पराली जलाने वाले किसानों का केस नहीं लड़ेंगे वकील, MP हाइकोर्ट बार एसोसिएशन का सख्त फैसला
रिपोर्ट्स के अनुसार MP देश में पराली जलाने के मामले में नंबर 1 राज्य बन गया है। ऐसे में अब हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पराली जलाने वाले किसानों के केस नहीं लड़ने का निर्णय लिया है।
जबलपुर। देश में सर्वाधिक वन आवरण होने के बाद भी मध्य प्रदेश में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। हवा में प्रदूषण की बढ़ती मात्रा का कारण सड़क की धूल, वाहन और उद्योगों के साथ-साथ पराली (नरवाई) है। हालात ये हैं कि पराली जलाने में मध्य प्रदेश ने पंजाब और हरियाणा को भी पीछे छोड़ दिया है। अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने पराली जलाने वाले किसानों का केस नहीं लड़ने का निर्णय लिया है।
पर्यावरण और जनहित को देखते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार ने कार्यकारिणी सभा की बैठक में निर्णय लिया है कि पराली जलाने वाले किसानों की कोई भी वकील पैरवी नहीं करेगा। हाईकोर्ट बार ने सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया है। बार अध्यक्ष का कहना हैं कि किसानों को यह बताया जाएगा कि पराली का सही तरीके से उपयोग करने से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता डीके जैन ने बताया कि बैठक में पराली जलाने के कारण होने वाले गंभीर पर्यावरणीय खतरों और जनजीवन पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों पर चर्चा की गई। पराली जलाने से खेतों की उर्वरता प्रभावित होती है, जीव-जंतुओं की मौत होती है, वायुमंडल जहरीला बनता है और लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
मध्य प्रदेश में पलारी (फसल अवशेष) जलाने पर पर्यावरण संरक्षण कानूनों के तहत कार्रवाई की जाती है। इस पर विभिन्न कानूनों के तहत अपराध दर्ज किया जा सकता है, जैसे वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 जिसके तहत पलारी जलाना वायु प्रदूषण फैलाने का अपराध माना जाता है। इसमें दोषी पाए जाने पर जुर्माना या कारावास हो सकता है। वहीं, बार एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कि देशहित में पराली जलाने पर प्रतिबंध का समर्थन करते हुए इससे जुड़े अपराधियों की पैरवी नहीं की जाएगी।
बता दें कि मध्य प्रदेश में पराली जलाने के आंकड़े चिंताजनक हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में 15 सितंबर से 18 नवंबर 2024 के बीच लगभग 27 हजार 319 मामले पराली जलाने के सामने आए हैं। इसमें बताया गया है कि सबसे ज्यादा पराली के मामले मध्य प्रदेश के श्योपुर में रिकॉर्ड किए गए हैं। MP में 15 सितंबर से 14 नवंबर 2024 के बीच पराली जलाने की जो घटनाएं सामने आईं, उनमें सर्वाधिक 489 श्योपुर में दर्ज की गईं। जबलपुर में 275 घटनाएं हुईं तो ग्वालियर, नर्मदापुरम्, सतना, दतिया जैसे जिलों में लगभग 150-150 घटनाएं दर्ज की गईं। यह आंकड़ें पंजाब और हरियाणा जैसे कृषि प्रधान प्रदेशों से भी अधिक हैं।