परेशान करने के लिए मेरा यहां ट्रांसफर किया गया, विदाई भाषण में बोले MP हाईकोर्ट के न्यायाधीश

मेरा तबादला आदेश गलत इरादे और मुझे परेशान करने के लिए किया गया। मुझे मेरे गृह राज्य से ट्रांसफर कर दिया गया था। मैं उनके अहंकार के संतुष्ट होने के लिए खुश हूं: जस्टिस रमण

Updated: May 21, 2025, 11:34 AM IST

इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जज जस्टिस दुप्पला वेंकट रमण ने कहा कि 2023 में गृह राज्य आंध्र प्रदेश से दुर्भावना और परेशान करने के लिए उनका ट्रांसफर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट किया गया। जस्टिस रमण 2 जून को रिटायर हो रहे हैं। मंगलवार को अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही।

जस्टिस रमण ने जजों और बार के सदस्यों के सामने अपने विदाई भाषण में कहा, 'ऐसा लगता है कि मेरा तबादला आदेश गलत इरादे और मुझे परेशान करने के लिए किया गया। मुझे मेरे गृह राज्य से ट्रांसफर कर दिया गया था। मैं उनके अहंकार के संतुष्ट होने के लिए खुश हूं। अब वे रिटायर हो चुके हैं। ईश्वर न तो क्षमा करता है और न भूलता है। उन्हें दूसरे तरीके से भी कष्ट उठाना पड़ेगा।'

जस्टिस रमण ने आगे कहा, 'मैंने आंध्र के बाद दूसरे विकल्प के रूप में कर्नाटक राज्य में ट्रांसफर चाहा था, ताकि मेरी पत्नी को बेहतर इलाज मिल सके। वह कोविड महामारी के कारण पैरोक्सिस्मल नॉन-एपिलेप्टिक दौरे और मस्तिष्क की बीमारी से पीड़ित थीं। लेकिन तत्कालीन मुख्य न्यायाधीशों के कार्यकाल के दौरान इस पर न तो विचार किया गया और न ही उसे खारिज किया गया।' 

उन्होंने कहा कि, 'मैंने 1 नवंबर 2023 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था। 19 जुलाई 2024 और 28 अगस्त 2024 को एक आवेदन भेजा, लेकिन उस पर न तो विचार किया गया और न ही खारिज किया गया। मैंने दूसरा अभ्यावेदन भेजा पर उसे भी न तो खारिज किया गया और न ही विचार किया गया। मेरे जैसे न्यायाधीश सकारात्मक मानवीय विचार की अपेक्षा करते हैं। मौजूदा चीफ जस्टिस जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई विचार कर सकते हैं, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है।'

अपने निजी जीवन के बारे में बताते हुए जस्टिस रमण ने कहा, 'मेरी जीवन यात्रा एक दूरदराज के गांव से शुरू हुई। वहां बिजली, सड़क, मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलती थीं। जब मैं 14 साल का था तब पहली बार बिजली देखी थी। 13 साल की उम्र में मेरे पिता की मृत्यु हो गई। मुझे मेरी मां और भाई ने पाला। उन्होंने मुझे पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहित किया। जीवन में कई चुनौतियों का सामना करने के बाद महसूस किया कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं है।'