डूब जाएगा मुंबई का नरीमन प्वॉइंट और मंत्रालय, बीएमसी ने की भविष्यवाणी

प्रकृति के संकेतों पर नहीं जागे तो अगले २५ वर्षों में ही दक्षिण मुंबई के 80 फ़ीसदी इलाक़े मानचित्र से मिट जाएँगे.. बीएमसी कमिश्नर ने कहा जलवायु परिवर्तन का संकट अब हमारे दरवाज़े तक पहुँच चुका है

Updated: Aug 29, 2021, 04:17 AM IST

मुंबई। बृहन्मुंबई महानगर पालिका के कमिश्नर इक़बाल सिंह चहल ने शहर के बारे में एक भयावह भविष्यवाणी करते हुए कहा है कि समुंद्र के बढ़ते जल स्तर के कारण 2050 तक नरीमन प्वाइंट, मंत्रालय सहित दक्षिण मुंबई का करीब 80 फीसदी क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा। मुंबई जलवायु कार्य योजना और उसकी वेबसाइट के उद्घाटन के अवसर पर उन्होंने ये बातें कहीं। इस दौरान महाराष्ट्र के पर्यावरण और पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे भी मौजूद थे।

चहल ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण दक्षिण मुंबई के ए,बी,सी और डी वार्ड का करीब 70 फीसदी क्षेत्र पानी में समा जाएगा। पर्यावरण इस बात की बार-बार चेतावनी दे रहा है, ऐसे में अगर लोग जागरूक नहीं हुए तो परिस्थिति बहुत खतरनाक हो जाएगी। कफ परेड, नरीमन पॉइंट और मंत्रालय का क़रीब 80 फीसदी क्षेत्र पानी में चला जाएगा। मतलब ये पूरा इलाका ही कुछ वर्षों में मानचित्र से गायब हो जाएगा। महानगर पालिका प्रमुख ने कहा कि यह स्थिति सिर्फ 25 से 30 साल में संभव है। चहल ने चेतावनी देते हुए कहा कि प्रकृति लगातार हमें इस बात का संकेत दे रही है अगर हम नहीं जागते हैं तो अगले 25 वर्षों मे स्थिति बहुत खतरनाक हो जाएगी। इसका परिणाम न केवल आने वाली पीढ़ी बल्कि वर्तमान पीढ़ी को भी भुगतना पड़ेगा।

उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में मुंबई पहला ऐसा शहर है जो अपनी जलवायु कार्य योजना तैयार कर उस पर कार्य कर रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि पहले हम ग्लेशियरों के पिघलने जैसी जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के बारे में सुनते थे जो हमें सीधे प्रभावित नहीं करते थे पर जलवायु परिवर्तन का संकट अब हमारे दरवाजे तक आ गया है। पिछले साल निसर्ग चक्रवात के बाद से तीन चक्रवात मुंबई से टकरा चुके हैं। 5 अगस्त 2020 को नरीमन प्वाइंट पर 5 से साढ़े 5 फिट तक पानी जमा हो गया था हालांकि उस दिन चक्रवात आने की कोई चेतावनी नहीं थी पर पैरामीटर्स को देखकर लगता है कि उस दिन चक्रवात ही आया था, जिसकी वजह से इतना पानी जमा हो गया। 

हाल के दिनों में मुंबई ने मौसम की विपरीत स्थितियों को देखा है। ताउक्ते चक्रवात के कारण मुंबई में 17 मई को 214 मिमी बारिश हुई जबकि मुंबई में मानसून 6 या 7 जून  को आता है। मुंबई में जून माह की 84 फीसदी बारिश 9 जून तक ही हो गई थी। इसके बाद बारिश कम हुई। इसी तरह जुलाई महीने की 70 फीसदी बारिश महज चार दिनों 17 से 20 जुलाई के बीच ही हो गई। ये मौसम में हो रहे बदलाव के संकेत है।   

डब्ल्यूआरआई इंडिया रोस सेंटर फॉर सस्टनेबल सिटीज की असोसिएट डायरेक्टर लुबैना रंगवाला ने कहा है कि 2017 और 2020 के दौरान अत्यधिक बारिश की घटनाओं मे वृद्धि देखी गई है जिससे साफ़ पता चलता है कि मुंबई शहर में मौसम की चरम घटनाओं में वृद्धि हो रही है।