Farmers Protest: किसान नेताओं और सरकार की बैठक बेनतीजा ख़त्म, 3 दिसंबर को फिर करेंगे बात

किसान नेताओं ने आगे बातचीत के लिए छोटा ग्रुप बनाने का सरकार का सुझाव ठुकराया, बैठक में शामिल किसान नेता बोले, सरकार से कुछ तो लेकर ही जाएंगे, फिर चाहे गोली हो या शांतिपूर्ण समाधान

Updated: Dec 02, 2020, 12:44 AM IST

Photo Courtesy: ANI/Twitter
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नई दिल्ली। मोदी सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं और सरकार के बीच आज की बैठक में फ़िलहाल कोई समाधान नहीं निकल सका। लेकिन दोनों ही पक्ष 3 दिसंबर को फिर से मुलाक़ात करके बातचीत जारी रखने पर सहमत हो गए हैं।

बैठक ख़त्म होने के बाद उसमें शामिल केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मीडिया से कहा कि हमने किसानों से प्रदर्शन बंद करके बातचीत के लिए आगे आने का अनुरोध किया है। लेकिन इस बारे में फ़ैसला तो किसान नेताओं को ही करना है। तोमर ने यह भी बताया कि आज की बैठक में सरकार ने आगे की बातचीत के लिए प्रतिनिधियों का एक छोटा ग्रुप बनाने का सुझाव दिया था, लेकिन किसान नेता इसके लिए तैयार नहीं हुए। उनका मानना है कि आगे की बातचीत में भी सभी को शामिल होना चाहिए। तोमर ने कहा कि किसान नेताओं की इस बात को मानने में सरकार को कोई दिक़्क़त नहीं है।

बैठक में शामिल किसान नेता चंदा सिंह ने विज्ञान भवन से बाहर आने के बाद मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार के कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ हमारा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि हम सरकार से कुछ न तो कुछ तो लेकर ही लौटेंगे, फिर चाहे वो बंदूक की गोली हो या शांतिपूर्ण समाधान।

किसान नेताओं के साथ दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस अहम बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी हिस्सा लिया। बताया जा रहा है कि बैठक में किसान नेताओं के सामने सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और APMC एक्ट के बारे में एक विस्तृत प्रेज़ेंटेशन भी दिया गया, जिसके जरिये सरकार ने किसानों को यह समझाने का प्रयास किया कि नए कानून किस तरह से उनके हित में हैं।

सरकार और किसान नेताओं के बीच आज की मुलाकात सरकार के बिना शर्त बातचीत के लिए तैयार होने के बाद ही संभव हो सकी। हालांकि बैठक से पहले किसानों के प्रतिनिधिमंडल में योगेंद्र यादव के शामिल होने को लेकर विवाद हो गया था। सूत्रों के मुताबिक सरकार के साथ वार्ता करने वाले किसानों के प्रतिनिधिमंडल की सूची में योगेंद्र यादव का नाम शामिल होने पर गृह मंत्री अमित शाह ने एतराज जताया था। इससे किसान नेता नाराज हो गए थे। लेकिन बातचीत का माहौल ना बिगड़े इसके लिए योगेंद्र यादव ने खुद अपना नाम वापस ले लिया। जिसके बाद बैठक शुरू हो सकी।

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बैठक के लिए विज्ञान भवन पहुंचने के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा था कि सरकार इस बैठक में किसानों के सामने क्या प्रस्ताव रखेगी, ये पहले से बताना संभव नहीं है। सरकार की पेशकश का विवरण किसानों की मांग पूरी तरह से सामने रखे जाने के बाद ही दिया जा सकता है।

इस बीच दोपहर में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मीडिया को बताया था है कि केंद्र सरकार पंजाब के किसान नेताओं से मुलाकात खत्म होने के बाद शाम 7 बजे एक और बैठक करेगी, जिसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली के किसानों के प्रतिनिधिमंडल से बात की जाएगी। 

इससे पहले आंदोलन कर रहे किसानों के प्रतिनिधियों को कृषि मंत्रालय की तरफ से भेजे गए पत्र में उन्हें आज दोपहर 3 बजे बातचीत के लिए बुलाया गया। कृषि मंत्रालय द्वारा लिखे पत्र में ही बताया गया था कि यह बातचीत दिल्ली के विज्ञान भवन में होनी है। हालांकि किसानों की तरफ से इस बारे में आई पहली प्रतिक्रिया में कहा गया कि सरकार ने कुछ चुनिंदा समूहों को ही बातचीत के लिए बुलाया है और जब तक सभी को नहीं बुलाया जाएगा वे बातचीत में शामिल नहीं होंगे। पंजाब किसान संघर्ष समिति के संयुक्त सचिव सुखविंदर सिंह सभरान ने कहा था कि देश में किसानों के 500 ज़्यादा संगठन आंदोलन से जुड़े हैं, लेकिन सरकार ने सिर्फ 32 ग्रुप्स को बातचीत के लिए बुलाया है। बाकी लोगों को वार्ता का न्योता नहीं दिया गया है। उनका कहना था कि जब तक सरकार सभी समूहों को नहीं बुलाएगी, वे बातचीत के लिए नहीं जाएंगे।  लेकिन बाद में सरकार बाकी समूहों को भी बातचीत में शामिल करने को तैयार हो गई, जिसके बाद बैठक के लिए सहमति बन गई।

दरअसल, कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को पत्र लिख कर एक दिसंबर को चर्चा के लिये आमंत्रित किया था। अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा था उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जमूहरी किसान सभा, भारतीाय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन शामिल हैं। पत्र में दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में आने का न्योता देने के साथ ही हुए यह भी बताया गया था कि बातचीत भारत सरकार के मंत्रियों की उच्चस्तरीय समिति के साथ होगी।

बता दें कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में देश भर के किसान संगठन 26-27 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों ने चलो दिल्ली का नारा दिया था, लेकिन हरियाणा और केंद्र की बीजेपी सरकारों ने किसानों को दिल्ली से दूर रखने की पूरी कोशिश की। किसानों को रोकने के लिए पहले तो हरियाणा में दर्ज़नों किसान नेताओं को हिरासत में लिया गया, लेकिन इसके बावजूद किसान जब दिल्ली के लिए निकल पड़े तो उन्हें तरह-तरह से रोकने की कोशिश की गई। ठंड के मौसम में उन पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया गया, आंसू गैस छोड़ी गई। सड़कें बंद करने के लिए उनमें गड्ढे खोदे गए, भारी बैरिकेड, मिट्टी भरे बड़े डंपर और जेसीबी मशीनें लगाकर रास्ता बंद करने के प्रयास किए गए। किसानों पर मुकदमे भी दर्ज़ किए गए। लेकिन किसानों को रोकने की ये सारी कोशिशें विफल हुईं।

तमाम अड़चनों को पार करते हुए हज़ारों किसानों ने दिल्ली की सीमाओं तक पहुंचकर डेरा डाल दिया। लेकिन उन्हें दिल्ली में घुसने नहीं दिया गया। बाद में सरकार ने उन्हें दिल्ली के बाहरी इलाके बुराड़ी के निरंकारी मैदान में जाकर प्रदर्शन करने को कहा, जिसे किसानों ने ठुकरा दिया। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर वे निरंकारी मैदान चले जाएंगे तो सरकार अगले ही दिन उनसे बातचीत करेगी। लेकिन किसान ऐसी किसी शर्त को मानने के लिए तैयार नहीं हुए। उनके कड़े रुख को देखते हुए आखिरकार मोदी सरकार को बिना शर्त बातचीत की पेशकश करनी पड़ी।