Justice AP Shah: निर्वाचित निरंकुशता की ओर बढ़ रहा है भारत 

Democracy in India: लॉ कमीशन के पूर्व अध्यक्ष और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके एपी शाह ने कहा है सरकार पर नियंत्रण रखने वाले सशक्त संस्थानों को किया जा रहा है नष्ट

Updated: Aug 18, 2020, 11:04 PM IST

photo courtesy: live law
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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने कहा है कि भारत "निर्वाचित निरंकुशता" के एक रूप की ओर बढ़ रहा है। एपी शाह ने कोरोनोवायरस संकट के बीच भारत के लोगों की अगुवाई करने में विफल रहने के लिए संसद की आलोचना करते हुए इस ओर इशारा किया कि देश में सबकुछ ठीक नहीं है। शाह ने यह टिप्पणी जनता संसद के वेबिनार में अपने भाषण के दौरान की।

संस्थानों को व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है 

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सरकार को नियंत्रण में रखने के वाले सशक्त संस्थानों को भारत में व्यवस्थित रूप से नष्ट किया जा रहा है। शाह ने कहा कि '2014 के बाद से, इन संस्थानों को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है। ऐसा ज़रूरी नहीं है कि वर्तमान में इंदिरा गांधी सरकार की तरह ही हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। हां लेकिन निश्चित रूप से, उन तरीकों का उपयोग किया गया है जिन्होंने कार्यपालिका को ज़्यादातर मामलों में मज़बूत किया है।' 

भुतहा शहर की तरह प्रतीत हो रही है भारतीय संसद 

शाह ने कहा कि मार्च के बाद से ही भारतीय संसद  एक "भुतहा शहर" की तरह ही प्रतीत हो रही है। द हिंदू अखबार के अनुसार, शाह ने कहा कि महामारी की तरह संकट के समय में लोगों को नेतृत्व प्रदान करने में विफल रहने के अलावा, संसद का न चलना कार्यपालिका के लिए जवाबदेही की समस्या को समाप्‍त करता है। शाह ने कहा ऐसी परिस्थिति में जब संसद नहीं चल रही है तब कार्यपालिका के कार्यों के बारे में कोई सवाल उठाने वाला कोई नहीं है।

तब भी बंद नहीं हुई थी संसद 

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अतीत में, संसद ने 1962 और 1971 में क्रमशः चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के युद्धों के दौरान भी काम करना बंद नहीं किया था। शाह ने कहा कि 2001 में भी संसद पर हुए हमले के एक दिन बाद भी संसद बुलाई गई थी। शाह ने आगे कहा, 'शाह ने कहा कि भारतीय संसद ने मार्च में अपने बजट सत्र को स्थगित कर दिया था, लेकिन अन्य देशों के संसदों ने कोरोनोवायरस आशंकाओं के बीच काम करना जारी रखा।' 

शाह ने अपने संबोधन में न्यायपालिका की भी तीखी आलोचना की है। उन्होंने कहा, "कुछ मामलों में, जैसे कि कश्मीर में इंटरनेट के उपयोग पर रोक की बात हो, सर्वोच्च न्यायालय ने मध्यस्थ के रूप में अपनी भूमिका को समाप्त कर दिया है। शाह ने केंद्र सरकार की कार्यप्रणाली पर अप्रत्यक्ष तौर पर वार करते हुए कहा कि अदालत ने मामले को निर्धारित करने के लिए एक कार्यकारी समिति को सौंप दिया है।'

जानबूझ के संसद सत्र नहीं बुला रही है बीजेपी

एपी शाह के साथ कार्यक्रम में गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी भी शिरकत कर रहे थे। मेवाणी ने अपने संबोधन में बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जानबूझकर विधानसभा और संसद सत्र नहीं बुला रही है।