यह राइट टू लाइफ का उल्लंघन, पीथमपुर में विषैले कचरे के निष्पादन पर SC ने केंद्र और राज्य को भेजा नोटिस
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा कचरे के निपटान हेतु जारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया और न ही आपातकाल की स्थिति उत्पन्न होने पर राहत एवं बचाओ हेतु कोई कार्ययोजना बनाई गई है।

नई दिल्ली/पीथमपुर। मध्य प्रदेश के पीथमपुर में भोपाल की यूनियन कार्बाईड फैक्ट्री का कचरा नष्ट करने के खिलाफ आंदोलन जारी है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। शीर्ष अदालत ने यह नोटिस गांधीवादी विचारक और लेखक चिन्मय मिश्र द्वारा दायर याचिका को संज्ञान में लेते हुए भेजा है, जिसमें कहा गया है कि पीथमपुर में कचरे का निष्पादन आसपास के लोगों के राइट टू लाइफ का उल्लंघन करता है।
यूनियन कार्बाइड भोपाल के विषैले कचरे के पीथमपुर में निष्पादन के विरोध में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विभिन्न आदेशों को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए चिन्मय मिश्र द्वारा याचिका दायर की गई थी।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत तथा अधिवक्ता रितम खरे द्वारा मामले में पैरवी की गई। इसपर सर्वोच्च न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
इस मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी को रखी है।याचिकाकर्ता ने सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किए हैं कि मध्य प्रदेश राज्य शासन व केंद्र सरकार द्वारा कचरे के निपटान हेतु जारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया, और न ही आपातकाल की स्थिति उत्पन्न होने पर राहत एवं बचाओ हेतु कोई कार्ययोजना का बनाई है।
याचिकाकर्ता का यह भी तर्क है कि जहां विषैले कचरे के निष्पादन की योजना है, उसके आस पास घनी आबादी बसी है, साथ पीथमपुर में 1250 से अधिक उद्योग हैं, जहां निम्न आय वर्ग के कर्मचारी कार्यरत हैं।
चूंकि, पीथमपुर इंदौर से महज 30 किलोमीटर दूर है, ऐसे में यदि कचरे के निष्पादन में कोई विषैली गैस का रिसाव होता है तो इसका बुरा असर इंदौर के रहवासियों पर भी पड़ेगा।
याचिकाकर्ता ने कहा कि शासन द्वारा इंदौर, धार, पीथमपुर, महू आदि निकटवर्ती स्थानों के रहवासियों को विश्वास में लिए बिना कचरे के निपटान की योजना है। अगर कोई हादसा होता है तो उस स्थिति से निपटने की कार्ययोजना के बिना संपूर्ण कार्य किया जा रहा है, जो कि व्यक्ति के जीवन जीने के अधिकार का उल्लंघन है।
इसी प्रकरण में उच्च न्यायालय में मंगलवार को सुनवाई है। बता दें कि 1984 में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली मिथाइल आइसोनेट गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोगों की जान चली गई थी। इतना ही नहीं हजारों लोग विकलांगता, अंधापन और अन्य गंभीर बीमारियों का शिकार हुए। यूनियन कार्बाइड का औद्योगिक कचरा 40 वर्षों से भोपाल में पड़ा हुआ था। 3 दिसंबर, 2024 को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस कचरे को चार सप्ताह के भीतर डिस्पोजल साइट तक पहुंचाने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ धार जिले के पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। साथ ही कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है।