कोरोना वैक्सीन पर कांग्रेस के अहम सवाल, क्या जनहित में जवाब देगी सरकार

कांग्रेस ने कोरोना टीकाकरण से जुड़ी सरकारी नीतियों के बारे में ज़रूरी सवाल पूछकर जागरूक विपक्ष की भूमिका निभाई, अब क्या सरकार इन सवालों का जवाब देकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगी

Updated: Jan 17, 2021, 01:32 PM IST

Photo Courtesy : India.com
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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी ने देश में कोरोना के टीकाकरण के मुद्दे पर मोदी सरकार से कुछ बेहद अहम सवाल पूछे हैं। ये वो सवाल हैं जो सीधे-सीधे आम लोगों के स्वास्थ्य, उनके जीवन और आर्थिक बोझ से जुड़े हुए हैं। कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ये सवाल वैसे तो मीडिया के ज़रिए सरकार से पूछे हैं, लेकिन इन्हें जानना और समझना देश के हर नागरिक के लिए ज़रूरी है।

1. मुफ़्त टीकाकण के वादे का क्या हुआ : किसे, कैसे और कहां मिलेगी मुफ़्त वैक्सीन?

कांग्रेस ने सरकार से सबसे पहले मुफ़्त टीकाकरण के बारे में कई अहम सवाल पूछे हैं। सुरजेवाला ने पूछा है कि कोरोना वैक्सीन का मुफ्त टीका किन्हें और कितने लोगों को लगाया जाएगा? और यह मुफ्त टीका कहां मिलेगा? साथ ही कांग्रेस ने ये भी कहा है कि सरकार ने अभी जितनी कोरोना वैक्सीन ख़रीदने का ऑर्डर दिया है, वो पूरे देश के लिए पर्याप्त नहीं होगा।

 

 

सरकार ने पर्याप्त टीकों का ऑर्डर क्यों नहीं दिया? 

कांग्रेस की तरफ़ से जारी बयान के मुताबिक़ देश के ड्रग कंट्रोलर वीजी सोमानी ने बताया है कि मोदी सरकार ने कोरोना वैक्सीन की कुल 1 करोड़ 65 लाख खुराक खरीदने का ऑर्डर दिया है। हर व्यक्ति को वैक्सीन की दो खुराक देनी होती है। इस हिसाब से अब तक ऑर्डर किए गए टीके तो महज़ 82 लाख 50 हज़ार लोगों के लिए ही काफ़ी होंगे। जबकि सरकार दावा कर रही है कि पहले चरण में 3 करोड़ लोगों का टीकाकरण किया जाएगा।

कांग्रेस ने पूछा है कि क्या सरकार को इस बात का एहसास नहीं है कि देश में ग़रीब और कमज़ोर तबके के लोगों की संख्या कितनी अधिक है? देश की 28% फ़ीसदी आबादी ग़रीबी रेखा के नीचे है। ख़ुद सरकार की तरफ़ से 2019 में जारी आँकड़ों के हिसाब से देश के 81.35 करोड़ लोग फ़ूड सब्सिडी एक्ट के तहत रियायती दरों पर राशन पाने के हक़दार हैं। सरकार को साफ़ करना चाहिए कि देश के अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े वर्ग, अन्य पिछड़ा वर्ग और ग़रीब वर्ग के लोगों को कोरोना की मुफ़्त वैक्सीन दी जाएगी या नहीं?

कांग्रेस के बयान के मुताबिक 24 अक्टूबर 2020 को ख़ुद भारत सरकार की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने बीजेपी के चुनावी घोषणा पत्र के तहत सार्वजनिक रूप से वादा किया था बिहार की पूरी आबादी को कोरोना का मुफ़्त टीका लगवाया जाएगा। इसके बाद 31 अक्टूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से वादा किया कि सभी लोगों को मुफ़्त टीका मिलेगा। 2 जनवरी 2021 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन मुफ़्त टीकाकरण का वादा करके बाद में मुकर गए। अब मोदी सरकार इस बारे में कोई ठोस प्रतिबद्धता ज़ाहिर करने से कन्नी काट रही है।

2. कैसे तय हो रही हैं कोविशील्ड और कोवैक्सीन की क़ीमतें?

कांग्रेस ने टीकाकरण से जुड़ा दूसरा अहम मसला वैक्सीन की क़ीमतों को लेकर उठाया है। पार्टी महासचिव सुरजेवाला ने पूछा है कि ऑक्सफ़ोर्ड-एस्ट्राजे़नेका द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन को भारत में बना रही कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट भारत सरकार से प्रति खुराक 200 रुपये ले रही है। एस्ट्राज़ेनेका ने इस वैक्सीन को बिना किसी मुनाफ़े के सिर्फ़ लागत मूल्य पर देने का वादा कर चुकी है। लेकिन यूरोप के देश बेल्जियम के मंत्री ने बताया है कि उनकी सरकार को यह वैक्सीन 1.78 यूरो यानी लगभग 158 रुपये में मिल रही है। ऐसे में सीधा सवाल यह है कि सीरम इंस्टीट्यूट हमारी सरकार से उसी वैक्सीन के लिए 200 रुपये क्यों ले रहा है, ख़ास तौर पर तब जबकि वे बिना मुनाफ़े के वैक्सीन देने का वादा कर चुके हैं?

