दफ्तर दरबारी: पीएम मोदी का मिशन पानी पानी, अफसरों का सूखा मिटा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 फरवरी को भोपाल में होंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को लेकर उनकी यह यात्रा महत्वपूर्ण है। लेकिन इसी समय पीएम की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन के भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाने की भी चर्चा है। गांवों में अभी से जल संकट गहरा रहा है और जल जीवन मिशन का भ्रष्टाचार अफसरों का सूखा मिटा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार से मध्य प्रदेश के दो दिवसीय प्रवास पर पहुंच रहे हैं। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर लिखा है, ‘दो दिन मध्य प्रदेश के विकास को समर्पित रहेंगे।’ प्रधानमंत्री मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान 24 फरवरी को भोपाल में सुबह करीब 10 बजे ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का शुभारंभ करेंगे। निवेश आमंत्रित करने के लिए मोहन सरकार ने हर तरह के मनमोहक कदम उठाए हैं। पीएम मोदी की यह यात्रा यह आकलन का मौका भी है कि आखिर उनके मिशन की मध्यप्रदेश में क्या स्थिति है।
अभी सर्दियां अपने अंतिम चरण में हैं। गर्मियां आरंभ हो रही है लेकिन इसी शुरुआत में ही मध्य प्रदेश के कई स्थानों पर जलसंकट की दस्तक हो गई है। ये वहीं गांव हैं जिनमें हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन संचालित किया गया है। आंकड़ें बताते हैं कि जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश में 26 हजार 261 नल-जल योजनाओं पर काम हुआ है। ये सारी योजनाएं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तैयार कर रहा है। 147 समूह नल-जल योजनाएं राज्य जल निगम पूरी कर रहा है। इस योजना का बजट करीब 78 हजार करोड़ रुपए है। सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार जल जीवन मिशन के तहत राज्य और केन्द्र सरकार ने मिलकर अब तक 28 हजार करोड़ रुपए खर्च कर दिए हैं। इतने खर्च के बाद भी योजनाएं आधी-अधूरी स्थिति में हैं। मामला केवल अधूरे रहने का नहीं है। ये योजनाएं पूरी नहीं हो पा रही क्योंकि भ्रष्टाचार सेंध मार चुका है।
रीवा में जांच में पीएचई विभाग में 136 करोड़ के घोटाले की शिकायत हुई है। आरोप है कि रीवा में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद कुमार सिंह के कार्यकाल में भ्रष्टाचार हुआ था। इसकी शिकायत पर कलेक्टर ने तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर आईएएस सोनाली देव के नेतृत्व में जांच दल गठित किया था। शिकायत थी कि जल जीवन मिशन में बिना काम के ही खर्च कर दिया गया। योजना के प्रचार-प्रसार के नाम पर भी लाखों का भुगतान हुआ है। हैंडपंपों में मरमत के बाद निकाले गए पार्ट्स भी गायब कर दिए गए। जांच में जानकारी उपलब्ध नहीं करवाई गई। इससे माना गया कि आर्थिक अनियमितताएं हुई है। इस जांच को भी साल भर हो गया है लेकिन रिपोर्ट पर मोहन सरकार चुप है। इस चुप्पी पर कांग्रेस नेताओं ने संभागायुक्त कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन दिया है।
विधानसभा में भी कांग्रेस ने जल जीवन मिशन में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के आरोप लगाए थे लेकिन सरकार ने इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया है। इस चुप्पी से इस आरोप को बल मिलता है कि राजनेताओं और अफसरों के गठजोड़ से प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वप्न योजना का क्रियान्वयन भ्रष्ट आचरण की भेंट चढ़ गया। जिस योजना से गांवों में जनता को पानी मिलना था वह योजना जेब का सूखा मिटा रही है।
‘बीजेपी के लाडले’ कलेक्टर से हाईकोर्ट नाराज
प्रदेश में 2003 से ही बीजेपी की सरकार है। बीच में डेढ़ साल कांग्रेस की सरकार रही लेकिन ब्यूरोक्रेसी को बीजेपी सरकारों के साथ कदमताल करने की आदत हो गई है। शायद यही कारण है कि हाईकोर्ट बीते कुछ माह से लगातार प्रदेश के कलेक्टरों को उनकी कार्यप्रणाली पर फटकार लगा रहा है। ताजा मामला भिंड का है।
