सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग ने हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर को बताया फर्जी

न्यायिक आयोग की जाँच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक करने को कहा, आयोग ने फर्जी एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिस वालों पर हत्या का मामला चलाने की सिफारिश की है 

Publish: May 20, 2022, 10:14 AM IST

नई दिल्ली। 
हैदराबाद में पुलिस की ओर से वर्ष 2019 में किये गए एनकाउंटर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग ने फर्जी बताया है। आयोग ने इस एनकाउंटर में शामिल 10 पुलिस वालों पर हत्या का मामला दर्ज कर केस चलाने की सिफारिश भी की है। बता दें कि 26 नवंबर 2019 को हैदराबाद में एक महिला वेटनरी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। ये मामला सुर्ख़ियों में आने के बाद 6 दिसंबर को तड़के पुलिस ने इस काण्ड में शामिल चारों आरोपियों को एक संदिग्ध एनकाउंटर में मार गिराया था। 

पुलिस के इस एनकाउंटर पर सवाल उठने पर सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जस्टिस वीएस सिरपुरकर की अध्यक्षता में एक न्यायिक आयोग का गठन किया था। इसी आयोग ने अपनीं जाँच रिपोर्ट में हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताया है। हालांकि इस आयोग को अपनी जाँच रिपोर्ट 6 महीने के भीतर देने को कहा गया था। पर कोरोना के चलते आयोग ने अपनी रिपोर्ट इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। इस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ये रिपोर्ट खोली गई। 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली बेच ने तेलंगाना सरकार की रिपोर्ट को गोपनीय रखने की अपील को ठुकराकर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को कहा है। तेलंगाना सरकार को ओर से पेश वकील के अनुरोध को ठुकराते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे आदेश पर ये जाँच हुई और इसमें कुछ लोगों को दोषी पाया गया, इसमें गोपनीयता जैसी कोई बात नहीं है। राज्य सरकार रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई करे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को हाईकोर्ट को भेज दिया है। 
सिरपुरकर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में आरोपियों के साथ पुलिस के मुठभेड़ पर ही सवाल उठाये हैं। आयोग ने पुलिस की इस दलील को नहीं माना कि आरोपी ने पुलिस की पिस्तौल छीन ली और भागने की कोशिश की। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अभियुक्तों पर पुलिस द्वारा जानबूझ कर इस तरह गोलियां चलाई गई ताकि वो मर जाएं। एनकाउंटर में मारे गए चार आरोपियों में से तीन नाबालिग थे।