना पूरा जीवन बलिदान कर दिया। भाजपा विधायकों और मंत्रियों को इसके लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता है।'