Ahmed Patel Passes Away: दो महीने की बीमारी के बाद अहमद पटेल का निधन

Ahmed Patel: 71 साल के अहमद पटेल ने मेदांता अस्पताल में ली आखिरी सांस, दो महीने में दो बार कोविड संक्रमण से उनकी बीमारी बन गई लाइलाज

Updated: Nov 26, 2020, 04:04 AM IST

दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल नहीं रहे। बुधवार सुबह 3.30 पर लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। मेदांता अस्पताल में उन्होंने आख़िरी सांस ली। अहमद पटेल लगभग दो महीने से अस्पताल में भर्ती थे। शुरुआती कोरोनावायरस के लक्षणों के बाद उन्हें फ़रीदाबाद के मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में वे एशियन अस्पताल और फिर मेदांता में इलाज कराते रहे। लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। बीमारी के दौरान उन्हें दो बार कोविड संक्रमण हुआ और फेफड़े में संक्रमण काफ़ी फैल चुका था। बीमारी के दौरान उन्हें हार्ट अटैक भी हुआ जिसके बाद उन्हें मेदांता में एडमिट कराया गया था। राजनीति में कभी हार नहीं माननेवाले अहमद पटेल के शरीर ने बीमारी से हार मान ली। अहमद पटेल के बेटे फैज़ल ने ट्वीट्स के जरिए अपने पिता के दुखद देहांत के बारे में बताया। 

10 जनपथ के सबसे भरोसेमंद चेहरा रहे अहमद पटेल 

अहमद पटेल को 10 जनपथ का करीबी चेहरा माना जाता रहा। वो सोनिया गांधी के सबसे भरोसेमंद नेता माने जाते रहे और इसी क्रम में वे कांग्रेस में गांधी परिवार के बाद नंबर दो के नेता कहे जाते रहे। अहमद पटेल राज्यसभा सांसद होने के साथ ही लंबे समय से कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी रहे। माना जाता है कि सोनिया गांधी को भारतीय राजनीति में स्थापित करने में किसी एक इंसान की भूमिका रही है तो वह अहमद पटेल ही थे। राजीव गांधी की हत्या के बाद नरसिम्हा राव जैसे बड़े नेताओं के साथ सोनिया के बिगड़ते रिश्तों के बावजूद वह पटेल ही थे जिनकी रणनीति से सोनिया गांधी कांग्रेस की सर्वमान्य नेता बन पायीं।

गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों से पटेल का नाता

अहमद पटेल का नाता गांधी परिवार की तीनों पीढ़ियों से रहा। पटेल भारतीय राजनीति के वैसे नेता रहे हैं जो इंदिरा गांधी के भी खास रहे और सोनिया गांधी के भी। पार्टी के युवा नेतृत्व राहुल गांधी के साथ भी भरोसे का ये रिश्ता कायम रहा। पटेल को लेकर राजनीतिक गलियारों में इस बात की भी चर्चा होती रही कि उनकी पहुंच कांग्रेस हाईकमान तक तो है ही इसके अलावा तमाम राजनीतिक दलों से लेकर औद्योगिक घरानों तक में उनकी एक आपना पहचान रही। 

कांग्रेस के सबसे बुरे दौर में भी अहमद ने जीता था चुनाव

कांग्रेस में उनका कद बाकी नेताओं से बड़ा होने का एक कारण यह भी है जब पार्टी अपने सबसे बुरे दौर में थी तब भी अहमद पटेल ने चुनाव जीतकर कांग्रेस का साख बचायी थी। अहमद पटेल साल 1977 में 26 साल की उम्र में भरूच से लोकसभा चुनाव जीतकर उस दौर के सबसे युवा सांसद बने थे। तब देश में आपातकाल के खिलाफ जनआक्रोश था और जनता पार्टी के पक्ष में लहर चल रही थी। ऐसे में उनका जीतना इंदिरा गांधी समेत सभी राजनीतिक पंडितों के लिए एक बेहद चौंकाने वाली घटना थी। इसका कारण यह था कि 1977 के चुनाव में कांग्रेस पूरे देशभर में औंधे मुंह गिरी थी तब पटेल उन मुट्ठीभर लोगों में से थे जो चुनाव जीतने में कामयाब हुए।

जब पटेल ने ठुकराया था इंदिरा का ऑफर

अहमद पटेल को शुरू से ही राजनीति में फ्रंट से खेलने की बजाय पर्दे के पीछे से काम करने में विश्वास रहा। इसका प्रमाण इस बात से मिलता है कि पटेल जब युवा थे और साल 1980 में इंदिरा गांधी ने उन्हें मंत्री बनने का ऑफर दिया था, तब उन्होंने ये ऑफर को ठुकरा दिया था। तब पटेल ने बताया था कि वह सत्ता की बजाए संगठन में रहकर ही काम करना चाहते हैं।

आठ बार सांसद रहे

तकरीबन 45 वर्षों के अपने राजनीतिक करियर में अहमद पटेल 8 बार सांसद बने। तीन बार लोकसभा से और 5 बार वो राज्य सभा के सांसद के बतौर सक्रिय रहे। साल 1977 लेकर 1989 तक तीन बार वो लोकसभा सांसद रहे। वहीं साल 1993 से लेकर नवंबर 2020 तक पांच बार राज्यसभा सांसद चुने गए हैं। गुजरात की राजनीति में एहसान जाफरी के बाद अहमद पटेल को ही सबसे बड़ा मुस्लिम चेहरा माना जाता रहा। गुजरात के इकलौते मुस्लिम सांसद के तौर पर वो वर्तमान राज्य सभा सदस्य थे।

कांग्रेस में इन पदों पर रह चुके हैं अहमद पटेल

प्रारंभिक राजनीतिक जीवन में पटेल 1977 से लेकर 1982 तक गुजरात यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। इसके बाद एक साल के लिए उन्हें एआईसीसी का ज्वाइंट सेक्रेट्री बनाया गया। साल 1985 में उन्हें पीएम राजीव गांधी का संसदीय सचिव बनाया गया। अगले ही साल उन्हें गुजरात कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया। इसके बाद साल 1991 में जब नरसिम्हा राव की सरकार थी तब उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में जगह मिली और तब से लेकर वह लगातार सीडब्ल्यूसी में बने रहे।

कांग्रेस के तमाम नेताओं ने उनकी दुखद मृत्यु पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।