गुलाम नबी आजाद को बड़ा झटका, एक ही दिन में पार्टी के 126 पदाधिकारियों ने दिया इस्तीफा

गुलाम नबी आजाद के नवगठित राजनीतिक दल डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के 126 नेताओं ने शनिवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

Updated: Dec 25, 2022, 09:00 AM IST

जम्मू कश्मीर। कांग्रेस से अलग हटकर नई पार्टी बनाने वाले गुलाम नबी आजाद को बड़ा झटका लगा है। आजाद की नवगठित राजनीतिक दल डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (डीएपी) के 126 पदाधिकारियों ने एकसाथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। कयास लग रहे हैं कि "भारत जोड़ो यात्रा" के जम्मू काश्मीर में प्रवेश के दौरान ये सभी कांग्रेस में शामिल होंगे।

इस्तीफा देने वालों में जम्मू कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद भी शामिल हैं। तारा चंद ने शनिवार को मीडिया से कहा कि, 'आज 126 लोगों ने पार्टी से इस्तीफा दिया है। हम पार्टी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन गुलाम नबी आजाद के इर्द-गिर्द एक गुट है जो पार्टी को बर्बाद करना चाहता है और उन्हें गलत जानकारी दे रहा है।'

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद ने कांग्रेस छोड़ने के अपने फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने मुझे बहुत कुछ दिया है और जल्दबाजी में मैंने (छोड़ने का) गलत फैसला लिया। हम अपने समर्थकों से बात करेंगे और फिर तय करेंगे कि आगे क्या करना। तारा चंद के साथ ही पूर्व मंत्री डॉ मनोहर लाल और पूर्व विधायक बलवान सिंह ने भी डीएपी से इस्तीफा दे दिया है।

गुलाम नबी का साथ छोड़ने के बाद तीनों दिग्गज नेताओं ने उन पर हमला किया है। पूर्व उपमुखमंत्री तारा चंद ने गुलाम नबी पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'जब हमने देखा कि गुलाम नबी आजाद अकेले पड़ गए हैं और उनका समय कठिन है। हमने कांग्रेस से इस्तीफा देकर आजाद साहब का समर्थन किया। मैं हैरान हूं कि जिस पार्टी को हमने अपना समय दिया, उससे हमें ही निष्कासित कर दिया। यह डिक्टेटरशिप है।' 

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दरअसल, दो दिन पूर्व डीएपी ने अपने तीन बड़े नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए बाहर कर दिया था। पूर्व विधायक बलवान सिंह ने आजाद पर धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'हमने करीब साढे 3 महीने पहले गुलाम नबी आजाद पार्टी साथ दिया था।हमने गुलाम नबी आजाद के लिए कांग्रेस छोड़कर उनकी पार्टी ज्वाइन की थी। हमने गुलाम नबी आजाद का उस समय साथ तब दिया जब उनके साथ कोई नहीं था। हम सब कांग्रेस में अच्छे पदों पर थे, लेकिन इसके बावजूद हमने आजाद का साथ दिया।'

पूर्व मंत्री डॉ मनोहर लाल शर्मा ने कहा आजाद को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह 4 महीने में ना अपनी पार्टी का दफ्तर बना सके, ना संविधान और ना ही अपनी पार्टी को रजिस्टर करा सकें। हम अपना भविष्य बैठकर तय करेंगे। हमने किसी को धोखा नहीं दिया, हमने सिर्फ धोखा खाया है।'