खाने-पीने को तरस रहे बच्चे, स्थिति दिल दहला देने वाली, हिंसा पीड़ितों से मुलाकात के बाद बोला विपक्षी डेलीगेशन

राज्य और केंद्र सरकार इन दो समुदाय के लोगों के जीवन और संपत्ति को सुरक्षा देने में फेल रही हैं। क्योंकि अब तक 140 मौतें, 500 से ज्यादा कैजुअलिटी और 5 हजार से ज्यादा घरों में आग लगाने की घटनाएं हो चुकी हैं: विपक्ष

Updated: Jul 30, 2023, 02:21 PM IST

इंफाल। विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल दो दिवसीय मणिपुर दौरे पर है। दौरे के दूसरे दिन वे राज्य की गवर्नर अनुसुइया उइके से मिलने राजभवन पहुंचे। इस दौरान उन्होंने राज्यपाल को चिट्ठी सौंपकर कहा कि राज्य और केंद्र सरकार इन दो समुदाय के लोगों के जीवन और संपत्ति को सुरक्षा देने में फेल रही है।

राज्यपाल को संबोधित पत्र में विपक्षी सदस्यों ने लिखा, 'हम I.N.D.I.A के सदस्यों ने चुराचांदपुर, मोइरांग और इंफाल के रिलीफकैंप का दौरा किया है। वहां हम हिंसा पीड़ितों से मिले। उनके दुख, कहानियां, आपबीती सुनकर हम हैरान और दुखी हैं। उनमें खुद को दूसरे समुदायों से अलग किए जाने का गुस्सा है। इस पर बिना देर किए एक्शन लेने की जरूरत है।'

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पत्र में आगे लिखा है कि, 'राज्य और केंद्र सरकार इन दो समुदाय के लोगों के जीवन और संपत्ति को सुरक्षा देने में फेल रही हैं। क्योंकि अब तक 140 मौतें, 500 से ज्यादा कैजुअलिटी और 5 हजार से ज्यादा घरों में आग लगाने की घटनाएं हो चुकी हैं। 60 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित किए गए हैं। पिछले कुछ दिनों में फायरिंग और आगजनी की घटनाओं से ये साबित हो गया है कि सरकारी मशीनरी तीन महीने से चल रही हिंसा को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही है।'

पत्र में यह भी लिखा है कि, 'रिलीफ कैंपों में हालात बद्तर हैं। बच्चों को विशेष देखभाल की बेहद जरूरत है। सभी विषयों के स्टूडेंट्स भी भविष्य की अनिश्चितता से जूझ रहे हैं। जिसे देखना सरकार की सबसे पहली जिम्मेदारी है। तीन महीने से इंटरनेट पर लगा बैन निराधार अफावाहों को बढ़ा रहा है। इससे अविश्वास और बढ़ा है। प्रधानमंत्री की चुप्पी ये दिखाती है कि वे मणिपुर हिंसा के लेकर उदासीन हैं।' 

प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस सांसद फूलोदेवी नेताम ने हालत की जानकारी देते हुए है, 'रिलीफ कैंप के एक हॉल में 400-500 लोग रह रहे हैं। राज्य सरकार उन्हें केवल दाल-चावल मुहैया करा रही है, बच्चों को पूरे दिन खाने के लिए और कुछ नहीं मिल रहा है। शौचालय या बाथरूम की कोई सुविधा नहीं। जिस तरह से लोग शिविरों में रह रहे हैं वह बहुत हृदय विदारक है।'