आर्थिक बदहाली, भोजन की किल्लत के चलते श्रीलंकाई शरणार्थियों का पहला जत्था भारत पहुंचा
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोत्तरी का असर, आने वाले हफ्तों में श्री लंका से और शरणार्थियों के भारत पहुंचने की सम्भावना
नई दिल्ली।
श्री लंका के आर्थिक संकट की लहर अब भारतीय तटों पर महसूस की जाने लगी है। आर्थिक तंगी और भोजन की किल्ल्त होने के कारण श्री लंका के जाफना और मन्नार क्षेत्र से श्रीलंकाई तमिलों के दो जत्थे मंगलवार को तमिलनाडु पहुंचे। तीन बच्चों सहित 6 शरणार्थियों का पहला समूह रामेश्वरम के तट पर स्थित एक द्वीप पर फंसा हुआ था, जिसे तटरक्षक बल ने बचाया। दस लोगों का दूसरा दल देर रात यहाँ पहुंचा।
बढ़ती बेरोजगारी, आर्थिक तंगी और भोजन की कमी होने से आने वाले समय में श्री लंका के उत्तर में स्थित जाफना प्रायद्वीप और मन्नार क्षेत्र से और श्रीलंकाई तमिलों का पलायन हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार आने वाले हफ्तों में लगभग 2000 शरणार्थियों के भारत आने की सम्भावना है। पहले समूह ने पुलिस को बताया कि कई हफ्तों तक भोजन के लिए संघर्ष करने के बाद वे वहां से भागने के लिए मजबूर हो गए। उनके अनुसार भोजन, ईंधन और आय की कमी के कारण और कई परिवार भारत भागने की जुगत में हैं।
पुलिस ने बताया कि श्री लंका से आये शरणार्थियों को रामेश्वरम के पास मंडपम शरणार्थी शिविर में रखा गया है। आर्थिक बदहाली के कारण हाल के दिनों में श्री लंका में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बहुत उछाल आया है , जिसके कारण खाद्य वस्तुएं आम लोगों की पहुंच से दूर होती जा रही हैं। वर्तमान में श्री लंका में चावल और शक्कर 290 रूपए प्रति किलो बिक रहा है। 400 ग्राम के दूध पाउडर की कीमत 790 रूपए है। पिछले तीन दिनों में दूध पाउडर की कीमत में 250 रूपए की तेजी आई है। श्रीलंकाई सरकार ने पेपर की कमी के कारण स्कूल परीक्षाओं को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया है। इसे देखते हुए आने वाले समय में और अधिक शरणार्थियों के भारत पलायन करने की सम्भावना है। बढ़ती महंगाई, ईंधन की किल्ल्त और खाद्य संकट के कारण श्री लंका में विरोध प्रदर्शन बढ़ गए हैं। भारत ने भी श्री लंका की आर्थिक सहायता के लिए करीब 1 बिलियन डॉलर की ऋण सुविधा दी है। श्री लंका सरकार भी आईएमएफ से इस संकट से निपटने के लिए बात कर रही है।
लेकिन जब तक श्री लंका के आर्थिक हालात नहीं सुधरते तब तक भारत में श्रीलंकाई तमिलों का पलायन जारी रह सकता है।