कांग्रेस के मुताबिक हैरानी की बात भी यह है कि भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन भारत सरकार के 295 रुपये/प्रति खुराक की दर से सप्लाई की जा रही है। जबकि यह वैक्सीन भारत सरकार के उपक्रम इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की मदद से विकसित की गई है। इतना ही नहीं, कोवैक्सीन का अब तक तीसरे चरण का ट्रायल भी नहीं हुआ है। इसका परीक्षण अब तक सिर्फ़ 755 लोगों पर किया गया है। ऐसे में कोवैक्सीन को कुछ अहम सवाल उठते हैं। पहला सवाल तो यह कि मोदी सरकार कोवैक्सीन के लिए 95 रुपये/खुराक ज़्यादा क़ीमत क्यों चुका रही है, जबकि इसका निर्माण सरकारी संस्थान की मदद से किया गया है? दूसरा अहम सवाल यह है कि जिस वैक्सीन का ट्रायल भी पूरा नहीं हुआ है, उसके लिए मोदी सरकार ज़्यादा पैसे क्यों दे रही है?

3. खुले बाज़ार में कोरोना वैक्सीन का दाम 1000 रुपये/खुराक क्यों होगा?

कांग्रेस ने तीसरा अहम मसला कोरोना वैक्सीन की बाज़ार क़ीमतों को लेकर उठाया है। पार्टी के मुताबिक़ सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने 11 जनवरी 2021 को कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन खुले बाज़ार में 1000 रुपये/खुराक की दर से बेची जाएगी। यानी टीकाकरण के लिए ज़रूरी दो खुराक के लिए प्रति व्यक्ति 2000 रुपये देने पड़ेंगे। ऐसे में सीधा सवाल यह है कि सीरम इंस्टीट्यूट जब सरकार को 200 रुपये / खुराक की रेट से वैक्सीन दे रहा है, तो उसे बाज़ार में इसे 500% मुनाफ़े पर बेचकर बेहिसाब मुनाफ़ाख़ोरी करने की छूट कैसे दी जा सकती है? क्या सरकार का यह दायित्व नहीं है कि वो कंपनी से सारी वैक्सीन 200/खुराक की दर पर ख़रीदकर लोगों को इस दर से मुहैया कराए? सवाल यह भी है कि सरकार ने कोरोना वैक्सीन को ज़रूरी दवाओं की लिस्ट में रखा है या नहीं? और अगर रखा है तो क्या 1000 रुपये/खुराक की मनमानी क़ीमत को नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी ने मंज़ूरी दे दी है?

4. देश की ज़रूरत पूरी हुए बिना वैक्सीन के निर्यात की इजाज़त क्यों?

कांग्रेस पार्टी ने चौथा अहम मुद्दा कोरोना वैक्सीन के निर्यात का उठाया है। सुरजेवाला की तरफ़ से जारी बयान के मुताबिक़ सीरम इंस्टीट्यूट भारत में बनी वैक्सीन की 20 लाख डोज़ ब्राज़ील को निर्यात कर रहा है। सीधा सवाल यह है कि जब तक भारत की पूरी आबादी को वैक्सीन नहीं मिल जाती, इसे विदेशों में निर्यात करने की इजाज़त क्यों मिलनी चाहिए? कांग्रेस का कहना है कि ‘कोरोना वैक्सीन फ़ॉर ऑल’ यानी सभी लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन उपलब्ध कराना केंद्र सरकारी की घोषित नीति होनी चाहिए। लेकिन पार्टी का आरोप है कि मुफ़्त वैक्सीन का मसला हो या टीके की लागत का, या फिर टीका बनाने वाली कंपनियों की सीमा तय करने का, मोदी सरकार की नीति इन सभी मामलों में अस्पष्ट और गोपनीयता के आवरण में ढकी हुई है। कांग्रेस ने आख़िर में माँग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को इन सभी मुद्दों पर आगे आकर सवालों के जवाब देने चाहिए।

विपक्ष ने निभाई सवाल पूछने की जिम्मेदारी, अब क्या सरकार देगी जवाब?

कांग्रेस पार्टी ने देश में लगाए जा रहे कोरोना के टीकों से जुड़ी सरकारी नीतियों के बारे में तमाम अहम सवाल पूछकर विपक्ष के तौर पर अपनी भूमिका तो ज़रूर निभाई है, अब देखना ये है कि क्या सरकार इन सवालों के माकूल जवाब देकर अपनी ज़िम्मेदारी निभाएगी?