पेसा कोऑर्डिनेटर्स नियुक्ति घोटाले की जांच के लिए STF गठित करें, दिग्विजय सिंह ने लिखा सीएम शिवराज को पत्र

मेरिट को दरकिनार कर बीजेपी-आरएसएस के कार्यकर्ताओं को पेसा कोऑर्डिनेटर नियुक्त करने का मामला, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर की जांच की मांग

Updated: Mar 16, 2023, 03:59 PM IST

भोपाल। पेसा कोऑर्डिनेटर नियुक्ति मामले में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार चौतरफा घिरी हुई है। राज्य सरकार पर मेरिट को दरकिनार कर आरएसएस और भाजपा कार्यकर्ताओं को पेसा कोऑर्डिनेटर नियुक्त करने के आरोप लग रहे हैं। अब इस मामले में राज्यसभा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने स्पेशल टास्क फोर्स (STF) गठित करने की मांग की है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एसटीएफ गठित कर नियुक्तियों की जांच कराने के संबंध में सीएम शिवराज को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री को संबोधित पत्र में सिंह ने लिखा है, 'मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत उद्यमिता विकास केन्द्र मध्यप्रदेश के माध्यम से राष्ट्रीय ग्राम स्वराज आर.जी.एस.ए. योजना अंतर्गत पैसा ब्लॉक कोऑर्डिनेटर के 89 पदों पर नियुक्ति होनी थी।'

सिंह ने आगे लिखा, 'उद्यमिता विकास केन्द्र द्वारा दिनांक 08.02.2022 को उक्त पदों के लिये चयनित करीब 900 अभ्यार्थियों के साक्षात्कार निरस्त किये जाने की सूचना जारी की गई थी। मुझे बताया गया है कि इन पदों पर आपकी पार्टी से जुड़े अनुशांगिक संगठन के लोगों की बिना साक्षात्कार के नियुक्ति किये जाने की प्रक्रिया की जा रही है। इस तरह प्रदेश के हजारों अनुसूचित जनजाति सहित गरीब वर्ग के बेरोजगार नौजवानों के साथ अन्याय करना उचित नहीं है।' 

सिंह ने मांग करते हुए लिखा, 'पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा पेसा एक्ट के तहत अनुसूचित जनजाति के लिये अधिसूचित ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर के पदों पर उद्यमिता विकास केन्द्र के माध्यम से की जा रही नियुक्तियों की एस.टी.एफ. गठित कर जांच कराने के निर्देश दें।' बता दें कि पेसा समन्वयकों की नियुक्तियों को लेकर आदिवासी संगठन ‘जयस’ के कार्यकर्ताओं ने भी मोर्चा खोल रखा है। जयस कार्यकर्ता जिला और ब्लॉक स्तर पर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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व्यापमं घोटाले के व्हिसलब्लोअर डॉ आनंद राय ने कई कॉर्डिनेटर्स की तस्वीरें भी साझा की हैं, जिसमें देखा जा सकता है कि वे आरएसएस का गणवेश धारण किए हुए हैं। खास बात ये है कि इस मुद्दे पर जयस के सभी गुट एकजुट होकर शिवराज सरकार का विरोध कर रहे हैं।

यह मसला इसलिए बड़ा रूप ले रहा है क्योंकि राज्य में लगभग 22 फीसदी आदिवासियों की जनसंख्या पर दोनों ही राजनीतिक दलों की निगाह है। पिछले कुछ वर्षों में आदिवासी समाज के बीच सेंध लगाने में बीजेपी ने ऐडी चोटी एक कर दी है क्योंकि प्रदेश की सैंतालीस सीटों पर उसकी पकड़ अब तक ज्यादा मजबूत नहीं रही है। हालांकि इन नियुक्तियों ने आदिवासियों के मन में बीजेपी के पक्षपातपूर्ण रवैय्ये को और हवा दे दी है।