दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसान, एमपी के किसान सम्मेलन में भाषण देंगे मोदी

दिल्ली की सीमाओं पर कड़कड़ाती ठंड में अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं किसान, लेकिन पीएम मोदी उनसे बात करनी की जगह इवेंट की आयोजित कार्यक्रमों के ज़रिए प्रचार में मशगूल हैं

Updated: Dec 17, 2020, 10:52 PM IST

Photo Courtesy : ABP
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नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर लाखों की संख्या में विभिन्न राज्यों के किसान अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। कड़कड़ाती ठंड में भी खुले आसमान के नीचे पिछले तीन हफ्तों से डटे किसानों से पीएम मोदी ने अब तक सीधे बात नहीं की है। लेकिन आंदोलनकारी किसानों से बात कर समस्या सुलझाने की बजाय पीएम मोदी इवेंट की तरह आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों के जरिए प्रचार पर ज़ोर दे रहे हैं। इसी कड़ी में कच्छ के बाद पीएम अब मध्य प्रदेश के किसानों को संबोधित करेंगे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से इस बात की जानकारी दी गई है कि पीएम मोदी कल यानी शुक्रवार दोपहर 2 बजे किसानों को संबोधित करेंगे। सीएमओ ने ट्वीट किया, '18 दिसंबर को प्रदेश भर में होने वाले किसान सम्मेलनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी दोपहर 2 बजे किसानों को संबोधित करेंगे।'

 

किसानों को समझाने के लिए बीजेपी पहले से ही एमपी में संभाग स्तर पर किसान सम्मेलन का आयोजन कर रही है। अब शुक्रवार को किसान महासम्मेलन का आयोजन कर रही है। दोपहर 2 बजे पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए एमपी के किसानों को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन का सीधा प्रसारण प्रदेश की लगभग 23 हजार ग्राम पंचायतों में किया जाएगा। इस दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रायसेन में मौजूद रहेंगे। वहीं जिला मुख्यालयों में राज्य सरकार के मंत्री और भाजपा के विधायक मौजूद रहेंगे।

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यह भी कहा जा रहा है कि इस मौके पर राज्य के 35 लाख किसानों के खातों में 1600 करोड़ रुपये की राहत राशि हस्तांतरित की जाएगी। इसी दौरान खरीफ-2020 फसल हानि की राहत राशि का भी वितरण किया जाएगा। प्रधानमंत्री करीब 2,000 पशु एवं मछली पालक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड का भी वितरण करेंगे।

पीएम मोदी की किसानों के एक खास वर्ग को साधने की यह कवायद सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी के तुरंत बाद सामने आई है जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि है कि देश के किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है। सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि हम कृषि कानूनों पर बने गतिरोध का समाधान करने के लिए कृषि विशेषज्ञों और किसान संघों के निष्पक्ष और स्वतंत्र पैनल के गठन पर विचार कर रहे हैं।'