यूपी में कथित लव जिहाद विरोधी अध्यादेश लागू, राज्यपाल ने लगाई मुहर

उत्तर प्रदेश में कथित लव जिहाद रोकने के नाम पर अलग-अलग धर्मों के लोगों की शादी में रुकावट डालने वाला अध्यादेश लागू, 10 साल तक की सजा का प्रावधान

Updated: Nov 28, 2020, 07:29 PM IST

Photo Courtesy: jagran
Photo Courtesy: jagran

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने कथित लव जिहाद रोकने के नाम पर जो अध्यादेश पारित किया था, उस पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने दस्तखत कर दिए हैं। ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश’ नाम से लाए गए इस नए कानून में दो धर्मों के लोगों के बीच हुए शादी विवाह में छल-कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन का आरोप साबित होने पर 10 साल की कैद का प्रावधान किया गया है। खास बात ये है कि इसमें किसी व्यक्ति पर इस तरह का आरोप लगाने वाले को उसे साबित नहीं करना होगा, बल्कि अगर किसी पर आरोप लगा दिया गया तो उसे ही साबित करना पड़ेगा कि वो निर्दोष है। 

नए कानून में अलग-अलग धर्मों के लोगों को आपसी रजामंदी के बावजूद शादी करने के लिए जिलाधिकारी से दो महीने पहले इजाजत लेनी पड़ेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने इस अध्यादेश को 24 नवंबर को ही मंजूरी दे दी थी, जिस पर अब राज्यपाल ने भी मुहर लगा दी है। नए कानून में धर्मांतरण के मामलों में भी किसी तरह के प्रलोभन, दबाव या झूठ साबित होने पर भी अधिकतम दस साल तक की सज़ा का प्रावधान किया गया है। 

अध्यादेश में धर्म परिवर्तन के इच्छुक लोगों को जिला अधिकारी के सामने एक निर्धारित फॉर्म पर दो महीने पहले इसकी सूचना देनी होगी। इसकी मंजूरी मिलने के बाद ही वे धर्म परिवर्तन कर सकेंगे। इसका उल्लंघन करने पर छह महीने से लेकर तीन साल तक की कैद और 10,000 रुपये जुर्माने की सजा तय की गई है। सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में तीन से दस साल तक की कैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा का प्रावधान किया गया है। 

अध्यादेश में सामूहिक रूप से धर्मांतरण कराने वाले सामाजिक संगठनों का पंजीकरण रद्द कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। कोई भी धर्म परिवर्तन छल, कपट या जबरन विवाह के जरिये नहीं किया गया है, इसका सबूत देने की जिम्मेदारी धर्म परिवर्तन कराने वाले और करने वाले व्यक्ति पर होगी। बता दें कि मध्य प्रदेश और हरियाणा की बीजेपी सरकारें भी इसी तरह के कानून लाने की तैयारी कर रही हैं।

विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी की सरकारें लव जिहाद के नाम पर सारा हंगामा समाज में धार्मिक विभाजन औऱ ध्रुवीकरण को तेज़ करने के लिए खड़ा कर रही हैं, ताकि भयानक आर्थिक मंदी से जूझते देश में मोदी सरकार की नाकामियों से लोगों का ध्यान हट जाए और वे बीजेपी की विभाजनकारी राजनीति में फंसकर अपने असली मुद्दों को भूल जाएं। यह भी ध्यान देने की बात है कि फरवरी 2020 में खुद मोदी सरकार ने संसद में लिखकर बताया था कि देश में लव-जिहाद जैसे किसी अपराध का कोई अस्तित्व ही नहीं है। फिर भी इसके नाम पर अध्यादेश के रास्ते कानून बनाने की हड़बड़ी दिखाई जा रही है, जबकि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की बढ़ती वारदात पर रोक लगाने की फिक्र किसी को नहीं है।