एम्बुलेंस मिली नहीं, 10 किमी साइकिल चला कर अस्पताल पहुंचा कोरोना मरीज
Corona in MP: शहडोल में प्रशासन और शिवराज सरकार के दावों की खुली पोल, शहर के बीच 10 किमी घुमा कोरोना मरीज

शहडोल। मध्यप्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलों ने शिवराज सरकार के तमाम दावों को धता बता दिया है। इसी बीच शहडोल जिले की एक घटना ने सरकारी तंत्र और व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। जिले में एम्बुलेंस न मिलने के कारण एक युवक को मजबूरी में 10 किलोमीटर साइकिल चलाकर खुद से अस्पताल में भर्ती होने के लिए जाना पड़ा। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिले में संसाधनों की कोई कमी नहीं है।
दरअसल, गुरुवार (03 सितंबर) को शहडोल के पांडव नगर के वार्ड क्रमांक 7 में रहने वाले धर्मेंद्र सेन की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जिले के किसी निजी कपड़ा दुकान में दिहाड़ी मजदूरी कर जीवन-यापन करने वाले धर्मेंद्र के कोरोना संक्रमित होने की खबर लगते ही उनके परिवार वाले दहशत में आ गए। इसके बाद उन्होंने यह बात पड़ोसियों को बताई ताकि कुछ मदद मिल सके। पड़ोसियों में यह खबर फैलते ही उन्होंने धर्मेंद्र पर अस्पताल में भर्ती होने का दबाव बनाना शुरू कर दिया।
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धर्मेंद्र के परिजनों ने जिला कोविड-19 अस्पताल में कई बार फोन कर एम्बुलेंस भेजने की गुहार लगाई। बावजूद इसके कई घंटों तक न तो एम्बुलेंस आया न कोई स्वास्थ्य विभाग का अधिकारी या कर्मचारी। अंततः तक हार कर और मोहल्ले के लोगों के दबाव में आकर उन्होंने अस्पताल से खुद ही साइकिल चलाकर आने की अनुमति मांगी जिसे अस्पताल ने मान लिया। इसके बाद वह अपनी साइकिल उठाकर अस्पताल में भर्ती होने के लिए रवाना हो गए।
हकीकत बयान करती मध्यप्रदेश @ChouhanShivrajसरकार की कहानी शहडोल में कोरोना संक्रमित मरीज को लाख कोशिशों के बाद भी एम्बुलेंस नहीं मिला, मजबूरी में वो कई किलोमीटर साइकिल चलाकर खुद मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती होने पहुंचा @INCMP @OfficeOfKNath @digvijaya_28 @pushpak_bakshi pic.twitter.com/M7LdZkgtW1
— Manish Minda (@MindaManish) September 4, 2020
कोरोना संक्रमित द्वारा शहर के बीचों-बीच साइकिल चलाकर अस्पताल जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वायरल हो रहे वीडियो देखा जा सकता है कि वह सायकिल चलाकर भीड़-भाड़ वाले इलाकों से गुजर रहे हैं। इस दौरान वह बीच-बीच में रुकते भी हैं। मामले पर स्वास्थ्य विभाग के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। उनका कहना है कि मरीज को एम्बुलेंस का इंतजार करना चाहिए था। बहरहाल, तमाम दावों के बीच शिवराज सरकार और प्रशासन के कार्यशैली पर यह घटना प्रश्नचिन्ह है।