राफेल डील में दलाली: पीएम मोदी के खिलाफ केस दर्ज करने पर विचार करेगी सुप्रीम कोर्ट, दो हफ्ते बाद हो सकती है सुनवाई

फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट में हाल ही में इस बात का खुलासा हुआ है कि राफेल सौदे में 1 मिलियन यूरो दलाली के रूप में दिया गया, मामले में केंद्र की मोदी सरकार पर सवाल उठ रहे हैं

Updated: Apr 12, 2021, 12:08 PM IST

Photo Courtesy : The Indian Express
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नई दिल्ली। राफेल फाइटर जेट खरीदी के दौरान हुए कथित एक मिलियन के दलाली मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ मुकदमा चलाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगी। मनोहर लाल शर्मा नाम के एक वकील ने शीर्ष न्यायालय में इससे संबंधित याचिका दायर की है। मामले में पहले क्लीन चीट दे चुकी सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार भी कर लिया है। माना जा रहा है कि दो हफ्ते बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगी।

याचिकाकर्ता एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से मामले की कोर्ट की निगरानी में स्वतंत्र जांच और जल्द से जल्द सुनवाई की मांग की है। चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर अर्जेंट सुनवाई करेगी। उन्होंने फिलहाल यह नहीं बताया है कि किस तारीख को सुनवाई होगी। हालांकि, यह तय माना जा रहा है कि दो हफ्ते बाद शीर्ष अदालत इसपर सुनवाई करेगी। यह याचिका फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट के खुलासे के बाद 6 अप्रैल को दायर की गई है।

दरअसल, फ्रांस के एक मीडिया संस्थान मीडियापार्ट ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि राफेल फाइटर जेट बनाने वाली कंपनी दसॉ ने डील के लिए भारत में एक दलाल को 1 मिलियन यूरो दी। इतना ही नहीं इस कथित घोटाले की रिपोर्ट लिखने वाले रिपोर्टर का दावा है कि यह तो अभी खुलासों की केवल एक परत है, अभी इस मामले में दो और बड़े खुलासे होने बाकी हैं।

राफेल विमानों का समझौता शुरू से ही विवादों में रहा है। लोकसभा चुनावों से ठीक पहले 2019 के शुरुआती महीनों में राफेल विमानों के समझौते और उसके पैरलेल नेगोशियेशन का मुद्दा भी काफी गर्माया था। कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार राफेल की खरीद और उसके समझौते में बड़े घोटाले का आरोप प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी पर लगाते रहे हैं। 

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इस मामले में फ्रांसीसी मीडिया रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार से सात प्रश्न पूछे हैं। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पूछा है कि...

1. क्या दसॉ द्वारा क्लाइंट को गिफ्ट के तौर पर भुगतान किए गए 1 मिलियन यूरो सचमुच में किसी भारतीय मिडलमेन या बिचौलिए को दिए गए थे?

2. दो सरकारों के रक्षा समझौते के बीच किसी बिचौलिए और कमीशन के पेमेंट की अनुमति कैसे दी जा सकती है?

3. आखिर दसॉ ने एक भारतीय कंपनी को विमान के मॉडल बनाने के लिए क्यों कहा? वह भी प्रति विमान 20 हज़ार यूरो की कीमत पर?

4. मॉडल बनाने के लिए किए गए खर्च को क्लाइंट को दिए गए गिफ्ट के तौर पर क्यों दर्शाया गया?विमान के ये मॉडल बने भी थे या नहीं?

5. क्या इस प्रकरण के सामने आने के बाद राफेल समझौते पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह नहीं लगा है? 

6. क्या इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होनी चाहिए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस पूरे समझौते में भारत सरकार के किस बिचौलिए को कितने पैसे दिए गए?

7. क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसपर जवाब देंगे? 

गौरतलब है कि, अब तक अलग अलग खेपों में भारत को 14 राफेल फाइटर जेट्स मिल चुके हैं। अप्रैल और मई महीने में बाकी बचे राफेल विमानों के भारत आने की संभावना है। इसी बीच फ्रांस के विदेश मंत्री इसी महीने भारत के दौरे पर आने वाले हैं। वहीं प्रधानमंत्री मोदी भी अगले महीने फ्रांस जाने वाले हैं। इस बात को लेकर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।