धमाके की जांच में बड़ा खुलासा, इज़रायली दूतावास के पास काम नहीं कर रहे थे अधिकांश CCTV कैमरे

दिल्ली के VVIP इलाक़े की सुरक्षा में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे, ये हाल तब है, जब इज़रायली राजदूत के मुताबिक़ उनका दूतावास पिछले कई हफ़्ते से हाई अलर्ट पर है

Updated: Jan 30, 2021, 04:20 PM IST

Photo Courtesy: Livemint
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नई दिल्ली। इज़रायली दूतावास के पास शुक्रवार की शाम हुए कम तीव्रता वाले धमाके की जाँच में बेहद चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह खुलासा देश की राजधानी की सुरक्षा के मामले में ख़तरे की घंटी बजाने वाला है।  देश के एक प्रमुख अख़बार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि धमाके की जाँच में लगी सुरक्षा एजेंसियों को हमले से जुड़े सुरागों की तलाश में काफ़ी दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि धमाके के वक्त आसपास के इलाक़े में लगे ज़्यादातर CCTV कैमरे काम नहीं कर रहे थे।

अख़बार के मुताबिक़ पुलिस सूत्रों ने बताया कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम ने जब शनिवार को दूतावास के पास सुबूत की तलाश में CCTV कैमरों के फ़ुटेज खंगालने की कोशिश तब पता चला कि वहाँ लगे अधिकांश कैमरे तो विस्फोट के वक़्त काम ही नहीं कर रहे थे। हालाँकि उन्हें इलाके के कुछ सीसीटीवी कैमरों का फ़ुटेज हासिल हो गया है और उसी के सहारे आगे की जाँच की जा रही है। एक आधिकारिक सूत्र ने अख़बार से कहा, ''हमें कुछ सीसीटीवी फुटेज बरामद हुआ है लेकिन अब तक कुछ ठोस नहीं मिला है, क्योंकि दूतावास के पास के इलाके में अधिकतर सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे।'' सूत्रों ने कहा कि सीसीटीवी कैमरे से हासिल फुटेज में विस्फोट से ठीक पहले एक गाड़ी संदिग्ध अवस्था में दूतावास के पास नजर आ रही है।

सवाल यह है कि इतने हाई सिक्योरिटी ज़ोन में, जहां इज़रायल जैसे आतंकियों के निशाने पर रहने वाले देश का दूतावास हो, महज एक-दो किलोमीटर की दूरी पर देश के प्रधानमंत्री, गृह मंत्री के आधिकारिक आवास हों, CCTV कैमरे ख़राब कैसे रह सकते हैं? क्या इसका यह मतलब है कि इन कैमरों से मिलने वाले फ़ुटेज पर नियमित रूप से नज़र भी नहीं रखी जाती है?

यह मामला इसलिए और भी गंभीर हो जाता है, क्योंकि भारत में इज़रायल के राजदूत रॉन मलका (Ron Malka) ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा है कि उन्हें शुक्रवार के धमाके से ज़्यादा आश्चर्य नहीं हुआ है, क्योंकि इंटेलिजेंस इनपुट की वजह से उनकी सिक्योरिटी का अलर्ट लेवल बढ़ा हुआ था। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों से वे लोग सुरक्षा के लिहाज़ से हाई अलर्ट पर थे, इसलिए उन्हें धमाके से हैरानी नहीं हुई है। उनके इस बयान के बाद तो यह समझना और भी मुश्किल है कि जब पिछले कई हफ़्तों से इज़रायली दूतावास हाई अलर्ट पर था, तब भी क्या किसी ने यह देखने की ज़हमत नहीं उठाई कि आसपास के CCTV कैमरे काम कर रहे हैं या नहीं? इतना ही नहीं, गणतंत्र दिवस के सेलिब्रेशन के समापन समारोह के तौर पर होने वाला बीटिंग द रिट्रीट भी शुक्रवार को उसी समय हो रहा था, जब यह धमाका हुआ। इस समारोह में देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षामंत्री समेत तमाम अति-विशिष्ट लोग मौजूद रहते हैं। समारोह के लिए पूरे इलाक़े में ज़बरदस्त सुरक्षा बंदोबस्त और जाँच के इंतज़ाम किए जाते हैं। इसकी ड्रिल के दौरान भी किसी ने CCTV कैमरों की हालत पर ग़ौर नहीं किया।

बहरहाल, इन धमाकों की जाँच के बारे में अब तक सामने आयी जानकारी के मुताबिक़ फॉरेंसिक विशेषज्ञों ने घटनास्थल से कुछ नमूने इकट्ठे किए हैं, जिनसे विस्फोट में इस्तेमाल केमिकल्स के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है। सूत्रों के हवाले से ऐसी ख़बरें भी आ रही हैं कि विस्फोटक बनाने में इस्तेमाल होने वाले बाल बेयरिंग के हिस्से जमीन पर बिखरे मिले हैं। जाँच में यह बात भी सामने आई है कि विस्फोट का असर 20 से 25 मीटर के दायरे में महसूस किया गया। शुक्रवार की शाम 5 बजकर 5 मिनट पर हुए इस कम इंटेन्सिटी वाले धमाके में कोई घायल नहीं हुआ था, लेकिन पास में खड़ी कुछ गाड़ियों के शीशे टूट गए थे। शुरुआती जांच में यह खुलासा भी हुआ है कि विस्फोटक इजरायली दूतावास के बाहर एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर जिंदल हाउस के पास एक गमले में रखा गया था।