केंद्रीय कृषि मंत्री के गृहक्षेत्र में अन्नदाता सड़क पर उतरने को मजबूर, मुआवजे की मांग को लेकर निकाली ट्रैक्टर रैली

किसानों ने भावांतर योजना को तत्काल बंद कर समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग की। इसके अलावा पीला मोजेक से हुए सोयाबीन की फसल को नुकसान को लेकर मुआवजे की मांग की है।

Updated: Oct 07, 2025, 04:56 PM IST

सीहोर। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र के अन्नदाता किसान सड़क पर उतरने को मजबूर हैं। सीहोर जिले की भैरूंदा तहसील में किसानों का आक्रोश सड़कों पर दिखाई दिया। किसान स्वराज संगठन के तत्वावधान में बड़ी संख्या में ग्रामीण क्षेत्र के किसान ट्रैक्टरों के साथ नगर की सड़कों पर रैली निकालकर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए।

किसानों ने कहा कि इस वर्ष अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल पूरी तरह चौपट हो गई है, लेकिन सरकार से राहत राशि नहीं मिली। किसानों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने 13 से अधिक जिलों के प्रभावित किसानों के खाते में राहत राशि तो डाली, लेकिन सीहोर जिला इससे वंचित रह गया। इस उपेक्षा ने किसानों की नाराजगी और बढ़ा दी है।

 किसानों ने भावांतर योजना को तत्काल बंद कर समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग की। इसके अलावा मक्का की खरीदी एसपी (समर्थन मूल्य) पर करने, भूमि अधिग्रहण बल के मामलों में उचित मुआवजा देने और बिजली विभाग द्वारा किसानों पर बनाए गए कथित झूठे प्रकरणों को समाप्त करने की मांग उठाई।

ग्राम झिरनिया के किसान मोहनलाल ने अपने खेत में खड़ी सोयाबीन की फसल को ट्रैक्टर-कल्टीवेटर से जोत दिया। उनका कहना है कि लगातार बारिश से सोयाबीन की फलियों में दाना नहीं बन पाया और पूरी फसल नष्ट हो गई। उन्होंने बताया कि पहले ही कर्ज लेकर फसल बोई थी, अब आगामी बुवाई के लिए फिर से कर्ज लेना पड़ेगा, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति और अधिक बिगड़ जाएगी।

भेरूंदा निवासी किसान नेता व कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा कि मध्य प्रदेश में भाजपा की नकली खाद, नकली बीज और नकली कीटनाशक से किसान परेशान हैं। पिछले दस साल से सोयाबीन का रेट जस का तस है। खाद, बीज और कीटनाशकों के दाम कई गुना बढ़ गए लेकिन फसल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सीहोर जिले में सोयाबीन का फसला पीला मोजेक से काफी प्रभावित हुआ है। लेकिन किसानों को राहत राशि नहीं मिली है। 

आनंद जाट ने केंद्रीय कृषि मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि स्थानीय संसद होने के नाते शिवराज सिंह चौहान को तो किसानों की सुध लेनी चाहिए। लेकिन वे सिर्फ वोट लेने किसानों के पास आते हैं। शिवराज सिंह चौहान को शर्म आनी चाहिए कि जिन किसानों का वोट लेकर सीएम से लेकर केंद्र में मंत्री बनते रहे, मुश्किल के वक्त उन्हें ही बेसहारा छोड़ दिया। शिवराज चौहान और मोहन यादव स्पष्ट रूप से सुन लें कि किसानों को MSP चाहिए भावांतर नहीं। आप व्यापारियों को MSP पर खरीदी के निर्देश क्यों नहीं देते? भावांतर का पैसा उन्हें ही दे देना। सरकार किसानों को मूर्ख बनाना बंद करे और MSP के वादे को पूरा करे।