कोरोना महामारी में पेश की मिसाल: कोरोना संक्रमित 85 साल के बुजुर्ग ने युवक के लिए छोड़ा बेड, कहा- मैंने जिंदगी जी ली, इनके बच्चे अनाथ हो जाएंगे

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर उनकी तारीफ की है।

Updated: Apr 28, 2021, 09:56 AM IST

Photo courtesy: ABP
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नागपुर। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर तेज़ी से पैर पसार रही है। महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या अन्य राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है। कई शेहरों में ऑक्सीजन  से लेकर बेड तक की किल्लत देखने को मिल रही है। इसी बीच नागुपर के 85 वर्षीय बुजुर्ग ने ऐसी मिसाल पेश की, जिसकी वजह से उनकी खूब तारीफ हो रही है। 85 वर्षीय नारायण भाऊराव दाभाडकर कोरोना से संक्रमित हुए थे। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां वो अपने बेड पर थे। उसी दौरान एक महिला अपने पति की जान बचाने के लिए बेड की तलाश कर रही थी। उन्होंने अपना बेड देते हुए कहा, 'मैं 85 वर्ष का हो चुका हूं, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं.'

 नारायण दाभाडकर कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हो गए थे। उनका ऑक्सीजन लेवल 60 तक पहुंच चुका था। बेटी और दामाद उन्हें इंदिरा गांधी शासकीय अस्पताल ले गए। काफी मशक्कत के बाद उनको बेड मिला। तभी 40 वर्षीय पति को बचाने के लिए महिला वहां बेड की तलाश कर रही थी। अस्तपाल ने उनको भर्ती करने से मना कर दिया था, क्योंकि वहां कोई बेड खाली नहीं था। रोती महिला को देख उनका दिल पसीज गया और उन्होंने अपना बेड दे दिया।

 


अस्पताल प्रशासन ने उनसे पत्र लिखवाया। जिसमें उन्होंने लिखा, 'मैं अपना बेड दूसरे मरीज के लिए स्वेच्छा से खाली कर रहा हूं.' इतना लिखकर वो घर लौट गए और तीन दिन बाद उनका निधन हो गया। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनकी तारीफ करते हुए ट्विटर पर लिखा, '“मैं 85 वर्ष का हो चुका हूँ, जीवन देख लिया है, लेकिन अगर उस स्त्री का पति मर गया तो बच्चे अनाथ हो जायेंगे, इसलिए मेरा कर्तव्य है कि मैं उस व्यक्ति के प्राण बचाऊं।'' ऐसा कह कर कोरोना पीडित आरएसएस के स्वयंसेवक श्री नारायण जी ने अपना बेड उस मरीज़ को दे दिया।'