इजरायली हमलों पर चुप्पी चिंताजनक, भारत को ईरान के समर्थन में बोलना चाहिए: सोनिया गांधी

सोनिया गांधी ने कहा कि 13 जून 2025 को इजराइल ने ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन करते हुए एकतरफा हमला किया, जो गैरकानूनी और क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक है। कांग्रेस ईरान में हो रहे इन हमलों की निंदा करती है।

Updated: Jun 21, 2025, 01:57 PM IST

नई दिल्ली। ईरान-इजरायल के बीच चल रही जंग पर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में शांति के लिए भारत को फिर अपनी नैतिक और कूटनीतिक भूमिका निभानी होगी। उन्होंने द हिंदू में एक आर्टिकल में लिखा कि इजराइल खुद परमाणु शक्ति है, लेकिन ईरान को परमाणु हथियार न होने पर भी टारगेट किया जा रहा है। ये इजराइल का दोहरा मापदंड है।

सोनिया गांधी ने कहा कि ईरान भारत का पुराना दोस्त रहा है और ऐसे हालात में भारत की चुप्पी परेशान करने वाली है। ईरान ने कई मौकों पर भारत का साथ दिया है। 1994 में ईरान ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव ब्लॉक करने में मदद की थी, जिसमें जम्मू-कश्मीर के मसले पर भारत की आलोचना की गई थी। ईरान के खिलाफ इजराइली कार्रवाई को पूरी तरह पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है और कोई जवाबदेही नहीं है। 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइल पर जो हमला किया था, उसकी कांग्रेस ने निंदा की थी, लेकिन साथ ही हम इजराइल की क्रूर कार्रवाई पर चुप नहीं रह सकते हैं।

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सोनिया गांधी ने कहा कि 55,000 से अधिक फिलिस्तीनी अपनी जान गंवा चुके हैं। पूरे परिवार, मोहल्ले और यहां तक कि अस्पताल तक नष्ट कर दिए गए हैं। गाजा भुखमरी की कगार पर है, और वहां की आम जनता वो दर्द झेल रही है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। गाजा में हो रही तबाही और ईरान में हो रहे हमलों को लेकर भारत को स्पष्ट, जिम्मेदार और मजबूत आवाज में बोलना चाहिए। अभी देर नहीं हुई है।

सोनिया ने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लीडरशिप में इजराइल ने लगातार शांति भंग करने और आतंक को बढ़ावा देने का काम किया है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उनकी सरकार लगातार अवैध सेटलमेंट को विस्तार दे रही है, अति-राष्ट्रवादी लोगों के साथ मिलकर काम कर रही है और टू-स्टेट सॉल्यूशन को पूरी तरह नकार रही है। इससे न सिर्फ फिलिस्तीनी लोगों को तकलीफ बढ़ी, बल्कि पूरा इलाका ही लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष की तरफ धकेल दिया गया।

सोनिया गांधी ने लिखा है कि इतिहास हमें बताता है कि नेतन्याहू ने ही उस नफरत को हवा दी थी, जिसके चलते 1995 में इजराइल के प्रधानमंत्री यित्झाक राबिन की हत्या हुई थी और फिलिस्तीनियों और इजराइलियों के बीच शांति की सबसे बड़ी उम्मीद खत्म हो गई थी। नेतन्याहू का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि वे बातचीत नहीं चाहते, बल्कि मामले को बढ़ाना चाहते हैं।

कांग्रेस नेत्री ने आगे कहा अफसोस की बात ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प, जिन्होंने अमेरिका के कभी न खत्म होने वाले युद्धों और मिलिट्री-इंडस्ट्रियल लॉबी के बढ़ते प्रभाव की आलोचना की थी, अब खुद उसी रास्ते पर चल रहे हैं। वे खुद कई बार बता चुके हैं कि कैसे इराक पर तबाही लाने वाले हथियार रखने के झूठे आरोप लगाकर युद्ध शुरू किया गया था, जिसने क्षेत्र को अस्थिर किया और इराक को तबाह कर दिया।