डेथ सर्टिफिकेट पर कोरोना से मौत का जिक्र क्यों नहीं, कैसे देंगे मुआवजा, SC का केंद्र से बड़ा सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि यदि वह कोरोना से मरने वाले लोगों के लिए कोई योजना लागू करती है तो परिजनों को लाभ कैसे मिलेगा? इस मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होगी

Updated: May 24, 2021, 09:55 AM IST

Photo Courtesy: ABP
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण की वजह से मौत हो रही है उनके डेथ सर्टिफिकेट में कोरोना का जिक्र क्यों नहीं किया जा रहा है? यदि सरकार कोई स्कीम लाती है तो कोरोना मृतकों के परिजनों को इसका लाभ कैसे मिलेगा? इस मामले की अगली सुनवाई 11 जून को होगी।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोरोना से जिन लोगों की मौत हो रही है उनके परिजनों को चार लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। याचिकाकर्ता का तर्क है कि केंद्र सरकार की साल 2015 की एक योजना थी, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी नोटिफाइड बीमारी या आपदा से किसी की मौत होती है तो उसके परिवार को चार लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा।'  हालांकि पिछले साल यह स्कीम खत्म हो चुकी है।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि इस योजना की अवधि को बढ़ाया जाए और कोरोना के लिए भी लागू किया जाए। इससे हजारों ऐसे परिवारों को फायदा होगा जिनके कमाने वालों की मौत कोरोना वायरस से हुई है। लेकिन इसमें बड़ा सवाल ये उठकर आया कि यह तय कैसे होगा की मृतक की मौत कोरोना वायरस के चपेट में आने से हुए है। चूंकि, भारत में अधिकांश मामलों में मौत का कारण कोविड नहीं लिखा जा रहा है।

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जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या कोरोना से होने वाली मौतों पर मुआवजे को लेकर या डेथ सर्टिफिकेट को लेकर कोई गाइडलाइंस है? सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा, 'मैं अपने पर्सनल एक्सपीरियंस से कह रहा हूं कि जब कोई व्यक्ति कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती होता है और उसकी मौत हो जाती है तो उसके डेथ सार्टिफिकेट में यह नहीं लिखी जाती की उसकी मौत कोरोना वायरस की वजह से हुई है।'

जस्टिस शाह ने आगे कहा, 'अधिकांश मामलों में लंग्स इंफेक्शन या हार्ट इशू बताया जाता है। मरीजों के परिवार वालों को पता ही नहीं होता की मौत क्यों हुई है। यदि मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना वायरस का जिक्र ही नहीं रहेगा तो आंकड़े भी कम दिखाए जाएंगे और लोगों को लगेगा कि सब ठीक है।' शीर्ष न्यायालय ने मुआवजे को लेकर केंद्र सरकार से 10 दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले कि अगली सुनवाई 11 जून को होगी।