बजट से पहले 28 दिन में पांचवीं बार कर्ज लेगी MP सरकार, फरवरी में प्रतिदिन औसतन लिया 500 करोड़ का कर्ज

शिवराज सरकार फरवरी महीने में अबतक चार बार कर्ज के चुकी है, 28 फरवरी को शिवराज सरकार एक बार फिर 3 हजार करोड़ का कर्ज लेगी, 3 लाख 10 हजार करोड़ के कर्ज में डूबा मध्य प्रदेश।

Updated: Feb 25, 2023, 12:56 PM IST

भोपाल। चुनावी साल में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार लगातार एक के बाद एक बाज़ार से कर्ज़ ले रही है। सिर्फ फरवरी महीने में शिवराज सरकार पांचवीं बार ऋण उठाने जा रही है। राज्य सरकार बजट से पहले 28 फरवरी को 3 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेगी।

शिवराज सरकार 1 मार्च को मध्य प्रदेश का बजट पेश करने वाली है। इसके ठीक एक दिन पहले 28 फरवरी को सरकार 3 हजार करोड़ रुपए कर्ज लेगी। यह कर्ज आरबीआई के माध्यम से 20 साल के लिए लिया जा रहा है। 1 मार्च 2043 तक इसे चुकाना होगा। राज्य सरकार ने कर्ज के लिए रिजर्व बैंक में बांड गिरवी रखे ​हैं।

फरवरी महीने में शिवराज सरकार अब तक तीन मर्तबा 3-3 हज़ार करोड़ और एक बार दो हजार करोड़ का कर्ज़ ले चुकी है। पांचवीं बार के कर्जे को मिलाकर इस महीने कुल 14 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो जाएगा। यानी फरवरी महीने के 28 दिनों में शिवराज सरकार पर औसतन प्रतिदिन 500 करोड़ का कर्ज होगा।

यह भी पढ़ें: कांग्रेस के संविधान में 6 बड़े संशोधन, कार्यसमिति में 50 फीसदी होगा महिलाओं और युवाओं का प्रतिनिधित्व

बता दें कि साल 2022 में मध्यप्रदेश सरकार को 57 हजार करोड़ का वित्तीय घाटा हुआ है। राज्य सरकार पर तीन लाख 10 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज हो चुका है। शिवराज सरकार ने पिछले दस महीने में दस हज़ार करोड़ का कर्ज़ लिया था। इसकी तुलना में अकेले फरवरी में शिवराज सरकार ने ज़्यादा कर्ज़ उठा लिया है। दरअसल, चुनावी लाभ उठाने के लिए शिवराज सरकार लगातार नई योजनाओं का ऐलान कर रही है। चूंकि, सरकार की जेब खाली है ऐसे में मजबूरन कर्ज लेना पड़ रहा है।

शिवराज सरकार की कर्जखोरी पर विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है। कांग्रेस प्रवक्ता आनंद जाट ने कहा, 'रिपोर्ट से साबित हो गया कि शिवराज सरकार "ऋण कृत्वा घृतं पीबेत" को चरितार्थ कर रही है। 2003 में दिग्विजय सिंह की सरकार के दौरान प्रदेश पर महज 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था। आज शिवराज सरकार ने इसे 15 गुना बढ़ा दिया। आज प्रदेश पर तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। प्रदेश के हर व्यक्ति के माथे कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। कर्ज लेकर नेता और अधिकारी घी पी रहे हैं लेकिन हमारे बच्चे भूखे हैं। कुपोषण के आंकड़े शिवराज सरकार की हकीकत बयां करती है।'