नर्मदा के पथिक पुस्तक का विमोचन, दिग्विजय सिंह और अमृता राय ने साझा किए नर्मदा यात्रा का अनुभव

दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा पर आधारित पुस्तक का विधानसभा सभागार में हुआ भव्य विमोचन, सिंह ने की अमित शाह की तारीफ, बताए नर्मदा परिक्रमा के सुखद अनुभव

Updated: Sep 30, 2021, 03:06 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी अमृता राय की नर्मदा यात्रा के खत्म होने के चार साल बाद आज उसपर लिखी गई पुस्तक का विमोचन हुआ। विमोचन कार्यक्रम राजधानी भोपाल स्थित विधानसभा सभागार में हुआ जहां कांग्रेस के दर्जनों नेता मौजूद रहे। नर्मदा के पथिक नाम से इस पुस्तक में दिग्विजय सिंह, उनकी पत्नी अमृता राय और उनके सहयात्रियों के अनुभवों का लेखा जोखा संकलित है। परिक्रमा यात्रा किन किन रास्तों से गुजरी और यात्रा के वृहद अनुभव एक संस्मरण के रूप में नर्मदा के पथिक नाम की इस पुस्तक में संजोए गए हैं।

खास बात ये है कि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दिग्विजय सिंह ने राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर अपने धुर विरोधी अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तारीफ की। सिंह ने नर्मदा यात्रा के यादगार पलों को साझा करते हुए बताया कि जब उनका काफिला गुजरात पहुंचा तो वहां विधानसभा चुनाव हो रहे थे। वैचारिक असहमतियों बावजूद अमित शाह ने अधिकारियों को मेरे पास भेजा था ताकि इस धार्मिक यात्रा के दौरान दुर्गम रास्तों में मदद मिल सके। 

दिग्विजय सिंह ने ये भी बताया कि बीजेपी और आरएसएस के कई लोगों ने भी उनके साथ यात्रा की थी। उन्होंने कहा कि मुझे उस बात की खुशी है कि नर्मदा यात्रा के बाद मेरे परिवार के सदस्यों में काफी बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने इस यात्रा के साक्षी रहे कई ऐसे सदस्य जो कोरोना के दौरान असमय मौत के मुंह में चले गए उन्हें श्रद्धांजलि भी दी। कार्यक्रम में सिंह और अमृता राय के अलावा राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, पूर्व लोकसभा सांसद रामेश्वर निखरा, पूर्व विधानसभा स्पीकर नर्मदा प्रजापति, वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी, पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और कांतिलाल भूरिया ने अपने विचार रखे। 

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विमोचन कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए सिंह की पत्नी व इस यात्रा की सहयात्री अमृता राय ने यात्रा के दौरान आई चुनौतियां और उनके निराकरण से संबंधित बातें साझा की। अमृता राय ने कहा, 'यात्रा के दौरान नर्मदा किनारे बसे लोगों का प्रेम मेरे ऊपर इस कदर हावी हो गया था कि मुझे न बुखार की चिंता होती, न पैरों का दर्द महसूस होता, न खाने पीने का ख्याल रहता न मैं ढंग से सो पाती थी। मुझे बस इस बात की उत्सुकता रहती कि आगे फिर नई जगह जाएंगे, वहां नए लोगों से मिलेंगे, उनसे बातचीत करने और उन्हें जानने समझने की मौका मिलेगा।' अमृता राय ने परिक्रमा के उद्देश्य पर बात करते हुए इसे पर्यावरण में आ रहे बदलाव की चिंता से भी जोड़ा।  उनका मानना है कि हमें प्रकृति के संरक्षण की ओर सोचना होगा, परिक्रमा का उद्देश्य प्रकृति का मनुष्य जीवन पर प्रभाव को समझना भी रहा है। नर्मदा के साथ आस्था के पवित्र भाव से जोड़कर यह दायित्व निभाने की जरूरत है।

नर्मदा के पथिक पुस्तक में क्या है

इस पुस्तक में मां नर्मदा की महिमा से लेकर बदहाली तक का वर्णन किया गया है साथ ही नर्मदा किनारे रहने वाले लोगों की पीड़ा भी बताई गई है। पुस्तक की प्रस्तावना में दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि, 'यह सिर्फ एक यात्रा वृत्तांत ही नहीं बल्कि एक ऐसा साक्षी दस्तावेज़ भी है जिसमें नर्मदा के तट पर बसने वाले लोगों के जीवन, धर्म, सामाजिक रीति-रिवाज, परंपराएँ, मान्यताएँ, उत्सवों और त्योहारों से जुड़े सभी पहलुओं का अद्भुत समावेश किया गया है।' पुस्तक शिवना प्रकाशन से छपी है और इसे लिखा है दिग्विजय सिंह के निजी सचिव व नर्मदा यात्रा के सहयात्री ओपी शर्मा ने। 

शिवना प्रकाशन के संस्थापक पंकज सुबीर इस पुस्तक को लेकर कहते हैं कि यह एक अलग तरह की किताब है। क्योंकि नर्मदा के किनारे की जो भौगोलिक स्थिति है और जो सामाजिक परिवेश है वो पहली बार किसी किताब के रूप में सामने आ रहा है। सुबीर ने कहा कि नर्मदा को लेकर पहले भी कई पुस्तकें आई लेकिन यह एकमात्र ऐसी पुस्तक है जिसमें एमपी, महाराष्ट्र और गुजरात की जीवनदायनी मानी जाने वाली मां नर्मदा के किनारे रह रहे लोगों की सभ्यता को पहचानने का प्रयास किया गया। पंकज सुबीर के मुताबिक इस पुस्तक में नर्मदा के किनारे की संस्कृति, बोली, भाषा, खान पान, रीति रिवाज, त्योहार इन सारी चीजों को समाहित किया गया है। इसे पढ़ने के बाद नर्मदा परिक्रमा करने की इच्छा जागृत होती है।