चाहे चुनाव हार जाऊं या मंत्री पद चला जाए, धर्म की बात सार्वजनिक रूप से नहीं करूंगा: नितिन गडकरी

गडकरी ने कहा कि हम कभी भी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते। मैं राजनीति में हूं और यहां कई तरह की बातें होती हैं। लेकिन मैंने अपने तरीके से काम करने का फैसला किया है।

Updated: Mar 17, 2025, 02:24 PM IST

नागपुर। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में रहते हैं। नागपुर में शनिवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि चाहे मंत्री पद चला जाए लेकिन मैं धर्म के आधार पर राजनीति नहीं करूंगा। 

नितिन गडकरी ने नागपुर में एक अल्पसंख्यक संस्थान के दीक्षांत समारोह में कहा, 'मैं धर्म और जाति की बातें सार्वजनिक रूप से नहीं करता। समाज सेवा सबसे ऊपर है। चाहे चुनाव हार जाऊं या मंत्री पद चला जाए, अपने इस सिद्धांत पर अटल रहूंगा। मंत्री पद नहीं मिला तो मर नहीं जाऊंगा।'

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भाजपा नेता गडकरी ने कहा कि वह कभी भी जाति या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते। मैं राजनीति में हूं और यहां कई तरह की बातें होती हैं। लेकिन मैंने अपने तरीके से काम करने का फैसला किया है। मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि कौन मुझे वोट देगा।

गडकरी ने चुटकी लेते हुए कह कि जो करेगा जात की बात, उसको मारूंगा कस के लात।' उन्होंने कहा कि मेरे दोस्तों ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में रहते हुए तुम्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए था। लेकिन मैंने जीवन में इसी सिद्धांत पर चलने का निश्चय किया है। चुनाव हारने या मंत्री पद न मिलने से मैं मर थोड़े ही जाऊंगा।

गडकरी ने बताया कि उन्होंने एमएलसी रहते हुए एक इंजीनियरिंग कॉलेज की अनुमति अंजुमन-ए-इस्लाम संस्थान (नागपुर) को ट्रांसफर कर दी थी। उन्हें लगा कि मुस्लिम समुदाय को इसकी ज़्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर मुस्लिम समुदाय से ज्यादा इंजीनियर, IPS और IAS अफसर बनेंगे तो सबका विकास होगा।

उन्होंने कहा कि हमारे पास पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण है। आज अंजुमन-ए-इस्लाम के बैनर तले हजारों छात्र इंजीनियर बन चुके हैं। अगर उन्हें पढ़ने का मौका नहीं मिलता, तो कुछ नहीं हो पाता। शिक्षा की यही ताकत है। यह जीवन और समुदायों को बदल सकती है।