गृहमंत्री अमित शाह के बचाव में उतरा चुनाव आयोग, कहा- कलेक्टरों को धमकाने वाली बात फेक नैरेटिव
हमने फेक न्यूज रोकी, लेकिन खुद पर होने वाले हमले नहीं रोक पाए। हम चुनाव कराएं या यह सब देखें। 16 मार्च को मैंने कहा था- झूठ का एक बाजार है, यहां गुब्बारे फटते हैं। हमें यह नहीं पता था कि यह हम पर ही फटेगा: CEC
नई दिल्ली। वोट काउंटिंग से पहले 150 कलेक्टर्स को फोन करके डराने-धमकाने के आरोप पर चुनाव आयोग खुलकर अमित शाह के समर्थन में आ गया है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि 150 कलेक्टर से बात करने वाली बात फेक नैरेटिव है। इतना ही नहीं आयोग ने कांग्रेस नेता पर शायराना अंदाज में तंज कसते हुए कहा, "आजकल इल्जामातों का दौर बुलंद है, तलखियों का बाजार गर्म है मंजूर है, इल्जाम लगाओ मगर शर्त इतनी है, सबूत साथ हों!"
दरअसल, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अमित शाह पर कलेक्टर्स को धमकाने का आरोप लगाया था। इसपर आयोग ने उन्हें सबूत देने के लिए कहा। जयराम रमेश ने इसके लिए एक हफ्ते का समय मांगा था। लेकिन चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को अपना जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय देने से इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग ने आज यानी 3 जून को जयराम रमेश को पत्र लिखकर आज ही जवाब दाखिल करने को कहा है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव हमें एक महीने पहले खत्म कर देना था। इतनी गर्मी में नहीं करना चाहिए था। ये हमारी पहली लर्निंग है। दूसरा फेक नैरेटिव से लड़ने का। हमने सोचा था कि देश की सीमाओं से बाहर हमले होंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लेकिन देश के अंदर से ही हम पर आरोप लगाए गए। उन्होंने लगभग विपक्ष की खिल्ली उड़ाने के अंदाज में कहा कि इस समय 17C की देश में सबसे ज्यादा चर्चा में है। यूपीएससी की तैयारी कर रहे बच्चों को इस पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए कि ये क्या है।'
उन्होंने आगे कहा कि हमने फेक न्यूज रोकी, लेकिन खुद पर होने वाले हमले नहीं रोक पाए। हम चुनाव कराएं या यह सब देखें। 16 मार्च को मैंने कहा था- झूठ का एक बाजार है, यहां गुब्बारे फटते हैं। हमें यह नहीं पता था कि यह हम पर ही फटेगा। माहौल बनाया गया की वोटर टर्नआउट में गड़बड़ किया। ये फेक नैरेटिव है। जो चल रहा है। हम मानते हैं कि हम इसे समझने में फेल रहे, लेकिन अब समझ गए हैं।
चुनाव आयुक्त ने कहा कि इस चुनाव में हमने 642 मिलियन मतदाताओं का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। यह सभी G7 देशों के मतदाताओं का 1.5 गुना और यूरोपियन यूनियन के 27 देशों के मतदाताओं का 2.5 गुना है। इस दौरान सूरत में चुनाव न कराए जाने के सवाल पर वे स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। उनसे पूछा गया कि जब NOTA को प्रत्याशी जैसा माना गया था। ऐसे में सूरत में प्रत्याशी को निर्विरोध कैसे निर्वाचित किया गया। इसके जवाब में CEC ने कहा, 'हमारी कोशिश यही है कि हर जगह चुनाव होना चाहिए। लड़कर जीतने में जो प्रतिष्ठा है, वह निर्विरोध जीतने में नहीं है। लेकिन, प्रत्याशी नामांकन वापस ले तो हम क्या कर सकते हैं। जहां एक ही कैंडिडेट हो वहां वोटिंग कराना ठीक नहीं होगा।'