बांध से 35 नहीं 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया, ओंकारेश्वर बाढ़ पर दिग्विजय सिंह ने सीएम शिवराज को घेरा

पानी कब और कितना छोड़ना चाहिए इसका नियंत्रण केवल टेक्निकल आधार पर होना चाहिए ना की मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों के आधार पर: दिग्विजय सिंह

Updated: Sep 21, 2023, 11:46 AM IST

ओंकारेश्वर। मध्य प्रदेश में पिछले दिनों हुई बारिश ने जमकर कहर बरपाया। लगातार हुई बारिश के कारण कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात निर्मित हो गए। बाढ़ का पानी उतरने के बाद अब तबाही के मंजर दिखने लगे हैं। गांव से लेकर शहर तक लोग अब अपने आशियाना समेट रहे हैं। जल तांडव के सबसे ज्यादा निशान तीर्थ नगरी ओमकारेश्वर में दिखे। यहां नर्मदा नदी के घाट के किनारों पर बसे लोगों की दुकान और मकान पानी में समां गए। ओंकारेश्वर बाढ़ के लिए पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों को जिम्मेदार बताया है। 

दिग्विजय सिंह ने कहा कि ओंकारेश्वर बांध से 50 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया जबकि आदेश महज 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने का था। पूर्व सीएम ने ट्वीट किया, 'माँ नर्मदा पर अनेक बाँधों के बनने के कारण बरगी से ले कर सरदार सरोवर तक वर्षा ऋतु में पानी कब और कितना छोड़ना चाहिए यह महत्वपूर्ण है। इसका नियंत्रण केवल टेक्निकल आधार पर होना चाहिए ना की मुख्य मंत्री या प्रधान मंत्री के कार्यक्रमों के आधार पर।'

दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि 
प्रधान मंत्री जी के जन्मदिन 17 सितंबर को सरदार सरोवर पूरा भरा रहे इसलिए पानी नहीं छोड़ा गया। ओंकारेश्वर बांध का पानी इसलिए नहीं छोड़ा गया क्योंकि मुख्य मंत्री जी का कार्यक्रम के कारण पुल ना डूब जाये। जब छोड़ा गया तो 50 हजार क्यूसेक पानी एकदम छोड़ा गया जब कि आदेश 35 हजार क्यूसेक पानी छोड़ने तक का ही है। इसी के कारण ओंकारेश्वर का पूरा बाज़ार डूब गया। दुकानदारों को लाखों का नुक़सान हो गया।

दिग्विजय सिंह ने आगे लिखा कि, 'इसी प्रकार सरदार सरोवर का पानी ना छोड़ने के कारण बड़वानी के कई गाँवों में पानी घुस गया और करोड़ों का नुक़सान हो गया। इसके लिए केवल मोदी जी व शिवराज जी को प्रसन्न करने के लिए शासकीय अधिकारी ज़िम्मेदार हैं।' सिंह ने मांग करते हुए कहा कि इनके ऊपर ज़िम्मेदारी तय कर दंडित करना चाहिए व तत्काल सर्वे कर जो किसानों का और दुकानदारों का नुक़सान हुआ है पर्याप्त मुआवज़ा मिलना चाहिए।

बता दें कि बीते दिनों तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में बारिश ने अपना रौद्र रूप दिखाया। यहां नर्मदा घाट और उनके किनारे की दुकानें डूब गई, जिसके कारण भारी नुकसान हुआ है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये पानी जानबूझकर रोका गया और बाद में एक साथ छोड़ा गया जिसके कारण ये तबाही हुई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जगतगुरु शंकराचार्य की मूर्ति के उद्घाटन का कार्यक्रम 18 सितंबर को प्रस्तावित था और इसके पहले 15 सितंबर को मुख्यमंत्री को ओंकारेश्वर जाना था। मुख्यमंत्री जी को एक रपटे पर से होकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचना था। इसलिए प्रशासन ने ओंकारेश्वर बांध के फाटक बंद रखे ताकि रपटे के ऊपर से पानी न आ जाए।' 

स्थानीय लोगों ने बताया कि 15 सितंबर को मुख्यमंत्री ओंकारेश्वर पहुंचे, जबकि उससे पहले ही बांध में लगातार पानी बढ़ रहा था, जिसके चलते बांध के फाटक खोलने की बहुत आवश्यकता थी। लेकिन प्रशासन पर अघोषित दबाव था कि बांध के फाटक ना खोले जाएं, इसलिए कई दिन की बरसात के बावजूद बांध में पानी बढ़ने दिया गया। जब मुख्यमंत्री ने 15 सितंबर का कार्यक्रम पूर्ण कर लिया, उसके बाद बांध के फाटक एकदम से खोल दिए गए और ओंकारेश्वर तीर्थ क्षेत्र तथा नदी के बहाव के निचले इलाकों में बहुत तेजी से बाढ़ का पानी घुसा। इससे पहले कांग्रेस प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे शिवराज निर्मित आपदा करार दिया था।