MP: न ट्रैक्टर, न बैल... 90 साल के किसान ने खुद ही खेत में की जुताई, वीडियो वायरल
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से 90 वर्षीय बुजुर्ग किसान अमर सिंह का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे खुद साइकिल के पहिए से बने देसी हल से खेत जोतते नजर आ रहे हैं। उनके पास न ट्रैक्टर है, न बैल और न ही किसी तरह की सरकारी मदद।

सीहोर। देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह के गृह जिले सीहोर से एक बुजुर्ग किसान का मार्मिक वीडियो सामने आया है, जो न केवल शासकीय दावों की हकीकत उजागर करता है, बल्कि प्रदेश में किसानों की बदहाल स्थिति पर भी सवाल उठाता है। यह वीडियो ग्राम तज अमरोद निवासी 90 वर्षीय किसान अमर सिंह का है, जो खुद जुतकर खेत में परंपरागत तरीके से हकाई करते नजर आ रहे हैं।
जानकारी के अनुसार अमर सिंह के पास मात्र तीन एकड़ जमीन है, लेकिन संसाधनों के अभाव में वह न तो ट्रैक्टर का उपयोग कर सकते हैं और न ही बैलों की व्यवस्था है। ऐसे में उन्होंने देसी जुगाड़ से साइकिल के पहिए से बना हल तैयार किया है, जिससे खुद ही खेत जोतते हैं। 90 साल की उम्र में जब अमर सिंह की बाहें कांपती हैं, पैरों में ताकत नहीं बची, गर्दन भी जवाब देने लगती है... लेकिन वे कहते हैं कि मेरे पास कोई और विकल्प भी नहीं है।
किसान की यह हालत कृषि व्यवस्था की विफलताओं की गवाही देती है। उनका बेटा बीमार है और काम करने में असमर्थ है। अमर सिंह और उनका परिवार टूटी हुई झोपड़ी में जीवन गुजार रहा है। खेती से बमुश्किल जीवन यापन हो पा रहा है। बुजुर्ग किसान का कहना है कि बीते दस वर्षों से सोयाबीन की खेती लगातार प्राकृतिक आपदाओं और खराब बीजों के कारण खराब होती रही है, लेकिन उन्हें अब तक एक भी रुपया सरकारी मुआवजे या फसल बीमा के रूप में नहीं मिला।
यह पूरा मामला उस जिले से जुड़ा है जो खुद राज्य के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह क्षेत्र है। ऐसे में यह सवाल खड़ा करता है कि जब मंत्री के अपने क्षेत्र में ही किसान इस हाल में हैं तो प्रदेश के अन्य हिस्सों की क्या स्थिति होगी? अमर सिंह का संघर्ष और वीडियो लोगों को सात दशक पहले की ‘मदर इंडिया’ फिल्म की याद दिला रहा है, जिसमें एक महिला किसान गरीबी और संघर्ष से जूझती है। दुर्भाग्यवश, इतने वर्षों बाद भी कई किसानों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया है।
मौके पर मौजूद किसान और समाजसेवी एमएस मेवाड़ा ने कहा कि 90 साल की उम्र में भी एक किसान खुद अपने खेत में मेहनत कर रहा है, यह आज के सिस्टम के लिए सवाल है। उन्होंने कहा कि किसान को ना बीमा मिल रहा, ना सहायता। सरकार और बीमा कंपनियां सिर्फ कागजों में काम कर रही हैं।अमर सिंह मेवाड़ा और उनके जैसे किसानों ने शासन और प्रशासन से कई बार मांग की कि बीमा क्लेम दिया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब किसान सिर्फ अपनी मेहनत और उम्मीद के भरोसे खेती कर रहा है।