विफलताओं और जन विरोधी नीतियों का स्मारक है नरेंद्र मोदी का कार्यकाल, भूपेश बघेल ने बोला हमला
BJP के नेता इन 11 वर्षों का खूब ढोल पीट रहे हैं, लेकिन अगर देखें कि 11 साल में आपको क्या मिला है तो पाएंगे कि BJP सरकार की सारी योजनाएं विफल हो गई हैं: भूपेश बघेल

नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र के कार्यकाल के ग्यारह साल पूरे होने पर बीजेपी खेमे में जहां जश्न मनाया जा रहा है वहीं विपक्षी दल कांग्रेस विभिन्न मुद्दों पर हमलावर है। कांग्रेस महासचिव व छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि नरेंद्र मोदी के 11 साल विफलताओं और जन विरोधी नीतियों का शानदार स्मारक हैं। उन्होंने शुरुआत में लोगों को सपने दिखाए और 11 साल पूरे होते-होते सिंदूर उजाड़ने तक पहुंच गए।
भूपेश बघेल ने बुधवार को AICC मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि BJP के नेता इन 11 वर्षों का खूब ढोल पीट रहे हैं, लेकिन अगर देखें कि 11 साल में आपको क्या मिला है तो पाएंगे कि BJP सरकार की सारी योजनाएं विफल हो गई हैं।मोदी जी की पूरी राजनीतिक यात्रा विघटन और विभाजन की रही है। BJP के 11 साल के कार्यकाल में पूरा देश असुरक्षित महसूस कर रहा है, क्योंकि नरेंद्र मोदी कभी कहते हैं कि लोगों की कपड़ों से पहचान हो जाती है, कभी पंचर बनाने वाली बातें करते हैं, कभी श्मशान और कब्रिस्तान की बात करते हैं, आदिवासी-दलितों पर अत्याचार से वह विचलित नहीं होते, लोगों का अपमान करने में उन्हें मजा आता है, BJP के लोग जनता को प्रताड़ित करते हैं, फिर भी किसी के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती।
बघेल ने आगे कहा, 'भारत की अपनी विदेश नीति रही है। नेहरू जी के कार्यकाल से लेकर मनमोहन जी तक इस नीति में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, जिसके कारण पूरी दुनिया के लोग भारत की आवाज को गंभीरता से सुनते भी थे और जुड़ते भी थे। लेकिन हाल ही में जो आतंकवादी घटना घटी, पूरी दुनिया ने उसकी आलोचना तो की, लेकिन कोई देश हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। ऊपर से जब भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष चल रहा था, तब अमेरिका के राष्ट्रपति ने आधे घंटे पहले ट्वीट कर कहा कि- मैंने सीजफायर करवा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बात को कई बार कहा, जिसके कारण पूरा देश अपमानित महसूस कर रहा है, क्योंकि इसके पहले भारत ने कभी दूसरे देश की मध्यस्थता स्वीकार नहीं की थी। नरेंद्र मोदी चुनाव के समय तो खूब बोलते हैं, लेकिन ऐसे समय में वह चुप्पी साध लेते हैं। आखिर उनकी क्या मजबूरी है?'
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि पीएम मोदी के 11 साल के कार्यकाल में संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हुआ है। उन्होंने कहा, 'संवैधानिक संस्थाएं प्रजातंत्र को मजबूत करने का काम करती थीं, लेकिन आज सभी संस्थाएं मोदी सरकार के दबाव में हैं।स्थिति ये है कि पहली बार देश में प्रधानमंत्री के बारे में चर्चा हो रही है कि वो अनपढ़ हैं या साक्षर हैं। PM मोदी कुपढ़ हैं, तभी तो विज्ञान के युग में 'नाली की गैस से खाना पकाने और बादलों में रडार काम नहीं करता' ये ज्ञान बांटते हुए हमने देखा है। 11 साल में छल, प्रपंच, झूठ की राजनीति रही, सच को जनता से छिपाया गया, अमीर और अमीर बना, गरीब और गरीब बना। 'न खाऊंगा, न खाने दूंगा' के विपरीत 'चंदा दो, धंधा लो' के सिद्धांत पर इनकी राजनीति रही।'
भूपेश बघेल ने आगे कहा कि BJP की सरकार ने नौजवानों को छलने का काम किया है। सरकार ने कहा था हर साल 2 करोड़ रोजगार देंगे, लेकिन हालात यह है कि रेलवे में भर्ती बंद है, आरक्षण का पालन नहीं किया जा रहा है। जो सरकारी रिक्त पद हैं, उसको भरा नहीं जा रहा है। देश में अर्थनीति से लेकर विदेश नीति सब कुछ छिन-भिन्न हो गई है। प्रधानमंत्री कैमराजीवी हैं, उन्होंने देश से जितने दावे किए, वो सब झूठे निकले। सरकार ने इस तरह से योजना बनाई है, जिसका लाभ आम जनता नहीं ले पा रही है। मोदी सरकार 'आयुष्मान भारत योजना' ले कर लाई, लेकिन लोग इसका लाभ नहीं ले पा रहे हैं। 'उज्ज्वला योजना' आई, लेकिन देश के लाखों लोग सिलेंडर रिफिल नहीं करा पाए और लगातार दाम बढ़ते गए। सरकार जनगणना नहीं करा रही, ऐसे में लाखों लोग हैं, जिन्हें सरकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सरकार महिला आरक्षण की बात करती है, लेकिन वो लागू कब किया जाएगा, उसपर कोई जवाब नहीं है और यही हाल जातिगत जनगणना के विषय में भी है।'
उन्होंने कृषि के मुद्दों पर कहा, 'नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने और स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू करने की बात कही थी, लेकिन आज किसान अपनी फसल को औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हैं। आज हालात ये हैं कि पूरे देश में DAP नहीं मिल रहा, कई राज्यों में बीज उपलब्ध नहीं हैं। नरेंद्र मोदी फसल बीमा योजना से अपने मित्रों को लाभ पहुंचा रहे हैं, कृषि का 30% ही इसमें कवर हो रहा है और बीमा की राशि मिलने में 6 महीने से 1 साल तक लग रहा है। अभी कई राज्यों में बेमौसम बारिश हुई, ओले गिरे, फसल बर्बाद हुई, लेकिन बीमा का पैसा नहीं मिला। नल-जल योजना असफल साबित हुई, टंकी तो बन गई, लेकिन पाईप लाइन नहीं बिछी, कहीं पाईप लाइन लगी तो उसमें पानी नहीं आ रहा। कई इलाके पानी के टेंकर पर निर्भर हैं, पहले राज्य सरकारें ट्यूबवेल करवाती थीं तो उसके लिए पैसा देना बंद हो गया है।'