धमकाने में आजतक के पत्रकारों ने UP पुलिस को भी पछाड़ा, नरसंहार पीड़ित पर किसानों को दोषी बताने का दबाव
पत्रकार की मौत पर प्रतिष्ठित इंडिया टूडे समूह की शर्मनाक रिपोर्टिंग, परिजनों पर किसानों को आरोपी बताने का दबाव बनाया, धमकी भी दी, पत्रकार की वेश में पहुंचे लठैत ने कहा- मृतक के भाई न होते तो इतना तहजीब से बात नहीं करता
लखीमपुर खीरी। भारत में इन दिनों पत्रकारिता के नैतिक पतन का स्वर्णिम काल चल रहा है। 21वीं सदी में भारत में जनपरख पत्रकारिता के गिरते स्तर नित नए आयाम छू रहे हैं। इसी बीच सत्तापक्ष की रिपोर्टिंग के लिए मशहूर आजतक टीवी चैनल के पत्रकारों ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। दरअसल, आजतक के पत्रकार हैरतअंगेज तरीके से लखीमपुर नरसंहार में मारे गए स्थानीय पत्रकार के परिजनों पर दबाव बनाने पहुंचे उत्तर प्रदेश पुलिस से भी पहले पहुंच गए।
अपने टैगलाइन "सबसे तेज" को चरितार्थ करते हुए आजतक ने न सिर्फ दबाव बनाने बल्कि पीड़ित परिजनों को धमकाने में भी तेजी दिखाई। मृतक पत्रकार के परिजनों ने ही खुद इस बात का खुलासा किया है। स्वतंत्र पत्रकार रणविजय सिंह ने मृतक पत्रकार रमन कश्यप के छोटे भाई पवन कश्यप से जब बातचीत की तो उन्होंने कहा, 'आजतक चैनल वाले मेरे घर आए और उन्होंने कहा कि मेरे भाई की मौत लाठी डंडे से पिटाई के कारण हुई है। इसपर हमने कहा कि भाई साहब अभी तो रिपोर्ट आई ही नहीं है।'
हम लड़ाई करने में आगे रहते हैं: आजतक का पत्रकार
पवन कश्यप भाई ने आगे कहा, 'वे अपने शब्द हमारे मुंह से बुलवाना चाहते थे। हम इस हालत में हैं फिर भी वे हमसे बहस करने लगे। उन्होंने यह भी कहा कि आप मृतक के परिवार न होते तो हम इतनी तहज़ीब से नहीं बात करते। हम लड़ाई करने में आगे रहते हैं। वे कहने लगे कि तुम्हें कैसे मालूम कि लाठी-डंडे से मारकर हत्या नहीं की गई है।' पीड़ित के भाई के मुताबिक मैने अपने भैया के कपड़े उतारकर देखे थे, कहीं लाठी की चोट नहीं थी। बस सर में चोट लगी थी, गाड़ी के रगड़ने से। सड़क से रगड़ के भी निशान थे। मैने उन्हें विनम्रतापूर्वक कहा कि आप हमारे घर आए हैं पानी पीकर चले जाइए। लेकिन वे कहते रहे कि हम लड़ाई करने में आगे रहते हैं।'
लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन की मौत हो गई. उनके भाई के मुताबिक गोदी मीडिया वाले पत्रकार की मौत में राजनीति कर रहे हैं.
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) October 5, 2021
परिवार को धमकाया जा रहा कि वो किसानों के खिलाफ बोलें. 'आज तक' का नाम भी लिया है. सुनें pic.twitter.com/UJI1xOZghJ
दबाव बनाने के लिए एक दिन बाद पहुंची पुलिस
बता दें कि तिकुनिया पुलिस ने रमन कश्यप का मामला उस FIR में दर्ज किया है जिसमे कहा गया है कि किसानों की मौत आशीष मिश्रा की गाड़ियों से कुचलकर हुई है और आशीष मिश्रा उनमें से एक गाड़ी में थे। आजतक द्वारा दबाव बनाने के अगले दिन यानी आज पुलिस ने भी कश्यप के परिजनों पर इसी बात के लिए दबाव बनाया है। परिजनों का आरोप है कि अब पुलिस भी दबाव डाल रही है कि रमन का परिवार किसानों के खिलाफ एफआईआर करे और दावा करे कि किसानों ने उन्हें लाठी-डंडों से मारकर उनकी जान ले ली।
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पवन कश्यप ने इस बारे में न्यूज़ लांड्री को बताया कि BJP पूरे मामले को बदलना चाहती है। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि तेज रफ्तार से तीन गाड़ियां आती हैं और मेरे भाई को टक्कर मारती हुई आगे बढती हैं। लेकिन पुलिस दबाव बना रही है कि मेरे भाई की मौत लाठी-डंडों से पीटकर हुई है। पवन के कहा, 'पुलिस दिखाना चाहती है कि रमन को लाठियों से मारा गया। वो चाहते हैं कि हम किसानों के खिलाफ एफआईआर लिखवाएं। बीजेपी मेरे भाई को अपने साथ इसलिए जोड़ रही है ताकि अगर पत्रकार का नाम बीजेपी की तरफ से की गई एफआईआर में आ जाता है तो बाकि पत्रकार बीजेपी के खिलाफ नहीं बोलेंगे।'
घटनास्थल पर मृतक पत्रकार के साथ मौजूद एक अन्य पत्रकार व रमन के दोस्त विनीत कुमार गुप्ता के मुताबिक किसान काले झंडे दिखाकर जब लौट रहे थे, तभी बीजेपी मंत्री की गाड़ी तेज रफ्तार आई और किसानों को रौंदते हुए पार हो गई। गुप्ता ने कहा, 'मेरा भाई, मेरा दोस्त रमन भी वहीं था और कार ने उसे टक्कर मारी तो वह गिर गया। उसे तेज चोट लगी और कार उसे घसीटते हुए आगे चली गई। इसी वजह से उसकी मौत हो गई। बता दें कि विनीत गुप्ता इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी भी हैं।