राज्यपाल की मेहमाननवाजी पड़ी आदिवासी को महंगी, 14 हजार रुपए चुकाने का सुनाया गया फरमान

विदिशा के घाटखेड़ी का मामला, 24 अगस्त को राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने किया था बुद्धराम आदिवासी के घर भोजन, पीएम आवास योजना के अंतर्गत हुआ था बुद्धराम का नए घर में गृह प्रवेश, राज्यपाल के लिए स्वागत सत्कार के लिए जिला प्रशासन और पंचायत ने सजवाया बुद्धराम का घर, अब उसी सजावट के बदले बुद्धराम को चुकाने हैं 14 हज़ार रुपए

Publish: Dec 26, 2021, 01:03 PM IST

Photo Courtesy: NDTV
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विदिशा/भोपाल। मध्य प्रदेश के राज्यपाल का अपने घर स्वागत करना एक आदिवासी को भारी पड़ गया है। राज्यपाल के स्वागत सत्कार के बाद अब आदिवासी को 14 हजार रूपए चुकाने का फरमान सुनाया गया है। जल्द से जल्द राशि चुकाने के लिए पीड़ित आदिवासी पर दबाव बनाए जाने की खबरें भी आ रही हैं। इन सबके बीच दिखावटीपन के एवज में पीड़ित को परेशान करते प्रशासन का भंडाफोड़ हो गया है। 

क्या है मामला 

विदिशा के घाटखेड़ी निवासी बुद्धराम आदिवासी को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान मिला। बुद्धराम के गृह प्रवेश के दिन यानी 24 अगस्त को खुद प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल बुद्धराम के घर पहुंचने वाले थे। राज्यपाल के आने की खबर लगते ही जिला प्रशासन और पंचायत बुद्धराम के घर की सजावट में जुट गए। 

राज्यपाल के आगमन से पहले बुद्धराम के मकान में पुताई करवाई गई, पंखे, खिड़कियां और भारी भरकम गेट लगवाए गए। तय कार्यक्रम के अनुसार राज्यपाल बुद्धराम आदिवासी के घर पहुंचे। महामहिम ने बुद्धराम के घर का फीता काटा और आदिवासी के घर पर दोपहर का भोजन भी किया। 

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लेकिन राज्यपाल के वहां से जाने के ठीक अगले दिन ही बुद्धराम के घर से पंखा निकाल लिया गया। ग्राम पंचायत की टीम सीलिंग फैन के साथ साथ घर में रखे गए अन्य सामान भी ले गई। अब राज्यपाल की स्वागत के लिए बुद्धराम के घर में लगाए गए गेट का पैसा उनसे मांगा जा रहा है। खुद बुद्धराम का कहना है कि गेट लगवाते वक्त सरपंच ने गेट का खर्चा खुद वहन करने का वादा किया था। 

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पीड़ित बुद्धराम ने मीडिया को बताया कि उज्ज्वला योजना के तहत गैस सिलेंडर भी उन्हें राज्यपाल के आने से पहले ही मुहैया कराया गया था। बुद्धराम एक दिहाड़ी मजदूर हैं और जैसे तैसे 6 लोगों का उनका परिवार गुजर बसर करता है। वे खुद प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिले मकान में नहीं रहते हैं। घर का काम अधूरा होने के कारण वे पुराने टपरे में ही अपने परिवार के साथ रहते हैं।