गुजरात में बीजेपी को झटका, सांसद मनसुख वसावा ने दिया पार्टी से इस्तीफ़ा

गुजरात के बड़े आदिवासी नेता और भरुच से बीजेपी के सांसद मनसुखभाई वसावा ने स्पीकर से मिलकर सांसद पद से त्यागपत्र देने का इरादा भी ज़ाहिर किया है, गुजरात के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, वसावा को मना लेंगे

Updated: Dec 29, 2020, 08:16 PM IST

Photo Courtesy: Aaj Tak
Photo Courtesy: Aaj Tak

अहमदाबाद। बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह प्रदेश गुजरात में झटका लगा है। गुजरात के बड़े आदिवासी नेता और राज्य के भरुच से बीजेपी सांसद मनसुखभाई धनजीभाई वसावा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। अपने इस्तीफे में वसावा ने ये तो नहीं लिखा है कि उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला क्यों किया है, लेकिन ये एलान ज़रूर किया है कि वे बहुत जल्द सांसद के पद से भी इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने लिखा है कि वे लोकसभा से अपना इस्तीफा स्पीकर को निजी तौर पर मिलकर देना पसंद करेंगे। अभी-अभी खबर आई है कि प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी आर पाटिल ने कहा है कि वसावा की नाराज़गी दूर करके उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मना लिया जाएगा। इस बयान से लगता है कि बीजेपी अपने सांसद के इस्तीफे से दबाव में आ गई है। 

मनसुखभाई वसावा (Mansukhbhai Vasava) ने गुजरात के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी.आर पाटिल के नाम 28 दिसंबर को भेजे त्यागपत्र में लिखा है कि उन्होंने पार्टी के साथ हमेशा वफ़ादारी निभाई है। वे अपनी सार्वजनिक और निजी जिंदगी में भी पार्टी के सिद्धांतों का बेहद सावधानी से पालन करते रहे हैं, लेकिन आखिरकार मैं भी एक इंसान हूं। वसावा ने ये भी लिखा है कि पार्टी से इस्तीफा देने के बाद वे लोकसभा का अगला सत्र शुरू होने से पहले स्पीकर से निजी तौर पर मिलकर सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे।

मनसुख वसावा (Mansukhbhai Vasava) ने कुछ ही दिनों पहले गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने राज्य में आदिवासी महिलाओं की तस्करी किए जाने के संगीन आरोप लगाए थे। इसके अलावा उन्होंने सरदार पटेल की प्रतिमा, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास के इलाके को इको सेंसिटिव घोषित किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को भी चिट्ठी लिखी थी। बताया जा रहा है कि इस चिट्ठी में उन्होंने इलाके के आदिवासी समुदाय के लोगों की शिकायतों का भी ज़िक्र किया था। 

बताया जा रहा है कि वसावा ने अपनी चिट्टी में नर्मदा ज़िले के 121 गाँवों को ईको-सेंसेटिव ज़ोन में शामिल किए जाने का विरोध किया था। वे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी कहे जाने वाले सरदार पटेल स्मारक के कुछ सरकारी अधिकारियों के बर्ताव के ख़िलाफ़ भी सरकार से कई बार शिकायत कर चुके थे। एक प्रमुख अधिकारी पर तो उन्होंने अपने शिकायती पत्र में अंग्रेज़ अफ़सर की तरह बर्ताव करने का आरोप भी लगा दिया था, लेकिन गुजरात के मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक़ उनकी शिकायतें सुनने की बजाय वसावा को पार्टी नेतृत्व की तरफ़ से फटकार लगा दी गई। इसी से दुखी होकर उन्होंने इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला कर लिया।

क्या वसावा के इस्तीफे से दबाव में आई बीजेपी

ऐसा लगता है कि गुजरात में पार्टी के बड़े आदिवासी नेता मनसुखभाई वसावा (Mansukhbhai Vasava) के इस्तीफ़े ने बीजेपी नेतृत्व को दबाव में ला दिया है। बताया जा रहा है कि अब से कुछ देर पहले प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी आर पाटिल ने कहा है कि मनसुखभाई वसावा जिन वजहों से नाराज़ हैं, उन्हें दूर करके उन्हें मना लिया जाएगा। पाटिल ने कहा कि उन्होंने वसावा की शिकायतों को लेकर आज ही मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से मुलाक़ात की है और उन्होंने जनता से जुड़े जो भी मसले उठाए हैं, उन्हें दूर किया जाएगा।