मध्य प्रदेश में मनरेगा से बाहर हुए 21 लाख मजदूर, 1963 ग्राम पंचायतों में मजदूरों के लिए कोई काम नहीं

मनरेगा में मजदूरों के लिए आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस) लागू किया गया है। नए सिस्टम में 5.40 लाख जॉब कार्ड आधार से लिंक होना नहीं पाए गए जिन्हें डिलीट कर दिया गया। एक जॉब कार्ड में औसतन 4 मजदूरों के नाम होते हैं।

Updated: Jan 07, 2024, 05:51 PM IST

भोपाल। भाजपा शासन में मध्य प्रदेश सरकार लगातार कर्ज के बोझ तले डूबती जा रही है। स्थिति ये है कि योजनाओं को चालू रखने से लेकर कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं। अब खबर आ रही है कि मध्य प्रदेश में मनरेगा की लिस्ट से करीब 21 लाख मजदूर बाहर कर दिए गए हैं। वहीं, मजदूरों के भुगतान का करीब 400 करोड़ रुपए भी सरकार नहीं दे पा रही है।

दरअसल, मनरेगा में आधार आधारित भुगतान प्रणाली को अनिवार्य कर दिया गया है। आधार पेमेंट ब्रिज सिस्टम (एपीबीएस) लागू किए जाने के कारण जॉब कार्ड का जांच अभियान चलाया गया।  प्रदेश में 5.40 लाख जॉब कार्ड आधार से लिंक होना नहीं पाए गए जिन्हें डिलीट कर दिया गया। एक जॉब कार्ड में औसतन 4 मजदूरों के नाम होते हैं। हटाए गए मजदूरों में सबसे ज्यादा एससी-एसटी वर्ग के हैं।

मनरेगा के लिए केंद्र से नवंबर महीने तक का बजट भी राज्य को मिल गया है, बावजूद 830 करोड़ का बकाया है। इसमें मजदूरों के भुगतान का करीब 400 करोड़ और सामग्री का 430 करोड़ है। मजदूरी नहीं मिलने से हजारों श्रमिकों के सामने जीवनयापन का संकट बनता जा रहा है।