जी भाईसाहब जी: कुर्सी के लिए और कितनी किरकिरी करवाएंगे कमल पटेल
MP Politics: कहते हैं कुर्सी या सत्ता के लिए राजनेता कुछ भी कर सकते हैं लेकिन ऐसे बहुत कम मामले देखने में आते हैं जब कोई राजनेता अपने वर्चस्व के लिए अपना डिमोशन स्वीकार कर ले। एमपी की राजनीति में इनदिनों ऐसे ही एक मामले की चर्चा है।
कुर्सी पाने के लिए पद की सीढि़यां उतरने का अनोखा मामला मध्य प्रदेश के हरदा में सामने आया है। कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे पूर्व मंत्री कमल पटेल अब सांसद प्रतिनिधि जैसे छोटे से पद पर काबिज हैं। यह पद आमतौर पर बहुत सामान्य कार्यकर्ता को दिया जाता है। सांसद के प्रतिनिधि के रूप में ये कार्यकर्ता सरकारी बैठकों में हिस्सा लेने के लिए अधिकृत होते हैं।
हरदा में एकतरफा राजनीति करने के आदी पूर्व मंत्री कमल पटेल की बैतूल सांसद और केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके के सांसद प्रतिनिधि के रूप में नियुक्ति हुई तो सब चौंक गए। लेकिन हरदा वालों के लिए यह बिल्कुल अचरज का विषय नहीं था। वहां चर्चा है कि पूर्व मंत्री कमल पटेल पद के बिना रहे तो उनका राजनीतिक वर्चस्व दांव पर लग जाएगा। असल में, कमल पटेल को लग रहा था कि बिना पद के जिले में उनकी प्रशासन पर से पकड़ खत्म हो रही है। अपना दखल बनाए रखने के लिए वे बतौर सांसद प्रतिनिधि की बैठकों में शामिल होंगे।
इसी महत्व को बकरार रखने के लिए वे 2014 से 2018 तक भी सांसद प्रतिनिधि रह चुके हैं। इस बार सांसद प्रतिनिधि बन कर कमल पटेल ने बीजेपी की ही हरदा नगर पालिका अध्यक्ष भारती कमेडिया के पति राजू कमेडिया से सांसद प्रतिनिधि का पद ले लिया है। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वे कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे और पार्षद से भी नीचे का प्रोटोकॉल मिलेगा लेकिन इस तरह वे अपनी राजनीति बचा पाएंगे।
इस संदेश को राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्र में पहुंचाने के लिए बतौर सांसद प्रतिनिधि पदभार ग्रहण करने के लिए हरदा नगरपालिका अधिकारियों की बैठक बुलाई गई। अर्थ साफ है, चाहे जो हो कुर्सी बची रहनी चाहिए। कुर्सी गई तो रसूख जाएगा। भले ही इसके लिए छोटे कार्यकर्ताओं के अरमानों पर पानी फेरना पड़े, चाहे किरिकरी हो। वैसेे,देखा जाए तो यह समूची बीजेपी में फैल रहे असंतोष का परिणाम भी है। कई वरिष्ठ नेता बिना पदों के बैठे हैं। ऐसे में अपना राजनीतिक जीवन बचाने के लिए वे कैसा भी पद लेने से गुरेज नहीं कर रहे हैं।
शिवराज सिंह अब ‘पुत्र‘ बन जमाएंगे सिक्का
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को खबरों में बने रहना और अपनी लाइन को बड़ी करना बखूबी आता है। वे नाजुक मौकों पर भी अपने लिए बेहतर जगह बना लेते हैं। मध्य प्रदेश में पहले लाडली भांजियों के मामा और फिर लाडली बहनों के भाई बन कर राजनीतिक बिसात पर अपना क्षेत्रफल बढ़ाने वाले शिवराज सिंह चौहान अब केंद्र में कृषि मंत्री और अब किसान पुत्र की छवि उनके लिए एकदम फिट हैं। अब वे इसी भूमिका में आ गए हैं।
