858 करोड़ रुपये में से सिर्फ 1 फीसदी खर्च कर पाई सरकार, प्रदूषण नियंत्रण को लेकर संसदीय समिति की रिपोर्ट

केंद्र सरकार ने 2024-25 में पॉल्यूशन कंट्रोल के लिए 858 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया, लेकिन मंजूरी न मिलने से इस्तेमाल नहीं हो सका।

Updated: Mar 27, 2025, 02:47 PM IST

नई दिल्ली। देश में वायु प्रदूषण की समस्या विकराल होती जा रही है। हर साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली ठंड के दिनों में गैस चैंबर बन जाता है। बावजूद वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में नीति निर्धारकों की दिलचस्पी नहीं है। प्रदूषण नियंत्रण को लेकर संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पॉल्यूशन कंट्रोल करने के लिए 2024-25 में आवंटित 858 करोड़ रुपये केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी के अभाव में खर्च नहीं हो सके। ये राशि मंत्रालय के वार्षिक संशोधित बजट का 27.44 प्रतिशत थी, लेकिन अभी तक इसका एक प्रतिशत से भी कम का इस्तेमाल किया गया।

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रिपोर्ट में कहा गया कि एयर पॉल्यूशन की गंभीर समस्या केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है बल्कि देश के कई बाकी शहर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। बढ़ते पॉल्यूशन की वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। भाजपा सांसद भुवनेश्वर कालिता की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति ने इस बात पर नाराजगी जताई कि मंत्रालय प्रदूषण नियंत्रण योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी नहीं दे सका जिसकी वजह से आवंटित बजट खर्च नहीं किया जा सका।

समिति ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मंत्रालय को तत्काल फैसला लेने की सिफारिश की ताकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए उठाए गए कदम प्रभावी साबित हो सकें। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि मंत्रालय को धनराशि के इस्तेमाल न होने की वजहों पर गौर करना चाहिए। जब देश में एयर क्वालिटी बिगड़ती जा रही है तब भी संबंधित योजनाओं को अमल में लाने में देरी करना गंभीर चिंता का विषय है।

बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण योजना के तहत केंद्र सरकार पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और समितियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इसके अलावा ये राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत 131 सबसे प्रदूषित शहरों में एयर पॉल्यूशन को 40% तक कम करने के लिए कदम उठाती है, लेकिन बजट के इस्तेमाल न होने से ये लक्ष्य अधूरा रह सकता है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मंत्रालय को न केवल योजना को जल्द मंजूरी देनी चाहिए बल्कि ये भी सुनिश्चित करना चाहिए कि एयर क्वालिटी सुधार के लिए ठोस उपाय किए जाएं।