Bihar Election: नीतीश के मंत्री को गांव वालों ने खदेड़ा, कहा काम नहीं तो वोट नहीं
Kalyanpur Constituency: जेडीयू विधायक और मंत्री महेश्वर हजारी को लोगों ने गांव में घुसने नहीं दिया

पटना। नीतीश सरकार के मंत्री महेश्वर हज़ारी अपने विधानसभा क्षेत्र के एक गांव में वोट मांगने पहुंचे तो गुस्साए लोगों ने उन्हें उल्टे पांव वापस भेज दिया। वाकया महेश्वर हज़ारी की विधानसभा सीट कल्याणपुर के तहत आने वाले पूसा गांव का है। बिहार के समस्तीपुर ज़िले के इस गांव के लोग अपने इलाके में सड़कों की हालत से बेहद नाराज़ हैं। यही वजह है कि उनके विधायक और नीतीश सरकार के मंत्री महेश्वर हज़ारी जब वोट माँगने आए तो लोगों ने गाँव के बाहर ही उनका रास्ता रोक लिया और वोट नहीं तो सड़क नहीं का एलान करते हुए उन्हें वापस जाने को मजबूर कर दिया।
गांव के लोगों ने मंत्री जी से जब बिजली, पानी और सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं के मामले में उनके कामकाज का हिसाब माँगा, तो वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इस पर गुस्साए ग्रामीणों ने उनसे पूछा कि फिर आपने यहां आने को हिम्मत कैसे की। गाँव वालों के तेवर देखकर आख़िरकार नेताजी को वापस लौटना पड़ा। पूरी घटना का वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। वीडियो में मोटर साइकिल पर सवार विधायक अपने कार्यकर्ताओं के साथ गांव की तरफ़ बढ़ते नज़र आते हैं, तभी वहां कुछ गांव वाले आकर उनका रास्ता रोक लेते हैं। मंत्री के साथ मौजूद लोग उन्हें समझाने की काफ़ी कोशिश करते हैं लेकिन गांव वाले आख़िरकार उन्हें वहां से वापस भेजकर ही दम लेते हैं।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, “बिहार सरकार के मंत्री और कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से 10 वर्ष से विधायक महेश्वर हजारी को आक्रोशित जनता ने सड़क नहीं तो वोट नहीं बोल कर अपने गांव से भगा दिया। नीतीश कुमार जी के कागजी विकास की पोल खुल चुकी है। चाहे वो चमकी बुख़ार हो, जल जमाव हो, बाढ़ हो, सुखाड़ हो, कोरोना हो।”
बिहार सरकार के मंत्री और कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र से 10 वर्ष से विधायक महेश्वर हजारी को आक्रोशित जनता ने सड़क नहीं तो वोट नहीं बोल कर अपने गांव से भगा दिया।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) October 19, 2020
नीतीश कुमार जी के कागजी विकास की पोल खुल चुकी है। चाहे वो चमकी बुख़ार हो, जल जमाव हो, बाढ़ हो, सुखाड़ हो, कोरोना हो। pic.twitter.com/w219uOcmuQ
जेडीयू विधायक और मंत्री के प्रति गांव वालों के ग़ुस्से को अगर एक संकेत मानें तो नीतीश कुमार के लिए ये अच्छे संकेत नहीं हैं। लेकिन लोगों का जागरूक होकर अपने प्रतिनिधियों से इस तरह से सवाल पूछना लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है।