उत्तरप्रदेश में सीटी स्कैन की दरें तय करने की मांग, कार्तिकेय दुबे ने दायर की इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका

याचिकाकर्ता ने आवेदन में कहा कि उत्तर प्रदेश में एचआरसिटी कराने की कीमत पांच से छह हजार वसूला जा रहा है। इसकी कीमत कम करने की मांग की गई है।

Updated: May 22, 2021, 06:22 AM IST

Photo courtesy: amarujala
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प्रयागराज।  इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है जिसमें याचिका दाखिल कर्ता कार्तिकेय दुबे  ने राज्य में सीटी स्कैन सहित कोरोना जांचने के लिए ज़रूरी सभी टेस्ट के रेट तय करने की मांग की है। 

याचिका में कहा गया, “वर्तमान में   उत्तर प्रदेश एचआरसीटी कराने की कीमत पांच से छह हजार रुपये के बीच है। इसलिए, इस समय इसकी कीमतों का नियमन इस वक्त बेहद जरूरी है.”इसमें कहा गया, “उत्तरप्रदेश में मौजूदा गंभीर परिस्थितियों के मद्देनजर एचआरसीटी की कीमतों को नियमित करना अत्यंत आवश्यक है।”


याचिका में आरोप लगाया गया है कि कोरोना महामारी में हाई-रेजोल्यूशन कंप्यूटरीकृत टोमोग्रामफी (एचआरसीटी) / सीटी स्कैन के पांच से छह हजार रुपये तक लोगों से वसूले जा रहे हैं। याचिका में एचआरसीटी और सीटी स्कैन की कीमतें निर्धारित करने की मांग की गई है।

याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश की सरकारों ने पहले ही एचआरसीटी / सीटी स्कैन व अन्य जांच की कीमत काफी कम और व्यवहारिक दरें तय की हैं। याचिका में इन राज्यों की तरह उत्तरप्रदेश सरकार को भी दरें तय करने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि मौजूदा समय में कोरोना की जांच आरटीपीसीआर में परिणाम निगेटिव आ रहा है, जबकि सीटी स्कैन करने के बाद कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो रही है। ऐसे में इसकी मांग को देखते हुए याचिकाकर्ता पसरीचा ने इसकी दरें तय करने की मांग की है।

याचिकाकर्ता ने अपने आवेदन में कहा है कि उसने खुद कोरोना वायरस, आरटीपीसीआर, सिटी स्कैन, सहित अन्य खून संबंधित जांच प्राइबेट लैब में कराई। यहां पता चला कि मरीजो से अधिक कीमत वसूला जा रहा है।

मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ अवकाश पर होने की वजह से इस याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी। अब याचिका पर 31 मई को सुनवाई होगी।