Supreme Court: एमपी विधानसभा अध्यक्ष एक हफ़्ते में बताएं कांग्रेस के बागी 14 मंत्रियों की अयोग्यता पर कब करेंगे फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के बागी 22 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर की सुनवाई, विधानसभा अध्यक्ष को देना है जवाब

नई दिल्ली। कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में गए बागी 22 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने विधान सभा सचिवालय से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। सचिवालय को एक सप्ताह में यह बताना है कि विधानसभा अध्यक्ष कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने का फैसला कब करेंगे। इन बागी 22 विधायकों में से 14 को बीजेपी सरकार में मंत्री बना दिया गया है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया शरद अरविंद बोबड़े, जस्टिस एएस बोपन्ना व जस्टिस वी रामासुब्रमनयम की बेंच ने इस मामले पर दायर याचिका की सुनवाई में यह निर्देश दिया। यह याचिका जबलपुर से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के बागी 22 विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिका पर विचार न करने के मामले में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सहित अन्य को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने 21 सितंबर तक जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
SC directs MP Speaker / Vidhan Sabha Secretariat to inform the court abt its decision on pending disqualification applications ag 14 Ministers in M.P. Cabinet under Schedule 10 of the constitution next week.
— Vivek Tankha (@VTankha) September 22, 2020
विधायक सक्सेना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तंखा ने कोर्ट को बताया कि मार्च 2020 में कांग्रेस के 22 विधायकों को भाजपा की मिलीभगत से बेंगलुरु ले जाकर रखा गया। 10 मार्च को इन विधायकों के त्यागपत्र भी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष पेश किए गए थे। 13 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष कांग्रेस की ओर से इन विधायकों को अयोग्य करने के लिए याचिका दायर की गई। बाद में विधायकों के त्यागपत्र तो मंजूर कर लिए गए लेकिन इन्हें अयोग्य घोषित करने के लिए दायर याचिका पर विचार नहीं किया गया जबकि इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन माह का समय तय किया है।
सुनवाई के दौरान विधानसभा सचिव ने तीन सप्ताह का समय मांगा। इस पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि तीन हफ्ते का समय क्यों चाहिए? कोर्ट ने कहा कि जब तमिलनाडु विधानसभा अध्यक्ष आदेश पारित करने के लिए सहमत हो गए तो एमपी विधानसभा अध्यक्ष भी सहमत क्यों नहीं है।