भिंड कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव की कार्य प्रणाली पर एमपी हाईकोर्ट ग्वालियर की एकल पीठ ने गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि राज्य शासन के लिए यह सोचने का समय है कि ऐसे अधिकारी को फील्ड में तैनात किया जाना चाहिए या नहीं। मामला पीडब्ल्यूडी में दैनिक वेतन भोगी पद पर कार्यरत एक महिला कर्मचारी के एरियर से जुड़ा है। कोर्ट के आदेश के बाद भी 12 लाख का एरियर भुगतान नहीं हुआ तो फिर अवमानना याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने आदेश का पालन नहीं होने पर भिंड कलेक्टर को तलब किया था। कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने कहा कि भिंड में पीडब्ल्यूडी की संपत्ति नहीं है इसलिए कुर्क नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने सवाल किया कि ऑफिस कहां पर संचालित है। कलेक्टर ने कहा कि उस भवन पर शासन लिखा हुआ है। कोर्ट ने और सवाल किए तो कलेक्टर फंस गए। उन्होंने कहा कि दो दिन में संपत्ति कुर्क करके रिपोर्ट पेश करेंगे। हाईकोर्ट ने कहा कि डेढ़ वर्ष से भिंड कलेक्टर इस मामले को दबाए बैठे हुए थे। बावजूद इसके न्यायालय को गुमराह करने की हद पार कर दी।
एक महिला कर्मचारी अपने हक के लिए पूरे प्रशासन से लड़ी। उम्मीद है अब कलेक्टर उसे एरियर का भुगतान करवाएंगे। लेकिन जन कल्याण पर्व मनाने और जनसुनवाई करने वाली सरकार के अफसर हाईकोर्ट की भी सुनते नहीं है। कलेक्टर पर राजनीति के प्रभाव में काम करने का भी आरोप है। भिंड में प्रदेश के पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव को बीजेपी का एजेंट तक कह दिया था।
जबलपुर कलेक्टर का नो वर्क नो पे फार्मूला
जबलपुर में निजी स्कूलों पर सख्ती कर चर्चा में आए कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सरकारी कर्मचारियों को सुधारने के लिए ‘नो वर्क नो पे’ फार्मूला लागू किया है। कलेक्टर दफ्तर में आयोजित सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों की समीक्षा बैठक में नहीं आने वाले अफसरों का एक दिन का वेतन काट कर उन्होंने नजीर पेश की थी। जिले के मुखिया के अंदाज को अपनानते हुए शाहपुरा के तहसीलदार रवींद्र सिंह ने 44 पटवारियों की एक दिन का वेतन काट दिया। आरोप है कि इन 44 पटवारियों ने 10 फरवरी के दिन कोई काम नहीं किया। जब कोई काम किया नहीं किया तो तनख्वाह किस बात की।
इतना ही नहीं गांवों के कलेक्टर कहे जाने वाले पटवारियों के काम पर नजर रखने के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है और जनता से कहा गया है कि कोई पटवारी गड़बड़ी करें तो कंट्रोल रूम में शिकायत करें। पटवारियों के काम की समीक्षा करते हुए दो पटवारी सस्पेंड किए गए तो कुछ को कारण बताओं नोटिस जारी किए गए हैं। जबलपुर कलेक्टर का यह अंदाज जनता में तो चर्चित हो गया है। अन्य जिला कलेक्टर भी इससे प्रेरणा लेंगे ऐसा लगता नहीं है।
तहसीलदार पर सरकार मेहरबान, महिला ने रखा इनाम 50 हजार
ग्वालियर में एक तहलीदार का पता बताने पर पुलिस ने 5 हजार का इनाम घोषित किया है लेकिन आरोपी का पता नहीं मिल रहा है जबकि सरकार ने आरोपी तहसीलदार का तबादला ग्वालियर से बैतूल कर दिया है। इस तरफदारी से परेशान हो कर फरियादी महिला ने आरोपी का पता बताने पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया है।
मामला दुष्कत्य से जुड़ा है। तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान पर रेप का आरोप है। इस आरोप के बाद से वह फरार है। कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी है। पुलिस ने गिरफ्तारी के लिए 5 हजार रूपए का इनाम भी घोषित किया है लेकिन अपने प्रभाव के चलते तहसीलदार गिरफ्तारी से बचा हुआ है। प्रभाव भी ऐसा कि पहले दुष्कर्म का आरोप, एफआईआर और इससे पहले के कार्यकाल में ढेरों मुकदमों के बाद भी तहसीलदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। तहसीलदार को निलंबन का नोटिस भी नहीं दिया गया। फरार तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान का पता बताने के लिए पुलिस ने पांच हजार रुपये का इनाम घोषित किया है। पुलिस आरोपी तक पहुंच नहीं पा रही है और तहसीलदार का गुपचुप बैतूल तबादला हो गया है।
सिस्टम से मिल रहे इस सपोर्ट को देखते हुए अब रेप पीड़िता को तहसीलदार पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित करना पड़ा। पीड़िता का आरोप है कि फरार तहसीलदार उसे लगातार धमकियां दे रहा है। वह धमका रहा है कि बात नहीं मानी गई तो वह महिला और उसके बच्चे की हत्या करवा देगा।