हर जगह होंगे गृह मंत्रालय के साइबर वालंटियर, 'देश विरोधी' कामों पर रखेंगे नज़र

गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर होगा साइबर वॉलंटियर्स का रजिस्ट्रेशन, सरकार को देंगे ग़लत और 'देश विरोधी' कामों की जानकारी, हालाँकि ये साफ़ नहीं कि देश विरोधी काम किसे माना जाएगा

Updated: Feb 10, 2021, 06:22 AM IST

Photo Courtesy: The Print
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय देश भर में ऐसे वालंटियर यानी स्वयंसेवक तैनात करेगा, जो कथित 'देश विरोधी' कामों की जानकारी सरकार को देंगे। इन स्वयंसेवकों की तैनाती गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम सेल के साइबर वालंटियर प्रोग्राम के तहत की जाएगी। इनका रजिस्ट्रेशन गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर होगा। 

ये वालंटियर्स उन कामों की सूचना सरकार को देंगे जो उनकी नज़र में ग़लत, ग़ैर क़ानूनी और 'देश विरोधी' होंगी। इन गलत कामों में ‘एंटी नेशनल’ गतिविधियों के अलावा चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी, आतंकवाद, कट्टरता से जुड़ी बातों को भी शामिल किया गया है। कौन से काम ‘देश विरोधी’ माने जाएंगे, इस बारे में कुछ साफ नहीं कहा गया है। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर और त्रिपुरा में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर चलाया जाएगा और इससे मिले फ़ीडबैक के बाद इसे आगे बढ़ाया जाएगा। गृह मंत्रालय का इंडियन साइबर क्राइम को-ऑर्डिनेशन सेंटर इस काम के लिए नोडल सेंटर होगा। जो भी लोग वालंटियर्स बनना चाहते हैं, वे ख़ुद को इसके लिए अपने राज्यों में रजिस्टर करा सकते हैं। वालंटियर बनने की इच्छा रखने वालों को सरकार को अपना नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, ई-मेल एड्रेस देना होगा। राज्य सरकारें साइबर वालंटियर प्रोग्राम के तहत रजिस्टर कराने वाले वालंटियर्स का सत्यापन करेंगी। 

अभी तक सरकार के पास कोई ऐसी व्यवस्था नहीं है जिससे वह क़ानूनी तौर पर साफ कर सके कि ‘एंटी नेशनल’ कटेंट क्या है या कौन सा शख़्स या कौन सा काम ‘एंटी नेशनल’ है। ‘एंटी नेशनल’ काम करने के आरोप में कई लोगों के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून (UAPA) की धाराएं लगाकर कार्रवाई की गई और उन्हें जेलों में भी डाला गया है। लेकिन देश विरोधी काम की परिभाषा कानूनी तौर पर अब तक तय नहीं है।

गृह मंत्रालय की इस पहल को लेकर कई और सवाल भी उठ रहे हैं। सवाल ये कि आखिर इस योजना का मकसद क्या है? वॉलंटियर्स के इस नेटवर्क के जरिए मिलने वाली सूचनाओं का क्या होगा? उन पर कार्रवाई किस ढंग से और किस आधार पर की जाएगी? इस तरह से मिलने वाली शिकायतों की तहकीकात कौन करेगा? कहीं इसका गलत इस्तेमाल तो नहीं होगा? कहीं एक दूसरे के खिलाफ निजी खुन्नस या रंजिश निकालने के लिए तो इसका इस्तेमाल नहीं होगा? इससे लोगों के बीच अविश्वास की खाई तो पैदा नहीं होगी? कहीं सरकार से जुड़े या सरकार समर्थक संगठन इस योजना का इस्तेमाल  समाज में उठने वाली असहमति की आवाजों को दबाने के लिए तो नहीं करेंगे?