केरल बीजेपी का उम्र में बड़ा दांव, 88 साल के श्रीधरन को बनाया सीएम कैंडिडेट

आडवाणी समेत कई दिग्गजों को मार्गदर्शक मंडल की राह दिखाने वाली बीजेपी केरल में हाज़िरी लगाने के लिए श्रीधरन को सामने किया, क्या केरल में काफ़ी नहीं लग रहा मोदी का नाम

Updated: Mar 04, 2021, 01:28 PM IST

तिरुवनंतपुरम। बीजेपी आम तौर पर जहां पहले से सत्ता में नहीं होती, वहां चुनाव से पहले मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं करती। पिछले कुछ बरसों के दौरान बीजेपी इन हालात में राज्यों में भी प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ती रही है। लेकिन केरल में ऐसा नहीं होने वाला। यहां बीजेपी के सत्ता में आने के दूर-दूर तक कोई आसार नहीं होने के बावजूद, या शायद इसी वजह से मुख्यमंत्री के लिए अभी से एक नाम घोषित कर दिया है। वो नाम है देश के जाने-माने इंजीनियर ई. श्रीधरन का।

केरल बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन जोकि अभी राज्यभर के दौरे पर निकले हैं, उन्होंने आज इस बात का ऐलान किया है। सुरेंद्रन ने बताया है कि पार्टी जल्द ही दूसरे उम्मीदवारों की सूची भी जारी करेगी। बीजेपी के द्वारा श्रीधरन को केरल में सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद से सियासी गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। बहरहाल, पिछले हफ्ते ही राजनीति में आए श्रीधरन एलान कर रहे हैं कि उनकी जीत पक्की है। हालांकि यह समझना आसान नहीं है कि अपने छह दिन के राजनीतिक अनुभव के आधार पर श्रीधरन केरल में बीजेपी को सत्ता कैसे दिलाएंगे। वो भी इस उम्र में।

दरअसल श्रीधरन की उम्र भी उनकी मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी को बेहद खास बना रही है। बीजेपी ने 75 साल से ज्यादा उम्र वाले नेताओं को आम तौर पर सक्रिय राजनीति या मंत्रिमंडल से बाहर करने का अलिखित नियम सा बना रखा है। पार्टी के कई बड़े सूरमा इस नियम की भेंट चढ़ चुके हैं। कुछ यूं ही चलन से बाहर कर दिए गए तो कुछ मार्गदर्शक मंडल में सजाए जा चुके हैं। लेकिन केरल में यह नियम लागू नहीं है। वहां 88 साल के श्रीधरन राजनीति में पहला कदम रखने के चंद रोज़ बाद ही बीजेपी की सियासी नैया के खेवनहार बना दिए गए हैं। सियासत की हसरत खत्म होने से पहले सेवामुक्त किए जा चुके कई वरिष्ठ नेताओं के दिल पर यह खबर सुनकर क्या बीत रही होगी, ये तो वही जानें। 

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12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ में जन्मे ई श्रीधरन ने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री आंध्र प्रदेश के काकीनाडा स्थित सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज से प्राप्त की। इसके बाद वह इंडियन रेलवे सर्विस में आ गए। दिल्ली मेट्रो के निर्माण के बाद मेट्रोमैन के नाम से मशहूर हुए श्रीधरन कोच्चि मेट्रो, लखनऊ मेट्रो जैसे कई प्रोजेक्ट से जुड़े रहे हैं। साल 2008 में कांग्रेस की सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था। एक दिलचस्प बात यह भी है कि अपनी बात बिना लाग-लपेट के कहने के लिए मशहूर श्रीधरन अब तक रेलवे के निजीकरण का कड़ा विरोध करते आए हैं। अब यह देखना दिलचस्प यह होगा कि बीजेपी की कतार में शामिल होने के बाद क्या उनका रुख मौकापरस्त सियासतदानों की तरह बदल जाता है या वे अपने रुख पर कायम रहते हुए रेलवे के निजीकरण का विरोध जारी रखते हैं?