बीते दिनों जब मध्य प्रदेश कांग्रेस ने किसानों की समस्या उठाते हुए सोयाबीन का दाम 6 हजार रुपए करने के लिए आंदोलन किया तो शिवराज सिंह चौहान ने ही लीड ली। इससे पहले कि राज्य सरकार कोई निर्णय लेती उन्होंने पहल कर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद से जुड़े दो प्रस्ताव राज्य सरकार के सामने रख दिए। बाद में सरकार ने इसी में से एक प्रस्ताव पर मोहर लगाते हुए केंद्र को पत्र लिख दिया। जिस मामले पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव निर्णय लेकर वाहवाही ले सकते थे उस पर राज्य सरकार से बाहर केंद्र में मंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान ने क्रेडिट ले लिया।
अब देशभर में किसान मामलों पर बीजेपी को घिरता देख कृषिमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक और मौका मिल गया है। उन्होंने तय किया है कि वे अब निरंतर किसाना संगठनों से मिलेंगे और उनकी बात सुनेंगे। इसके लिए मंगलवार का दिन तय किया गया है। अपनी घोषणा पर अमल करते हुए उन्होंने 24 सितंबर को दिल्ली के पूसा परिसर में भारतीय किसान यूनियन नेताओं से मुलाकात की। अब इन मुलाकातों से किसान मुद्दे हल हों या न हों यह अलग बात है लेकिन मंत्री से भेंट के कारण नेताओ की नाराजगी फौरी तौर पर तो कुछ कम होगी। इस तरह किसान बिल मामले पर नुकसान उठाने वाली बीजेपी को लाभ भी दिलाएंगे और अपना सिक्का भी जमाएंगे।
थानों में शस्त्र पूजन और सड़क पर कानून व्यवस्था
मोहन यादव सरकार ने फैसला किया है कि दशहरे पर हर जिले में होने वाली शस्त्र पूजा इसबार कुछ खास होगी। मोहन यादव कैबिनेट शस्त्र पूजन करने जिलों में जाएगी। खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महेश्वर में दशहरे पर शस्त्र पूजन करेंगे। सभी प्रभारी मंत्री जिलों के पुलिस शस्त्रागार में शस्त्र पूजन करेंगे। एकतरफ यह फैसला है और दूसरी तरफ बिगड़ती कानून-व्यवस्था है। बच्चियों के साथ बढ़ते दुष्कर्म के मामले हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ही गृहमंत्री हैं तो उनसे सवाल भी बढ़ गए हैं।
जब कैबिनेट द्वारा शस्त्र पूजन का मामला सामने आया तब ही कांग्रेस ने जबलपुर में सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर रोष जाहिर किया। मंगलवार को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा प्रदेश में ’24 घंटे में 6 रेप के मामले सामने आए हैं। आखिर मध्यप्रदेश रेप की राजधानी कैसे बन गया?’
सिर्फ कांग्रेस ही नहीं बीजेपी नेता भी बढ़ते दुष्कर्म के मामलों से आक्रोश में हैं। मैहर में एक युवती से गैंगरेप के बाद पुलिस की लीपापोती से तंग आ कर बीजेपी नेताओं ने ही मोर्चा खोल दिया है। अर्द्धनग्न अवस्था में जब सहायता मांगती हुई युवती बीजेपी नेताओं के पास आई तो उन्होंने आरोपियों सहित युवती को पुलिस के हवाले कर दिया। बाद में जब पता चला कि पुलिस पहले युवती को विक्षिप्त बता रही है और फिर घटना स्थल को उत्तर प्रदेश में बता रही है तो बीजेपी नेता भड़क गए। मीडिया के सामने खुल कर आए नेताओं ने कहा कि यदि ऐसे मामलों पर उनकी पार्टी के बड़े नेता और सरकार कुछ नहीं करेगी तो वे चुप नहीं बैठेंगे।
विपक्ष और सत्ता पक्ष ही नहीं जनता भी अपराधियों के सामने असहाय नजर आ रही है। ऐसे में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के सवाल से ही मुख्यमंत्री को सलाह दी जा रही है। जीतू पटवारी ने सवाल उठाया है कि आखिर मध्यप्रदेश रेप की राजधानी कैसे बन गया?’ शासन प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। सीएम मोहन यादव पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा है, ‘जागो मोहन भैया, आप प्रदेश के गृहमंत्री भी हो।’