MP: पुलिस सुरक्षा में घोड़ी चढ़ा दलित दूल्हा, दबंगों ने दी थी बारात नहीं निकालने की धमकी
टीकमगढ़ में एक दलित परिवार के युवक को घोड़ी चढ़ाने और रस्म अदा करवाने के लिए पुलिस को आना पड़ा। जिसके बाद दूल्हे ने रस्म अदा की और पूरे गांव घूमा।
टीकमगढ़। मध्य प्रदेश में दलित-आदिवासियों के साथ उत्पीड़न की घटनाएं कम नहीं हो रही हैं। टीकमगढ़ में कथित उच्च जाति के दबंगों के डर से एक दलित दूल्हे को पुलिस सुरक्षा में घोड़ी चढ़ना पड़ा। इसके बाद दूल्हे ने रस्म अदा की। आजादी के 78 वर्षों बाद भी सामंती सोच और जातिवाद की गहरी छाया बेहद चिंतनीय है।
मामला बलदेवगढ़ थाना क्षेत्र अंतर्गत हटा गांव का है। यहां जितेंद्र अहिरवार की शादी के लिए गांव में राछ निकालने (बारात निकालने) की तैयारी चल रही थी। परंपरा के अनुसार, दूल्हे को घोड़े पर सवार होकर गांव में यात्रा करनी थी। लेकिन, घोड़े वाले को गांव के दबंगों ने चेतावनी दी कि दलित युवक को घोड़े पर चढ़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। ऐसे में उसने घोड़ा देने से मना कर दिया और एडवांस राशि लौटाकर बुकिंग रद्द कर दी।
जितेंद्र अहिरवार ने बताया कि पहले कभी गांव में दलित समाज के दूल्हे की राछ नहीं निकाली गई। उन्हें इस बात को लेकर डर था। घोड़ीवाले ने सामाजिक डर के कारण एडवांस वापस कर दिया था। यह बात उन्होंने अपने मित्र हृदेश कुशवाहा को बताई। हृदेश ने पुलिस से सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए बलदेवगढ़ थाना प्रभारी और एसपी को आवेदन दिया।
टीकमगढ़ एसपी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए बलदेवगढ़ पुलिस को सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। इसके बाद सोमवार को पुलिस टीम हटा गांव पहुंची। पुलिस के पहरे में जितेंद्र अहिरवार की गांव में राछ निकाली गई और विवाह संपन्न कराया गया।
जितेंद्र अहिरवार के दोस्त हृदेश कुशवाहा ने बताया कि हटा गांव में इसके पहले कभी भी दलित दूल्हे की राछ नहीं निकाली गई थी। इसी बात से जितेंद्र के मन में डर था। दोस्त की मदद करने के लिए पुलिस को आवेदन देकर सुरक्षा की मांग की थी। पुलिस की मौजूदगी में शांतिपूर्वक तरीके से राछ निकाली गई और विवाह संपन्न हुआ।