डूब की कगार पर खड़े हैं हजारों परिवार, मेधा पाटकर की अगुवाई में बड़वानी में NBA का जल सत्याग्रह शुरू
पिछले साल से कई परिवार शासकीय भवनों में, कई परिवार किराए या रिश्तेदारों के मकानों में और 2019 से टीनशेड्स में रखे गए 500 परिवारों का आजतक पूर्ण पुनर्वास नहीं हो पाया है: मेधा पाटकर
बड़वानी। मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के डूब क्षेत्र कसरावद गांव में एक बार फिर जल सत्याग्रह शुरू हो गया है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने समाज सेवी मेधा पाटकर की अगुवाई में सत्याग्रह की शुरुआत की है। मेधा पाटकर का कहना है कि नर्मदा का जल स्तर 136 मीटर से ऊपर पहुंच चुका है। हजारों परिवार डूब की कगार पर खड़े हैं। कानून और न्यायिक आदेशों का उल्लंघन किया जा रहा है। बिना पुनर्वास हमें डूब नामंजूर है।
मेधा पाटकर ने कहा कि 13 सितंबर की रात ओंकारेश्वर बांध के 8 गेट खोले गए हैं। उसका जलप्रवाह, इंदिरा सागर से निकासित जलप्रवाह सरदार सरोवर क्षेत्र में पहुंचने पर बड़वानी, धार, खरगोन तक के गांव, खेती, अलिराजपुर जिले की खेती भी, पुनर्वास के सभी लाभ न पाते हुए डूब सकती है। पिछले साल से कई परिवार शासकीय भवनों में, कई परिवार किराए या रिश्तेदारों के मकानों में और 2019 से टीनशेड्स में रखे गए 500 परिवारों का आजतक पूर्ण पुनर्वास नहीं हो पाया है।
मेधा पाटकर ने आगे कहा, 'आज मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र तथा केंद्र शासन को चेतावनी भरा आवाहन भी है कि नर्मदा के बांधों से जलनियमन प्रभावी, समयबद्ध तरीके से करें। सरदार सरोवर के गेट पर्याप्त मात्रा में खोलकर जलस्तर अब आगे नहीं बढ़ने दें। पीढ़ियों पुराने नर्मदा किनारे बसे परिवारों को बर्बाद न करें और आने वाले वर्षभर में युद्ध स्तरीय कार्रवाई के द्वारा सबका न्यायपूर्ण पुनर्वास करें।'