इस साल 10 महीने में 1 लाख 83 हजार लोगों ने छोड़ी नागरिकता, केंद्र सरकार ने जारी किए आंकड़े

देश में बढ़ते सांप्रदायिक माहौल के बीच लाखों लोग छोड़ रहे हैं नागरिकता, केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने लोकसभा में बताया कि पिछले 11 साल में 16 लाख लोग भारतीय नागरिकता छोड़ चुके हैं।

Updated: Dec 13, 2022, 12:10 PM IST

नई दिल्ली। भारत में बिगड़ते सांप्रदायिक माहौल के बीच पलायन से जुड़ी एक और बड़ी संख्या सामने आई है। भारत के लाखों लोग ऐसे हैं जो अब इस देश में रहना नहीं चाहते हैं। केंद्र सरकार ने खुद संसद में बताया है कि इस साल 10 महीने में यानी जनवरी 2022 से अक्टूबर तक 1 लाख 83 हजार लोगों ने देश छोड़ दिया है। 

शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने ये जानकारी दी। उन्होंने लोकसभा को सूचित किया कि साल 2022 में जनवरी से लेकर अक्टूबर के बीच एक लाख 83 हजार से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी है। वहीं 11 सालों में 16 लाख से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी।

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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2011 से अबतक 1.6 मिलियन यानी 16 लाख लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ दी। उन्होंने ये भी बताया कि लगभग 32 मिलियन भारतीय या भारतीय मूल के लोग विदेशों में रहते हैं। कांग्रेस के एक सांसद के पूछने पर कि 2015 से कितने भारतीय ने अपनी नागरिकता त्याग दी, मंत्री ने पिछले आठ साल के आंकड़े भी पेश किए।

आंकड़ों के मुताबिक साल 2015 में 1 लाख 31 हजार 489, साल 2016 में 1 लाख 41 हजार 603, साल 2017 में 1 लाख 33 हजार 49, साल 2018 में 1 लाख 34 हजार 561, साल 2019 में 1 लाख 44 हजार 17, साल 2020 में 85 हजार 256 और साल 2021 में 1 लाख 63 हजार 370 लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी थी।

बता दें कि प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी ने कहा था कि मैं उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ जब अमेरिकी भारतीय वीजा के लिए कतार में खड़े होंगे। इसके बाद वह भारत के प्रधानमंत्री बन गए और 2014 से लगातार इस पद पर बने हुए हैं। लेकिन नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या कम होने के बजाए बेतहाशा बढ़ने लगा है। अधिकांश लोगों का मानना है कि देश में बढ़ते सांप्रदायिक नफरत के कारण लोगों में यहां रहने की इच्छा घटती जा रही है और यही वजह है कि अमन पसंद लोग भारत की नागरिकता छोड़कर विदेशों में शिफ्ट होने लगे हैं।