भारत बॉयोटेक ने जारी किए तीसरे चरण के ट्रायल के नतीजे, कोवैक्सीन के 81 फीसदी कारगर होने का दावा

सरकार ने थर्ड ट्रायल पूरा होने से पहले ही दे दी थी इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाज़त, कई विशेषज्ञों ने उठाए थे गंभीर सवाल, अब तक 'क्लिनिकल ट्रायल मोड' में लगाई जा रही थी कोवैक्सीन

Updated: Mar 03, 2021, 02:52 PM IST

Photo Courtesy : Newyork Times
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नई दिल्ली। भारत बायोटेक द्वारा विकसित कोरोना के टीके कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के नतीजे सामने आ गए हैं। भारत बॉयोटेक ने दावा किया है कि कोवैक्सीन 81 फीसदी कारगर है। कंपनी का दावा है कि इस ट्रायल के दौरान 25,800 लोगों को टीका लगाया गया, जो देश में अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल है। केंद्र सरकार इस टीके को थर्ड फेज ट्रायल पूरा होने से पहले ही इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे चुकी है।

बहरहाल, भारत बायोटेक के चेयरमैन और एमडी डॉ. कृष्णा इल्ला अब दावा कर रहे हैं कि उनकी कंपनी की बनाई 'यह वैक्सीन विकास, विज्ञान और कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में अहम है। तीसरे चरण के ट्रायल के आज के नतीजों के साथ कोविड-19 वैक्सीन के फेज 1, 2 और 3 के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं, जिनमें करीब 25,800 वालंटियर्स शामिल थे।' उन्होंने यह भी दावा किया कि कोवैक्सीन कोविड-19 के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने के साथ ही यह नए स्ट्रेन को रोकने में भी सक्षम है।

तीसरे चरण के ट्रायल को पूरा होने से पहले कोवैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी देने को लेकर कई विशेषज्ञों ने गंभीर सवाल खड़े किए थे। विशेषज्ञों की चिंता को देखते हुए विपक्ष ने भी सरकार पर भारत बॉयोटेक का पक्ष लेने का आरोप लगाया था। छत्तीसगढ़ सरकार ने तबतक इसका इस्तेमाल करने से भी इनकार कर दिया जबतक तीसरे फेज ट्रायल के परिणाम सामने आ जाएं। वहीं लोग भी इसे लेने से कतराते थे और सभी के मन में शंकाएं थी।

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इनसब के बीच ठीक दो दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अचानक सुबह-सुबह उठकर यह टीका लगवाया। जबकि कंपनी ने इसके तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा आज सामने रखा है। बता दें कि देश में फिलहाल दो तरह के टीकों के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। इनमें पहला टीका ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित और देश में सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार कोविशील्ड है। जबकि दूसरा टीका भारत बॉयोटेक का कोवैक्सीन रहा है। आमलोगों को इनमें से किसी एक को चुनने के विकल्प नहीं दिए गए हैं। 

हालांकि कोवैक्सीन को अब तक देश में  "क्लिनिकल ट्रायल मोड" के तहत सीमित इस्तेमाल के लिए मिली मंजूरी के आधार पर ही लोगों को लगाया जाता रहा है। (मंजूरी देते समय जिस भाषा का इस्तेमाल किया गया था वो कुछ इस तरह है:“for restricted use in emergency situation in public interest as an abundant precaution, in clinical trial mode”) फिलहाल यह साफ नहीं है कि कंपनी ने आज जिन 25,800 लोगों को तीसरे फेज़ के ट्रायल के दौरान टीका लगाने का दावा किया है, क्या उनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें भारत सरकार के टीकाकरण कार्यक्रम में "क्लिनिकल ट्रायल मोड" के तहत टीका लगाया गया है?