मोदी ने हेट स्पीच से प्रधानमंत्री पद की गरिमा कम की, पंजाब में वोटिंग से पहले मनमोहन सिंह का पत्र

पिछले 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में अकल्पनीय उथल-पुथल देखी गई है। नोटबंदी की आपदा, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और कोविड महामारी के दौरान दर्दनाक कुप्रबंधन के परिणामस्वरूप एक दयनीय स्थिति पैदा हो गई है: मनमोहन सिंह

Updated: May 31, 2024, 01:52 PM IST

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने लोकसभा चुनाव-2024 के आखिरी चरण में पंजाब में होने वाली वोटिंग से पहले पंजाब के वोटरों के नाम पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने पंजाब के लोगों से भाजपा सरकार न बनाने की अपील की। उन्होंने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने हेट स्पीच से प्रधानमंत्री पद की गरिमा कम की है।

तीन पेज के पत्र में डॉ मनमोहन सिंह ने लिखा है कि मेरे प्यारे देशवासियों, भारत एक अहम मोड़ पर खड़ा है। मतदान के अंतिम चरण में, हमारे पास यह सुनिश्चित करने का एक अंतिम मौका है कि लोकतंत्र और हमारे संविधान को भारत में तानाशाही कायम करने की कोशिश कर रहे निरंकुश शासन के बार-बार होने वाले हमलों से बचाया जाए। पंजाब और पंजाबी योद्धा हैं। हम बलिदान की भावना के लिए जाने जाते हैं। समावेशिता, सद्भाव, सौहार्द और भाईचारे के लोकतांत्रिक लोकाचार में हमारा अदम्य साहस और सहज विश्वास हमारे महान राष्ट्र की रक्षा कर सकता है।

उन्होंने इस पत्र में किसान आंदोलन समेत बड़ी घटनाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने पंजाब, पंजाबियों और पंजाबियत को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। दिल्ली की सीमाओं पर 750 किसान इंतजार करते हुए शहीद हो गए। इनमें ज्यादातर (करीब 500) पंजाब के किसान थे। प्रधानमंत्री ने संसद की दहलीज पर हमारे किसानों को आंदोलनजीवी और परजीवी कहकर मौखिक रूप से हमला किया। 

सिंह ने लिखा है कि नरेंद्र मोदी ने चुनाव के दौरान नफरत भरे भाषण दिए। वह पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने पद की गरिमा कम की है। कुछ गलत बयानों के लिए उन्होंने मुझे भी जिम्मेदार ठहराया। मैंने अपने जीवन में कभी भी एक समुदाय को दूसरे समुदाय से अलग नहीं किया। ऐसा करने का कॉपीराइट सिर्फ भाजपा के पास है। 

वहीं, उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को लेकर अपनी राय भी दी। सिंह ने लिखा है कि पिछले 10 वर्षों में देश की अर्थव्यवस्था में अकल्पनीय उथल-पुथल देखी गई है। नोटबंदी की आपदा, त्रुटिपूर्ण जीएसटी और कोविड महामारी के दौरान दर्दनाक कुप्रबंधन के परिणामस्वरूप एक दयनीय स्थिति पैदा हो गई है, जहां 6-7 प्रतिशत से कम जीडीपी वृद्धि की उम्मीद नई सामान्य बात बन गई है।